Didi,
My four questions
♦value adoption for self development
♦value adoption in family
♦value adoption in professional life
♦principle of better living
♦आत्म विकास के लिए मूल्य अपनाना
♦परिवार में मूल्य अपनाना
♦व्यवसायी जीवन में मूल्य अपनाना
♦बेहतर जीवन का सिद्धांत
Didi pls provide my questions answer with reference of gurudev literature only.
🙏
उत्तर - आत्मीय भाई,
भारतीय संस्कृति में *मूल्य* वह अवधारणा है जो मानव को पशुता से दूर लाकर, उसे उन्नति की ओर अग्रसर करती है । नर पशु से मानव 👉🏻 फिर देव मानव की ओर अग्रसर करता है।
1- *आत्म विकास के लिए कौन सा मूल्य अपनाना चाहिए?*
सर्वप्रथम देह की परिधि से परे जाना होगा, स्वयं को देह नहीं आत्मा मानना होगा। अगले क्रम में आत्मा को तत्व से जानना होगा, क्योंकि उसे तत्व से जाने बिना उसका विकास सम्भव ही नहीं है। तत्व से आत्मा को जानने के लिए सच्चे प्रयास की जरूरत है। यह प्रयास बाहर की प्रयोगशाला में नहीं अपितु अंतर्जगत की प्रयोगशाला में करना है। पुस्तक - *मैं क्या हूँ?* और *जीवन की सर्वोपरि आवश्यकता - आत्म ज्ञान* पढ़िये। इनमें वर्णित व्रतों का पालन कीजिये। विचार साधना कीजिये, चिंतन इस दिशा में गहन कीजिये।
2- *परिवार में कौन से मूल्य अपनाने चाहिए?*
अक्सर लोगों को झगड़ते देखा होगा कि मैंने अपने जीवनसाथी को इतना सुख दिया लेकिन उसने मुझे समझा ही नहीं, उसने मुझे सुख दिया नहीं।
एक बात बताइये जो आपके पास है ही नहीं वह दूसरों को दे कैसे सकते है? धन होगा तभी तो दूसरे को दे सकते हैं, इसी तरह जब सुखी होंगे तभी तो दूसरे को सुख दे सकेंगे, जब मन में शांति होगी तभी तो परिवार में शांति बाँट सकोगे। दो मानसिक भिखारी जिनके मन मे न सुख है न शांति वो सुखी गृहस्थी नहीं बना सकते। यदि इनमें से एक भी साधक हुआ व उसके मन में सुख-शांति होगी तो वो दूसरे को दे सकेगा, बच्चे को भी सँस्कार दिए जा सकेंगे।
पुस्तक - *भाव सम्वेदना की गंगोत्री* , *गृहस्थ एक तपोवन* , *मित्रभाव बढ़ाने की कला*, *अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है* इत्यादि पुस्तको को पढ़कर उनके सूत्र/मूल्य अपनाकर परिवार को सुखी व्यवस्थित बनाया जा सकता है।
3- *व्यवसायी जीवन में क्या मूल्य अपनाना चाहिए?*
अवव्यवस्थित मन से व्यवस्थित जॉब या व्यवसाय सम्भव नहीं है। समय प्रबन्धन के बिना व्यवसाय का प्रबंधन सम्भव नहीं है। क्या, कब, कैसे करना यह मन में गहन चिंतन से उभरना चाहिए? तब वह बाह्य संसार में एक्शन प्लान अनुसार होना चाहिए तभी सफलता मिलती है।
पुस्तक - *प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल* , *व्यवस्था बुद्धि की गरिमा* , *समय का सदुपयोग* , *सफलता के सात सूत्र साधन*
4- *बेहतर जीवन के सिद्धांत क्या हैं?*
बेहतर जीवन का एक वृक्ष है, जो बेहतर इंसान के भीतर से जन्म लेता है।
बेहतर जीवन क्या है? इसकी कोई सार्वभौमिक परिभाषा आप तय नहीं कर सकते। अक्सर यह सैद्धांतिक कम होता है तुलनात्मक ज्यादा होता है। इसे एक कहानी के माध्यम से समझें -
एक अमीर व्यक्ति के गाड़ी से जा रहा था, उसने चिलचिलाती धूप में बाईक वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*। बाइक वाले ने साइकिल वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
साइकिल वाले ने चिलचिलाती धूप में जूते पहने पैदल चलने वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
जूते वाले पैदल व्यक्ति ने चिलचिलाती धूप में बिन जूते पैदल चलने वाले को देखा, जिसके पैर में छाले पड़ गए थे और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
उस पैदल चलने वाले चिलचिलाती धूप में लँगड़े को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
उस लँगड़े ने एक मृतक को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*। कम से कम मैं जिंदा तो हूँ।
