*जो स्वार्थ में बनेंगे वो रिश्ते तो टूटेंगे ही*
दूध में नींबू डलेगा,
वो दूध तो फटेगा ही,
रिश्ता जो स्वार्थ में बनेगा,
वो रिश्ता तो टूटेगा ही।
आज मां बेटी को,
परिवार में सेवा-सहकार सिखाती नहीं,
आज पिता बेटे को,
परिवार के लिए कष्ट उठाना सिखाता नहीं।
आज स्वार्थ की तराजू देकर,
बेटी को ससुराल भेजा जाता है,
आज स्वार्थ का व्यापारी बनकर,
बहु को घर लाया जाता है।
जैसे ही रिश्ते में घाटा दिखा,
वैसे ही रिश्ते में बिखराव शुरू,
सच्चे प्रेम व त्याग के अभाव में,
कोर्ट कचहरी की बात शुरू।
पाश्चात्य की स्वार्थभरी आंधी से,
पुनः परिवार को टूटने से बचाना होगा,
भारतीय संस्कारों का खाद पानी देकर,
पुनः जन जन में निःस्वार्थ प्रेमभाव रोपना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
दूध में नींबू डलेगा,
वो दूध तो फटेगा ही,
रिश्ता जो स्वार्थ में बनेगा,
वो रिश्ता तो टूटेगा ही।
आज मां बेटी को,
परिवार में सेवा-सहकार सिखाती नहीं,
आज पिता बेटे को,
परिवार के लिए कष्ट उठाना सिखाता नहीं।
आज स्वार्थ की तराजू देकर,
बेटी को ससुराल भेजा जाता है,
आज स्वार्थ का व्यापारी बनकर,
बहु को घर लाया जाता है।
जैसे ही रिश्ते में घाटा दिखा,
वैसे ही रिश्ते में बिखराव शुरू,
सच्चे प्रेम व त्याग के अभाव में,
कोर्ट कचहरी की बात शुरू।
पाश्चात्य की स्वार्थभरी आंधी से,
पुनः परिवार को टूटने से बचाना होगा,
भारतीय संस्कारों का खाद पानी देकर,
पुनः जन जन में निःस्वार्थ प्रेमभाव रोपना होगा।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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