प्रश्न - *क्या बलिवैश्व कोई सरल विधि-विधान है, यदि कोई सत्य घटना हो तो वो भी बताएं जिससे किसी को लाभ हुआ हो*
उत्तर --बलिवैश्व की उपलब्धि और महत्व अनन्य है, परंतु विधि-विधान अति सरल है। अपने देवताओं और इष्टदेव को भोजन कराने के भाव से शुद्ध और पवित्र भोजन बनाना चाहिए। घर में बिना नमक-मिर्च बना चावल या रोटी एक कटोरी में अलग निकाल के उसमें थोड़ा सा घी-चीनी मिलाकर, उसमें से पाँच आहुति (छोटी गोली बनाकर) निम्र प्रकार से गायत्री मंत्र बोलकर देना चाहिए और कटोरी में बचा हुआ, प्रसाद (यज्ञावशिष्ट) जब घर के सदस्य भोजन करने बैठें तब थोड़ा-थोड़ा परोसना चाहिए।
शांतिकुंज द्वारा एक 3’’ 33’’ का तांबे का हवन कुण्ड बनाया गया है। या गोमयकुण्ड -देशी गाय के गोबर का दीपक लें।
उसे गैस के बर्नर या चूल्हा की धीमी आँच पर रखकर उसमें निम्नलिखित पाँच आहुति देनी चाहिए और प्रतिदिन साफ करना चाहिए।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं ब्रह्मणे इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं देवेभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं ऋषिभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं नरेभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं भूतेभ्यः इदं न मम।
पाँच आहुति देने के पश्चात् हवन कुण्ड के चारों ओर पानी की धारा करके ‘‘ॐ शांतिः शांतिः शांतिः’’ मंत्र बोलकर हवन कुण्ड को एक तरफ रख दो।
आहुति भस्म हो जाय और अग्रि शांत होने के पश्चात् भस्म को तुलसी के गमले में, पवित्र वृक्ष के तने में जल मिलाकर डायल्यूट करके या पवित्र स्थान पर विसर्जित कर देना चाहिए।
परिवार का सदस्य जब अपने लिए नहीं परन्तु अपने परिवार के लिए सोचता है तो परिवार आबाद होता है और नागरिक जब अपने लिए नहीं परन्तु देश के लिए सोचता है तो राष्ट्र आबाद होता है।
*सत्य घटना 1* -
जामनगर (गुजरात) की राजकुवरबा, श्री खुमान सिंह झाला के राजपूत परिवार की इकलौती बेटी थी। उनका ब्याह १९७८ मई में कच्छ- भुज के श्री रुद्रदत्तसिंह जी जाड़ेजा के साथ खानदानी रियासत में संपन्न हुआ। राजकुवरबा को ज्ञात हुआ कि उनके पतिदेव अठंग शराबी हैं। उसने माता- पिता या सास ससुर से शिकायत नहीं की। दादाजी ने बताया था कि गायत्री जप से कैसी भी कठिन समस्या का हल होता है। वह एक लोटी में पानी रखकर ११ माला जप करती थी और वही पानी आटा गूथने में प्रयोग करती थी। परन्तु बहुत अधिक फर्क पतिदेव में नहीं हुआ। राजकुवरबा अपने पिताजी के साथ १९७९ में शान्तिकुञ्ज आई और परम पूज्य गुरुदेव को घटना सुनाई। परम पूज्य गुरुदेव ने कहा बेटा गायत्री जप के साथ बलिवैश्व भी किया करें और यज्ञावशिष्ट (बचा हुआ प्रसाद) पतिदेव की थाली में भोजन के साथ परोस दिया करें। छः माह के पश्चात् राजकुवरबा अपने पति के साथ शान्तिकुञ्ज आई और परम पूज्य गुरुदेव को बताया की उन्होंने शराब छोड़ दी और गायत्री उपासना भी करते हैं एवं गायत्री परिवार का प्रचार- प्रसार कार्य भी करते हैं, यह है बलिवैश्व का प्रभाव।
रेफरेंस पुस्तक - 📖 बलिवैश्व यज्ञ