केवल मुर्दे के पास शुक्रिया कहने को कुछ नहीं था क्योंकि उसके पास तो जीवन ही नहीं था। जो लोग जीवित होते हुए भी भगवान को धन्यवाद नहीं कहते वो वस्तुतः मृत प्रजाति के लोग है। जिनका शरीर जिंदा है और मन मृतक।
ईमानदार लोग के लिए ईमानदार जीवन बेहतर है, धन लिप्सा में ग्रस्त व्यक्ति के लिए धनी होना बेहतर जीवन है, शरीर को सबकुछ समझने वाले के लिए सुंदर शरीर बेहतर जीवन का पर्याय है, और आत्मा को सबकुछ समझने वाले के लिए *आत्मज्ञान* प्राप्त करना सफल व बेहतर जीवन का पर्याय है। आपका जीवन के प्रति जो दृष्टिकोण होगा वही सफ़ल जीवन के आंकड़ों को तय करेगा। जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।
पुस्तक - *दृष्टिकोण ठीक रखें* , *मनःस्थिति बदले तो परिस्थिति बदले*, *निराशा को पास न फटकने दें* , *जीवन जीने की कला* , *सफल जीवन की दिशा धारा* इत्यादि पुस्तक का स्वाध्याय आपकी बेहतर जीवन जीने के मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा।
🙏🏻मुझसे प्रश्न तीन तरह के मानसिकता के लोग पूँछते हैं, पहला वो जो सच में जिज्ञासु होते हैं और जो कुछ समस्या का समाधान चाहते हैं, दूसरे वो जो अपना मात्र ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं, तीसरा वो जो मुझे परखना चाहते हैं।
आपके प्रश्न सूची यह बताती है कि आप समस्या का समाधान नहीं ढूढ रहे, मात्र ज्ञान में वृद्धि कर रहे है। आपका एक ज्ञानी का चिंतन है।
भाई, हम ह्यूमन साइकोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं, और गुरुदेव के लिखे ज्ञानमृत से जन जन के जीवन की समस्या के समाधान के रूप में दवा के रूप में वितरित करना चाहते हैं। अध्यात्म किसी के जीवन में उपचार कैसे करे उस पर केंद्रित हैं।
*आप जैसे ज्ञानी स्वतः स्वाध्याय करके ज्ञान बढ़ा सकते हैं, आपको मेरी मदद की जरूरत नहीं है।* अतः उन परिजनों की *सेवा का सौभाग्य* करने में, काउंसलिंग करने में मुझे फोकस करने दीजिए जो मानसिक रूप से व्यथित व परेशान हैं। जो साधना मार्ग में सहायता चाहते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
My four questions
♦value adoption for self development
♦value adoption in family
♦value adoption in professional life
♦principle of better living
♦आत्म विकास के लिए मूल्य अपनाना
♦परिवार में मूल्य अपनाना
♦व्यवसायी जीवन में मूल्य अपनाना
♦बेहतर जीवन का सिद्धांत
Didi pls provide my questions answer with reference of gurudev literature only.
🙏
उत्तर - आत्मीय भाई,
भारतीय संस्कृति में *मूल्य* वह अवधारणा है जो मानव को पशुता से दूर लाकर, उसे उन्नति की ओर अग्रसर करती है । नर पशु से मानव 👉🏻 फिर देव मानव की ओर अग्रसर करता है।
1- *आत्म विकास के लिए कौन सा मूल्य अपनाना चाहिए?*
सर्वप्रथम देह की परिधि से परे जाना होगा, स्वयं को देह नहीं आत्मा मानना होगा। अगले क्रम में आत्मा को तत्व से जानना होगा, क्योंकि उसे तत्व से जाने बिना उसका विकास सम्भव ही नहीं है। तत्व से आत्मा को जानने के लिए सच्चे प्रयास की जरूरत है। यह प्रयास बाहर की प्रयोगशाला में नहीं अपितु अंतर्जगत की प्रयोगशाला में करना है। पुस्तक - *मैं क्या हूँ?* और *जीवन की सर्वोपरि आवश्यकता - आत्म ज्ञान* पढ़िये। इनमें वर्णित व्रतों का पालन कीजिये। विचार साधना कीजिये, चिंतन इस दिशा में गहन कीजिये।
2- *परिवार में कौन से मूल्य अपनाने चाहिए?*
अक्सर लोगों को झगड़ते देखा होगा कि मैंने अपने जीवनसाथी को इतना सुख दिया लेकिन उसने मुझे समझा ही नहीं, उसने मुझे सुख दिया नहीं।
एक बात बताइये जो आपके पास है ही नहीं वह दूसरों को दे कैसे सकते है? धन होगा तभी तो दूसरे को दे सकते हैं, इसी तरह जब सुखी होंगे तभी तो दूसरे को सुख दे सकेंगे, जब मन में शांति होगी तभी तो परिवार में शांति बाँट सकोगे। दो मानसिक भिखारी जिनके मन मे न सुख है न शांति वो सुखी गृहस्थी नहीं बना सकते। यदि इनमें से एक भी साधक हुआ व उसके मन में सुख-शांति होगी तो वो दूसरे को दे सकेगा, बच्चे को भी सँस्कार दिए जा सकेंगे।
