प्रश्न - *दिपावली तो भगवान श्री राम के अयोध्या लौटने की खुशी में मनाते हैं, किन्तु दिपावली के पाँचो दिन भगवान श्रीराम को छोड़ कर अन्य देवी देवताओं की पूजा क्यों करते हैं?*
उत्तर- आत्मीय भाई, यदि एक ही तारीख़ को पिता व पुत्र का जन्मदिन हो तो तारीख़ को कोई पिता के जन्म से याद रखता है तो कोई पुत्र के जन्मदिन से याद रखता है। कोई दोनों के जन्मदिन को जानता है।
इसीतरह कार्तिक अमावस्या का दीपावली पर्व है। जो भगवान विष्णु के तीन अवतार वामन, श्रीराम और कृष्ण तीनों से सम्बंधित है।
लक्ष्मी जी का प्राकट्य दिवस शरद पूर्णिमा है। उनका विधिवत पूजन जनसामान्य द्वारा अमावस्या से शुरू हुआ।
राजा बली के संबंध में दीपावली उत्सव की कथा है। हिंदू पुराणों के अनुसार, राजा बली एक दयालु दैत्यराज था। वह इतना शक्तिशाली था कि वह स्वर्ग के देवताओं व उनके राज्य के लिए खतरा बन गया। बली की ताकत को मंद करने के लिए विष्णु एक बौने भिक्षुक ब्राह्मण वामन अवतार के रूप में आए। ब्राह्मण ने चतुराई से राजा से तीन पग के बराबर भूमि मांगी। राजा ने खुशी के साथ यह दान दे दिया। बली को कपट से फंसाने के बाद, विष्णु ने स्वयं को प्रभु के स्वरूप में पूर्ण वैभव के साथ प्रकट कर दिया। उसने अपने पहले पग से स्वर्ग व दूसरे पग से पृथ्वी को नाप लिया। यह जानकर कि उसका मुकाबला शक्तिशाली विष्णु के साथ है, बली ने आत्म समर्पण कर दिया व अपना शीश अर्पित करते हुए विष्णु को अपना पग उस पर रखने के लिए आमंत्रित किया। विष्णु ने अपने पग से उसे अधोलोक में धकेल दिया। इसके बदले में विष्णु ने, समाज के निम्न वर्ग के अंधकार को दूर करने के लिए उसे ज्ञान का दीपक प्रदान किया। उसने, उसे यह आशीर्वाद भी दिया कि वह वर्ष में एक बार अपनी जनता के पास अपने एक दीपक से लाखों दीपक जलाने के लिए आएगा ताकि दीवाली की अंधेरों रात को, अज्ञान, लोभ, ईर्ष्या, कामना, क्रोध, अहंकार और आलस्य के अंधकार को दूर किया जा सके, तथा ज्ञान, विवेक और मित्रता की चमक लाई जा सके। आज भी प्रत्येक वर्ष दीवाली के दिन एक दीपक से दूसरा जलाया जाता है, और बिना हवा की रात में स्थिर जलने वाली लौ की भांति संसार को शांति व भाइचारे का संदेश देती है।
भगवान विष्णु से बलि ने माता लक्ष्मी की कृपा पाने का उपाय पूँछा तो कार्तिक अमावस्या को धन-धान्य के लिए पूजन विधान बताया। दीपावली का दिन शक्ति पूजा काली पूजा के लिए विशेष है।
श्रीराम जी भी अयोध्या इसी दिन लौटे और अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर स्वागत किया।
धनतेरस भगवान धन्वंतरि का प्राकटय दिवस है, नरकचौदस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की विजयदिवस है, गोवर्द्धन पर्वत - भगवान कृष्ण की विजयदिवस है। भाई दूज भाई यमराज व बहन यमुना से सम्बंधित है।
वर्तमान में पांचों तारीख़ मुख्य है, लेकिन पांचो के विशेष होने में युगों का अंतर है। इसलिए ऋषियों ने पाँचो को एक समूह में डालकर दीपावली उत्सव के नाम से घोषित कर दिया।
एक तारीख़ अनेकों महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम की द्योतक है। इसलिए विभिन्न दिनों में श्रद्धानुसार लोग अपनी अपनी लोक मान्यता के अनुसार विभिन्न देवताओं का पूजन करते हैं। रामभक्त श्रीराम-सीता की पूजा दीपावली में करते हैं, व लक्ष्मीभक्त लक्ष्मी की और काली भक्त काली पूजा करते हैं।