*सत्य घटना 2* - एक गुरुग्राम हरियाणा के जॉब करने वाले दम्पत्ति ने बस स्टैंड के पास एक अपार्टमेंट में सेकंड हैंड फ्लैट खरीदा। घर में प्रवेश के कुछ दिनों बाद ही दोनों को कुछ असहजता प्रतीत हुई। घर से बाहर वो कितने भी ख़ुश हों, घर में घुसते ही कलह शुरू हो जाती। सर भारी हो जाता। आये दिन कोई न कोई समस्या या बीमारी हजारी लगी रहने लगी। हमें उन्होंने फोन किया, हमने उन्हें गोमयकुण्ड से घर में बलिवैश्व यज्ञ करने की सलाह दी। दैनिक गायत्री उपासना के साथ ही एक माला और निम्नलिखित मन्त्र महाकाली दुर्गा के बीज मंत्र युक्त गायत्रीमंत्र जपकर सूर्य भगवान को जल चढ़ाने को कहा:-
*ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
सूर्य भगवान को चढ़ाकर बचे जल में बलिवैश्व यज्ञ की भष्म मिश्रित करके घर के कोने कोने में समस्त घर में और घर के दरवाज़े में निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए छिड़कने को कहा:-
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासु
व यद् भद्रं तन्न आ सुव॥१॥
मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूर कर दीजिए, और जो
कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।
घर की ऊर्जा तो सकारात्मक व दिव्य हुई ही, उनके पति जो दुर्व्यसनों के शिकार थे, वो भी दुर्व्यसन मुक्त हुए व उनका जीवन आज सुखमय है। उनका बेबी कुछ वर्षों बाद हुआ वह भी स्वस्थ प्रशन्न है।
ऐसे अनेक सत्य घटनाएं बलिवैश्व यज्ञ के शुभ प्रभाव से सर्वत्र है। आप नजदीकी गायत्री शक्ति पीठ में पता कर सकते है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर --बलिवैश्व की उपलब्धि और महत्व अनन्य है, परंतु विधि-विधान अति सरल है। अपने देवताओं और इष्टदेव को भोजन कराने के भाव से शुद्ध और पवित्र भोजन बनाना चाहिए। घर में बिना नमक-मिर्च बना चावल या रोटी एक कटोरी में अलग निकाल के उसमें थोड़ा सा घी-चीनी मिलाकर, उसमें से पाँच आहुति (छोटी गोली बनाकर) निम्र प्रकार से गायत्री मंत्र बोलकर देना चाहिए और कटोरी में बचा हुआ, प्रसाद (यज्ञावशिष्ट) जब घर के सदस्य भोजन करने बैठें तब थोड़ा-थोड़ा परोसना चाहिए।
शांतिकुंज द्वारा एक 3’’ 33’’ का तांबे का हवन कुण्ड बनाया गया है। या गोमयकुण्ड -देशी गाय के गोबर का दीपक लें।
उसे गैस के बर्नर या चूल्हा की धीमी आँच पर रखकर उसमें निम्नलिखित पाँच आहुति देनी चाहिए और प्रतिदिन साफ करना चाहिए।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं ब्रह्मणे इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं देवेभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं ऋषिभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं नरेभ्यः इदं न मम।
ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्। इदं भूतेभ्यः इदं न मम।
पाँच आहुति देने के पश्चात् हवन कुण्ड के चारों ओर पानी की धारा करके ‘‘ॐ शांतिः शांतिः शांतिः’’ मंत्र बोलकर हवन कुण्ड को एक तरफ रख दो।
आहुति भस्म हो जाय और अग्रि शांत होने के पश्चात् भस्म को तुलसी के गमले में, पवित्र वृक्ष के तने में जल मिलाकर डायल्यूट करके या पवित्र स्थान पर विसर्जित कर देना चाहिए।