पुस्तक - *भाव सम्वेदना की गंगोत्री* , *गृहस्थ एक तपोवन* , *मित्रभाव बढ़ाने की कला*, *अपना सुधार ही संसार की सबसे बड़ी सेवा है* इत्यादि पुस्तको को पढ़कर उनके सूत्र/मूल्य अपनाकर परिवार को सुखी व्यवस्थित बनाया जा सकता है।
3- *व्यवसायी जीवन में क्या मूल्य अपनाना चाहिए?*
अवव्यवस्थित मन से व्यवस्थित जॉब या व्यवसाय सम्भव नहीं है। समय प्रबन्धन के बिना व्यवसाय का प्रबंधन सम्भव नहीं है। क्या, कब, कैसे करना यह मन में गहन चिंतन से उभरना चाहिए? तब वह बाह्य संसार में एक्शन प्लान अनुसार होना चाहिए तभी सफलता मिलती है।
पुस्तक - *प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल* , *व्यवस्था बुद्धि की गरिमा* , *समय का सदुपयोग* , *सफलता के सात सूत्र साधन*
4- *बेहतर जीवन के सिद्धांत क्या हैं?*
बेहतर जीवन का एक वृक्ष है, जो बेहतर इंसान के भीतर से जन्म लेता है।
बेहतर जीवन क्या है? इसकी कोई सार्वभौमिक परिभाषा आप तय नहीं कर सकते। अक्सर यह सैद्धांतिक कम होता है तुलनात्मक ज्यादा होता है। इसे एक कहानी के माध्यम से समझें -
एक अमीर व्यक्ति के गाड़ी से जा रहा था, उसने चिलचिलाती धूप में बाईक वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*। बाइक वाले ने साइकिल वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
साइकिल वाले ने चिलचिलाती धूप में जूते पहने पैदल चलने वाले को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
जूते वाले पैदल व्यक्ति ने चिलचिलाती धूप में बिन जूते पैदल चलने वाले को देखा, जिसके पैर में छाले पड़ गए थे और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
उस पैदल चलने वाले चिलचिलाती धूप में लँगड़े को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*।
उस लँगड़े ने एक मृतक को देखा और भगवान को शुक्रिया अदा करते हुए कहा - *आपने मुझे बेहतर जीवन दिया*। कम से कम मैं जिंदा तो हूँ।
केवल मुर्दे के पास शुक्रिया कहने को कुछ नहीं था क्योंकि उसके पास तो जीवन ही नहीं था। जो लोग जीवित होते हुए भी भगवान को धन्यवाद नहीं कहते वो वस्तुतः मृत प्रजाति के लोग है। जिनका शरीर जिंदा है और मन मृतक।
ईमानदार लोग के लिए ईमानदार जीवन बेहतर है, धन लिप्सा में ग्रस्त व्यक्ति के लिए धनी होना बेहतर जीवन है, शरीर को सबकुछ समझने वाले के लिए सुंदर शरीर बेहतर जीवन का पर्याय है, और आत्मा को सबकुछ समझने वाले के लिए *आत्मज्ञान* प्राप्त करना सफल व बेहतर जीवन का पर्याय है। आपका जीवन के प्रति जो दृष्टिकोण होगा वही सफ़ल जीवन के आंकड़ों को तय करेगा। जैसी दृष्टि वैसी सृष्टि।
पुस्तक - *दृष्टिकोण ठीक रखें* , *मनःस्थिति बदले तो परिस्थिति बदले*, *निराशा को पास न फटकने दें* , *जीवन जीने की कला* , *सफल जीवन की दिशा धारा* इत्यादि पुस्तक का स्वाध्याय आपकी बेहतर जीवन जीने के मूल्य प्राप्त करने में मदद करेगा।
🙏🏻मुझसे प्रश्न तीन तरह के मानसिकता के लोग पूँछते हैं, पहला वो जो सच में जिज्ञासु होते हैं और जो कुछ समस्या का समाधान चाहते हैं, दूसरे वो जो अपना मात्र ज्ञान बढ़ाना चाहते हैं, तीसरा वो जो मुझे परखना चाहते हैं।
आपके प्रश्न सूची यह बताती है कि आप समस्या का समाधान नहीं ढूढ रहे, मात्र ज्ञान में वृद्धि कर रहे है। आपका एक ज्ञानी का चिंतन है।
भाई, हम ह्यूमन साइकोलॉजी से पोस्ट ग्रेजुएट हैं, और गुरुदेव के लिखे ज्ञानमृत से जन जन के जीवन की समस्या के समाधान के रूप में दवा के रूप में वितरित करना चाहते हैं। अध्यात्म किसी के जीवन में उपचार कैसे करे उस पर केंद्रित हैं।
*आप जैसे ज्ञानी स्वतः स्वाध्याय करके ज्ञान बढ़ा सकते हैं, आपको मेरी मदद की जरूरत नहीं है।* अतः उन परिजनों की *सेवा का सौभाग्य* करने में, काउंसलिंग करने में मुझे फोकस करने दीजिए जो मानसिक रूप से व्यथित व परेशान हैं। जो साधना मार्ग में सहायता चाहते हैं।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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