प्रश्न - *पूजा, जप व ध्यान के वक़्त आसन पर बैठने की आवश्यकता क्यों है? इसका क्या महत्त्व है?*
उत्तर - धार्मिक कार्यों में पूजन, ध्यान या जप के दौरान आसन का प्रयोग सदियों से चला आ रहा है। पूजा-पाठ घर में हो या किसी देव मंदिर में, बैठकर पूजन करने के लिए हम आसन का उपयोग करते हैं। शास्त्रों में हर प्रकार की कामना के लिए अलग-अलग आसन बताए गए हैं। लेकिन नित्य पूजा करते समय कैसा आसन होना चाहिए, यह बात आज भी शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं। क्या बिना आसन पूजा हम कर सकते हैं या आसन बिछाए बिना क्या हम पूजा-पाठ कर सकते हैं? अगर हम ऐसा करते हैं तो उसका क्या फल मिलता है? यदि आप इन सब बातों को नहीं जानते हैं तो चलिए आगे इसे जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार मंत्र जाप करते समय हमेशा आसन बिछाना चाहिए। बिना आसन भूमि पर बैठकर मंत्र जाप करने से साधना निष्फल होती है।
साधना के दौरान मनुष्य ब्रह्माण्ड की शक्तियों को खींचता है और उससे जुड़ता है, उस आकर्षित ऊर्जा को अवशोषित करने में कुछ मिनट का समय लगता है। यदि साधक आसन प्रयोग नहीं करता तो वह ऊर्जा सीधे पृथ्वी में प्रवेश कर जाती है और शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाती।
1- *कंबल या ऊनी वस्त्र का आसन*
गृहस्थों के लिए कंबल व ऊनी वस्त्र के आसन पर बैठ कर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है लाल रंग का कंबल माँ भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए तो सर्वोत्म माना गया हैं । पीला रंग धन धान्य की वृद्धि करता है। सफ़ेद रंग शांति देता है।
2- *कुशा का आसन*
कुशा का आसन योगियों के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ हैं यह कुशा नामक घास से बनाया जाता है, जो भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई है । इस आसन पर बैठ कर पूजा करने से सर्वसिद्धि मिलती है । किसी भी मंत्र को सिद्ध करने में कुषा का आसन सबसे अधिक प्रभावी है।लेकिन विशेष कर पिंडदान, श्राद्ध कर्म इत्यादि के कार्यों में कुशा के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे अनिष्ट होने संभावना होती है ।
3- *हिरन के चमड़े का आसन*
हिरन के चमड़े का आसन यह बह्मचर्य, ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ आसन हैं । इस पर बैठ कर पूजा करने से सारी इंद्रियां संयमित रहती है कीड़े-मकोड़ों, रक्त, विकार, वायु- पित विकार आदि से साधक की रक्षा होती है । यह शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है । लेकिन गृहस्थ जीवन के साधकों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
1- *बाघ के चमड़े का आसन*
बाघ के चमड़े का आसन का प्रयोग बड़े बड़े सन्यासी, योगी तथा साधु महात्मा एवं स्वयं भगवान महादेव करते हैं । इस आसन पर साधना करने से सात्विक गुण, धन वैभव, भू संपदा, पद प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति होती हैं ।
*आसन पर बैठने का नियम*
1- किसी भी नए आसन पर बैठने से पहले आसन को प्रणाम कर लेना चाहिए ।
2- आसन देवता से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे आसन मैं, जब तक आपके ऊपर बैठ कर पूजा करूं तब तक आप मेरी रक्षा करें तथा मुझे मेरी मनोवांछित सिद्धि प्रदान करें ।
3- पूजा में किसी दूसरे के आसन का नहीं करना चाहिए । क्योंकि आसन में साधक की ऊर्जा के कण विद्यमान होते हैं।
4- आसन विनियोग के बाद साधक पहले पूर्व या उत्तर दिशा की ओर भगवान के सम्मुख घी का दीपक जरूर जलावें, और दीपक जलाते समय इस वैदिक मंत्र का उच्चारण करना चाहिए ।