परिवार का सदस्य जब अपने लिए नहीं परन्तु अपने परिवार के लिए सोचता है तो परिवार आबाद होता है और नागरिक जब अपने लिए नहीं परन्तु देश के लिए सोचता है तो राष्ट्र आबाद होता है।
*सत्य घटना 1* -
जामनगर (गुजरात) की राजकुवरबा, श्री खुमान सिंह झाला के राजपूत परिवार की इकलौती बेटी थी। उनका ब्याह १९७८ मई में कच्छ- भुज के श्री रुद्रदत्तसिंह जी जाड़ेजा के साथ खानदानी रियासत में संपन्न हुआ। राजकुवरबा को ज्ञात हुआ कि उनके पतिदेव अठंग शराबी हैं। उसने माता- पिता या सास ससुर से शिकायत नहीं की। दादाजी ने बताया था कि गायत्री जप से कैसी भी कठिन समस्या का हल होता है। वह एक लोटी में पानी रखकर ११ माला जप करती थी और वही पानी आटा गूथने में प्रयोग करती थी। परन्तु बहुत अधिक फर्क पतिदेव में नहीं हुआ। राजकुवरबा अपने पिताजी के साथ १९७९ में शान्तिकुञ्ज आई और परम पूज्य गुरुदेव को घटना सुनाई। परम पूज्य गुरुदेव ने कहा बेटा गायत्री जप के साथ बलिवैश्व भी किया करें और यज्ञावशिष्ट (बचा हुआ प्रसाद) पतिदेव की थाली में भोजन के साथ परोस दिया करें। छः माह के पश्चात् राजकुवरबा अपने पति के साथ शान्तिकुञ्ज आई और परम पूज्य गुरुदेव को बताया की उन्होंने शराब छोड़ दी और गायत्री उपासना भी करते हैं एवं गायत्री परिवार का प्रचार- प्रसार कार्य भी करते हैं, यह है बलिवैश्व का प्रभाव।
रेफरेंस पुस्तक - 📖 बलिवैश्व यज्ञ
*सत्य घटना 2* - एक गुरुग्राम हरियाणा के जॉब करने वाले दम्पत्ति ने बस स्टैंड के पास एक अपार्टमेंट में सेकंड हैंड फ्लैट खरीदा। घर में प्रवेश के कुछ दिनों बाद ही दोनों को कुछ असहजता प्रतीत हुई। घर से बाहर वो कितने भी ख़ुश हों, घर में घुसते ही कलह शुरू हो जाती। सर भारी हो जाता। आये दिन कोई न कोई समस्या या बीमारी हजारी लगी रहने लगी। हमें उन्होंने फोन किया, हमने उन्हें गोमयकुण्ड से घर में बलिवैश्व यज्ञ करने की सलाह दी। दैनिक गायत्री उपासना के साथ ही एक माला और निम्नलिखित मन्त्र महाकाली दुर्गा के बीज मंत्र युक्त गायत्रीमंत्र जपकर सूर्य भगवान को जल चढ़ाने को कहा:-
*ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
सूर्य भगवान को चढ़ाकर बचे जल में बलिवैश्व यज्ञ की भष्म मिश्रित करके घर के कोने कोने में समस्त घर में और घर के दरवाज़े में निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए छिड़कने को कहा:-
ॐ विश्वानि देव सवितर्दुरितानि परासु
व यद् भद्रं तन्न आ सुव॥१॥
मंत्रार्थ – हे सब सुखों के दाता ज्ञान के प्रकाशक सकल जगत के उत्पत्तिकर्ता एवं समग्र ऐश्वर्ययुक्त परमेश्वर! आप हमारे सम्पूर्ण दुर्गुणों, दुर्व्यसनों और दुखों को दूर कर दीजिए, और जो
कल्याणकारक गुण, कर्म, स्वभाव, सुख और पदार्थ हैं, उसको हमें भलीभांति प्राप्त कराइये।
घर की ऊर्जा तो सकारात्मक व दिव्य हुई ही, उनके पति जो दुर्व्यसनों के शिकार थे, वो भी दुर्व्यसन मुक्त हुए व उनका जीवन आज सुखमय है। उनका बेबी कुछ वर्षों बाद हुआ वह भी स्वस्थ प्रशन्न है।
ऐसे अनेक सत्य घटनाएं बलिवैश्व यज्ञ के शुभ प्रभाव से सर्वत्र है। आप नजदीकी गायत्री शक्ति पीठ में पता कर सकते है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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