Wednesday 25 December 2019

प्रश्न- *दी, हम सरकारी शिक्षक हैं, एक क्लास में 80 से 100 बच्चे हैं। यह सब ग्रामीण बच्चे हैं, मजदूरों के बच्चे हैं या झुग्गी झोंपड़ी के बच्चे हैं। इनके माता-पिता से कोई सपोर्ट नहीं मिलता। घर पर पढ़ने का माहौल ही नहीं है। सम्हालना व पढ़ाना अति दुष्कर कार्य है। जबकि प्राइवेट स्कूल में एक शिक्षक को मात्र 20 से 40 बच्चों को सम्हालना होता है, और उन्हें माता-पिता का भी सपोर्ट मिलता है। मार्गदर्शन करें...*

प्रश्न- *दी, हम सरकारी शिक्षक हैं, एक क्लास में 80 से 100 बच्चे हैं। यह सब ग्रामीण बच्चे हैं, मजदूरों के बच्चे हैं या झुग्गी झोंपड़ी के बच्चे हैं। इनके माता-पिता से कोई सपोर्ट नहीं मिलता। घर पर पढ़ने का माहौल ही नहीं है। सम्हालना व पढ़ाना अति दुष्कर कार्य है। जबकि प्राइवेट स्कूल में एक शिक्षक को मात्र 20 से 40 बच्चों को सम्हालना होता है, और उन्हें  माता-पिता का भी सपोर्ट मिलता है। मार्गदर्शन करें...*

उत्तर- आत्मीय दी, एक प्रश्न स्वयं से पूंछो क्या गवर्नमेंट टीचर की नौकरी छोड़कर प्राइवेट टीचर बनना चाहोगी?
उत्तर में नहीं बोलोगी, क्योंकि एक सरकारी टीचर की सैलरी में तीन से चार प्राइवेट टीचर मिल जाएंगे। वो भी  अत्यंत क्वालिफाइड और डेडिकेटेड, क्योंकि प्राइवेट जॉब में परफॉर्म नहीं करोगे तो तुरंत निकाल दिए जाओगे।

सरल कार्य के लिए कम सैलरी और कठिन कार्य के लिए ज्यादा सैलरी संसार में मिलती है। कठिन व चुनौतीपूर्ण कार्य है इसलिए तो आपको सरकार ने चुना है। ख़ुद से सवाल कीजिये यदि मैं प्राइवेट टीचर से ज्यादा चार गुना सैलरी ले रही हूँ तो मुझे प्राइवेट टीचर से चार गुना काम करना है।

एक सूर्य इतना चुम्बकत्व पैदा करता है कि पूरे ग्रह नक्षत्रों को उनकी धुरी से हटने नहीं देता। उन्हें नियंत्रित करता है। कोई उसे जल चढ़ाएं या न चढ़ाए व सुबह नियम से उठता है।

समस्या जहां है समाधान वहीं है। यदि समाधान ढूंढेंगी तो समाधान मिलेगा, समस्या गिनेंगी तो समस्या बड़ी दिखेगी।

🙏🏻 *मेरे पिताजी बहुत बड़े सरकारी शिक्षा अधिकारी थे, उनका ट्रांसफर होता रहता था। एक बार उन्हें मीटिंग में चैलेंज किया गया कि सरकारी शिक्षा ऑफिसर अपने बच्चों को सरकारी स्कूल में नहीं डालते व भाषण देते हैं। सीधी मध्यप्रदेश की घटना है, हमको प्राइवेट स्कूल से निकालकर सरकारी स्कूल में डाल दिया गया। उस वक्त हम 6th क्लास में थे। 30 बच्चों के एक क्लास में पढ़ते थे अब समुद्र में पहुंच गए। 80 से 85 बच्चे थे, ऐसा लगा मानो समुद्र में पहुंच गए। पिताजी सभी सरकारी स्कूल के उत्थान में जुट गए थे, संसाधन सीमित थे लेकिन उनका मोटिवेशन हाई था।*
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*उन्होंने कुछ निम्नलिखित सुझाव सभी सरकारी स्कूल के टीचर व प्रिंसीपल को बुलाकर शिक्षण गुणवत्ता सुधार हेतु दिया था:-*

1- प्रत्येक क्लास में कुछ बच्चे होशियार होते हैं, अतः 5 बच्चों को विभिन्न पदों के लिए मॉनिटर बनाओ। उनसे क्विक अटेंडेंस लेने में मदद लो।

2- कुछ एक्स्ट्रा एफर्ट लगा के उन बच्चों को ऐसा तैयार करो कि जब तुम रिपोर्ट वगैरह बनवा रहे हो तो वह बच्चे तुम्हारा कराया रिविजन वर्क बच्चों को करवा दें।

3- पूरे स्कूल में चुनाव करवाओ और क्लास लेवल का और स्कूल लेवल अध्यक्ष उपाध्यक्ष खेल व इनोवेशन का बनवाओ।