5- पूजा समाप्त होने के बाद अपने आसन को स्वयं ही मोड़ कर ऐसी जगह रखना चाहिए जहां उसे कोई दूसरा अशुद्ध अवस्था मे स्पर्श नहीं कर सके ।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - धार्मिक कार्यों में पूजन, ध्यान या जप के दौरान आसन का प्रयोग सदियों से चला आ रहा है। पूजा-पाठ घर में हो या किसी देव मंदिर में, बैठकर पूजन करने के लिए हम आसन का उपयोग करते हैं। शास्त्रों में हर प्रकार की कामना के लिए अलग-अलग आसन बताए गए हैं। लेकिन नित्य पूजा करते समय कैसा आसन होना चाहिए, यह बात आज भी शायद बहुत कम लोग ही जानते हैं। क्या बिना आसन पूजा हम कर सकते हैं या आसन बिछाए बिना क्या हम पूजा-पाठ कर सकते हैं? अगर हम ऐसा करते हैं तो उसका क्या फल मिलता है? यदि आप इन सब बातों को नहीं जानते हैं तो चलिए आगे इसे जानते हैं।
शास्त्रों के अनुसार मंत्र जाप करते समय हमेशा आसन बिछाना चाहिए। बिना आसन भूमि पर बैठकर मंत्र जाप करने से साधना निष्फल होती है।
साधना के दौरान मनुष्य ब्रह्माण्ड की शक्तियों को खींचता है और उससे जुड़ता है, उस आकर्षित ऊर्जा को अवशोषित करने में कुछ मिनट का समय लगता है। यदि साधक आसन प्रयोग नहीं करता तो वह ऊर्जा सीधे पृथ्वी में प्रवेश कर जाती है और शरीर द्वारा अवशोषित नहीं हो पाती।
1- *कंबल या ऊनी वस्त्र का आसन*
गृहस्थों के लिए कंबल व ऊनी वस्त्र के आसन पर बैठ कर पूजा करना सर्वश्रेष्ठ कहा गया है लाल रंग का कंबल माँ भगवती, लक्ष्मी, हनुमानजी आदि की पूजा के लिए तो सर्वोत्म माना गया हैं । पीला रंग धन धान्य की वृद्धि करता है। सफ़ेद रंग शांति देता है।
2- *कुशा का आसन*
कुशा का आसन योगियों के लिए यह आसन सर्वश्रेष्ठ हैं यह कुशा नामक घास से बनाया जाता है, जो भगवान के शरीर से उत्पन्न हुई है । इस आसन पर बैठ कर पूजा करने से सर्वसिद्धि मिलती है । किसी भी मंत्र को सिद्ध करने में कुषा का आसन सबसे अधिक प्रभावी है।लेकिन विशेष कर पिंडदान, श्राद्ध कर्म इत्यादि के कार्यों में कुशा के आसन का प्रयोग नहीं करना चाहिए, इससे अनिष्ट होने संभावना होती है ।
3- *हिरन के चमड़े का आसन*
हिरन के चमड़े का आसन यह बह्मचर्य, ज्ञान, वैराग्य, सिद्धि शांति एवं मोक्ष प्रदान करने वाला सर्वश्रेष्ठ आसन हैं । इस पर बैठ कर पूजा करने से सारी इंद्रियां संयमित रहती है कीड़े-मकोड़ों, रक्त, विकार, वायु- पित विकार आदि से साधक की रक्षा होती है । यह शारीरिक ऊर्जा भी प्रदान करता है । लेकिन गृहस्थ जीवन के साधकों को इसका प्रयोग नहीं करना चाहिए ।
1- *बाघ के चमड़े का आसन*
बाघ के चमड़े का आसन का प्रयोग बड़े बड़े सन्यासी, योगी तथा साधु महात्मा एवं स्वयं भगवान महादेव करते हैं । इस आसन पर साधना करने से सात्विक गुण, धन वैभव, भू संपदा, पद प्रतिष्ठा आदि की प्राप्ति होती हैं ।
*आसन पर बैठने का नियम*
1- किसी भी नए आसन पर बैठने से पहले आसन को प्रणाम कर लेना चाहिए ।
2- आसन देवता से यह प्रार्थना करनी चाहिए कि हे आसन मैं, जब तक आपके ऊपर बैठ कर पूजा करूं तब तक आप मेरी रक्षा करें तथा मुझे मेरी मनोवांछित सिद्धि प्रदान करें ।
3- पूजा में किसी दूसरे के आसन का नहीं करना चाहिए । क्योंकि आसन में साधक की ऊर्जा के कण विद्यमान होते हैं।
4- आसन विनियोग के बाद साधक पहले पूर्व या उत्तर दिशा की ओर भगवान के सम्मुख घी का दीपक जरूर जलावें, और दीपक जलाते समय इस वैदिक मंत्र का उच्चारण करना चाहिए ।
5- पूजा समाप्त होने के बाद अपने आसन को स्वयं ही मोड़ कर ऐसी जगह रखना चाहिए जहां उसे कोई दूसरा अशुद्ध अवस्था मे स्पर्श नहीं कर सके ।
🙏🏻श्वेता, DIYA
No comments:
Post a Comment