Saturday 16 November 2019

मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है?

*मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता आप है?*

आधुनिक चिकित्सा व अस्पताल क्या मौत टाल रहे हैं? उत्तर हाँ है। क्योंकि मनुष्य की औसत आय पहले से डेढ़ गुना बढ़ गयी है।

जन्म व मृत्यु भी इंसान के कर्म प्रभावित कर सकने में सम्भव है।

हिन्दू धर्म मे तलाक का कोई सिस्टम बना ही नहीं था। पति या पत्नी एक दूसरे को छोड़ देते थे जिसे त्यागना कहते थे, लेकिन इसे विवाह बंधन की मुक्ति या विच्छेद नहीं माना जाता था। आधुनिक कानून ने विवाह में विच्छेद का भी प्रावधान कर दिया। 

अतः विवाह को भी मनुष्य के कर्म प्रभावित कर रहे हैं।

मनुष्य ने धरती को प्रदूषित करके सामूहिक मौत और फेफड़ों की लाइलाज बीमारियों का इंतज़ाम कर लिया है।

अतः मनुष्य के कर्म यहां भी जीवन व पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है।

अमीर या गरीब मनुष्य अपने कर्मो द्वारा बन सकता है? विवाह करना न करना मनुष्य की स्वयं की इच्छा पर निर्भर है। बच्चे कितने पैदा करना है यह भी मनुष्य तय कर सकता है? मरना कब और कैसे है यह भी मनुष्य तय कर सकता है। सब कुछ तो मनुष्य के हाथ मे है।

हमारे अच्छे या बुरे कर्म ही इस जन्म व अगले जन्मों को प्रभावित कर रहे है।

जब भगवान ने मनुष्य को कर्म करने में पूर्णतयः स्वतंत्र छोड़ रखा है, फ़िर इंसान भगवान को दोष 🤔 क्यों देता है?


🙏🏻श्वेता, DIYA

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