कार्तिक अमावस्या दीपावली गुजरात मे नववर्ष की द्योतक है, व्यापारियों के लिए खाता व्यापार का आर्थिक लेखा जोखा पर्व है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- आत्मीय भाई, यदि एक ही तारीख़ को पिता व पुत्र का जन्मदिन हो तो तारीख़ को कोई पिता के जन्म से याद रखता है तो कोई पुत्र के जन्मदिन से याद रखता है। कोई दोनों के जन्मदिन को जानता है।
इसीतरह कार्तिक अमावस्या का दीपावली पर्व है। जो भगवान विष्णु के तीन अवतार वामन, श्रीराम और कृष्ण तीनों से सम्बंधित है।
लक्ष्मी जी का प्राकट्य दिवस शरद पूर्णिमा है। उनका विधिवत पूजन जनसामान्य द्वारा अमावस्या से शुरू हुआ।
राजा बली के संबंध में दीपावली उत्सव की कथा है। हिंदू पुराणों के अनुसार, राजा बली एक दयालु दैत्यराज था। वह इतना शक्तिशाली था कि वह स्वर्ग के देवताओं व उनके राज्य के लिए खतरा बन गया। बली की ताकत को मंद करने के लिए विष्णु एक बौने भिक्षुक ब्राह्मण वामन अवतार के रूप में आए। ब्राह्मण ने चतुराई से राजा से तीन पग के बराबर भूमि मांगी। राजा ने खुशी के साथ यह दान दे दिया। बली को कपट से फंसाने के बाद, विष्णु ने स्वयं को प्रभु के स्वरूप में पूर्ण वैभव के साथ प्रकट कर दिया। उसने अपने पहले पग से स्वर्ग व दूसरे पग से पृथ्वी को नाप लिया। यह जानकर कि उसका मुकाबला शक्तिशाली विष्णु के साथ है, बली ने आत्म समर्पण कर दिया व अपना शीश अर्पित करते हुए विष्णु को अपना पग उस पर रखने के लिए आमंत्रित किया। विष्णु ने अपने पग से उसे अधोलोक में धकेल दिया। इसके बदले में विष्णु ने, समाज के निम्न वर्ग के अंधकार को दूर करने के लिए उसे ज्ञान का दीपक प्रदान किया। उसने, उसे यह आशीर्वाद भी दिया कि वह वर्ष में एक बार अपनी जनता के पास अपने एक दीपक से लाखों दीपक जलाने के लिए आएगा ताकि दीवाली की अंधेरों रात को, अज्ञान, लोभ, ईर्ष्या, कामना, क्रोध, अहंकार और आलस्य के अंधकार को दूर किया जा सके, तथा ज्ञान, विवेक और मित्रता की चमक लाई जा सके। आज भी प्रत्येक वर्ष दीवाली के दिन एक दीपक से दूसरा जलाया जाता है, और बिना हवा की रात में स्थिर जलने वाली लौ की भांति संसार को शांति व भाइचारे का संदेश देती है।
भगवान विष्णु से बलि ने माता लक्ष्मी की कृपा पाने का उपाय पूँछा तो कार्तिक अमावस्या को धन-धान्य के लिए पूजन विधान बताया। दीपावली का दिन शक्ति पूजा काली पूजा के लिए विशेष है।
श्रीराम जी भी अयोध्या इसी दिन लौटे और अयोध्यावासियों ने दीप जलाकर स्वागत किया।
धनतेरस भगवान धन्वंतरि का प्राकटय दिवस है, नरकचौदस नरकासुर पर भगवान कृष्ण की विजयदिवस है, गोवर्द्धन पर्वत - भगवान कृष्ण की विजयदिवस है। भाई दूज भाई यमराज व बहन यमुना से सम्बंधित है।
वर्तमान में पांचों तारीख़ मुख्य है, लेकिन पांचो के विशेष होने में युगों का अंतर है। इसलिए ऋषियों ने पाँचो को एक समूह में डालकर दीपावली उत्सव के नाम से घोषित कर दिया।
एक तारीख़ अनेकों महत्त्वपूर्ण घटनाक्रम की द्योतक है। इसलिए विभिन्न दिनों में श्रद्धानुसार लोग अपनी अपनी लोक मान्यता के अनुसार विभिन्न देवताओं का पूजन करते हैं। रामभक्त श्रीराम-सीता की पूजा दीपावली में करते हैं, व लक्ष्मीभक्त लक्ष्मी की और काली भक्त काली पूजा करते हैं।
कार्तिक अमावस्या दीपावली गुजरात मे नववर्ष की द्योतक है, व्यापारियों के लिए खाता व्यापार का आर्थिक लेखा जोखा पर्व है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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