4- उन्हें समस्या दो व उनके समाधान ढूंढने के लिए प्रेरित करो।

5- बच्चों का हथेली पेपर पर रख के उसके चारों तरफ पेन घुमाओ। जब हथेली का प्रिंट बनकर तैयार हो जाये तो उसमें लिखवाओ, मेरी किस्मत मेरे हाथ मे है। मैं अपने भाग्य का निर्माता हूँ। मैं मेरा भाग्य अच्छा लिखूंगा। जो मैं बोउंगा वही काटूँगा।

6- कठिन परिस्थिति से निकले और गरीबी की जंजीरों को तोड़कर महान बने महापुरुषों की कहानियाँ प्रत्येक शनिवार को सांस्कृतिक प्रोग्राम में बच्चों को एकत्र करो और उन बच्चों से बुलवाओ।

7- वीररस की कविताओं का सांस्कृतिक कार्यक्रम में पाठ करवाओ।

8- बच्चों को सेल्फ मोटिवेटेड करो।

9- तुम अपने कर्तव्यों का पालन करो आगे फल ईश्वर पर छोड़ दो। मेरे बच्चे भी आपके स्कूल में पढ़ रहे हैं, मुझे रिपोर्ट मिलती रहेगी।

10- प्रिंसिपल सर आप केवल शिक्षकों का भी सांस्कृतिक कार्यक्रम रखेंगे, उनसे मोटिवेशनल टाक सुनेंगे, उन्होंने इस महीने क्या प्रश्न उत्तर बैंक बच्चों के लिए तैयार किये? क्या पढ़ाने के लिए इनोवेशन सोचा? जो बेहतर करे उसे पुरस्कृत करें। कम्पटीशन करवाएं।

11- सभी अध्यापक गण ध्यान रखें कि घर की टेंशन स्कूल नहीं पहुंचनी चाहिए और स्कूल की टेंशन घर नहीं जाना चाहिए। यह शिक्षक बनने का निर्णय आपका था, अतः यह जिम्मेदारी निष्ठा से निभाएं।

12- चिकित्सक की ग़लती कब्र में या तो दफ़न हो जाती है या चिता में जल जाती है। वकील की गलती थोड़ी तबाही लाती है। मिस्त्री की ग़लती भवन में कुछ को दिखती है। इंजीनियर की गलती से पुल टूटते हैं और कुछ मरते हैं। मग़र शिक्षक की ग़लती पूरे समाज में तबाही लाती है।

13- माता पिता द्वारा की गलती को शिक्षक सम्हाल सकता है। लेकिन शिक्षक द्वारा की गलती को कोई नहीं सम्हाल सकता है।

14- अब हमें तय करना है कि बैठकर समस्या का रोना रोएं या महामानव की फैक्ट्री गढ़ने की टकसाल - स्कूल में पूरे मनोयोग से कार्य करने में जुटे।

15- आपके हाथों में मैंने मेरे बच्चों को भी सौंप दिया है। विश्वास किया है, इस विश्वास की रक्षा कीजिये, सैनिक व चिकित्सक से भी कठिन कार्य शिक्षण को पूर्ण निष्ठा व जिम्मेदारी से कीजिये।

16- पंद्रह अगस्त व 26 जनवरी को ग्राम पंचायत के सरपंच व आसपास के अधिकारियों को न्योता दो। ग्रामीणों को और पेरेंट्स को बुलाओ, उनमें देशभक्ति जगाने के लिए कार्यक्रम आयोजित करो।

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*आप बच्चों को प्रतियोगी परीक्षाओं व वार्षिक एग्जाम के लिए तैयार इस तरह करें* :-

1. *पढ़ाई का समय छोटे-छोटे भागों में बाट लें* : सबसे पहली और महत्वपूर्ण बात यह हैं कि जब भी आप पढ़ने बैठे काफी लंबे समय तक पढ़ाई करने की बजाय 30-45min तक ही पढ़े। क्योंकि लगातार पढ़ने की जगह टुकड़ों में की गई पढ़ाई ज्यादा फायदेमंद होती है। आप अपनी पढ़ाई करने के समय को छोटे-छोटे हिस्सों में बाट लें। कभी भी बहुत ही लंबे समय तक ज्यादा पढ़ाई ना करें, क्योंकि हमारा दिमाग छोटे छोटे हिस्सों में की गई पढ़ाई को एक बड़े हिस्से में की गई पढ़ाई की तुलना में ज्यादा जल्दी याद रख पाता है।

2. *एक दिन में 2-3 विषय ज़रूर पढ़ें :* ज्यादातर छात्र एग्जाम के समय एक ही विषय को पूरा दिन पढ़ने में लगा देते हैं जबकि ऐसा करने से आप जल्दी ही उस विषय से बोर हो जाते हैं| इसलिए कोशिश करें की हमेशा एक दिन में दो या तीन विषय पढ़ें ताकि आपकी रूचि पढ़ाई के प्रति बनी रहे|

3. *पढ़ने के लिए उद्देश्य भी है ज़रूरी:* बिना किसी उद्देश्य के अध्ययन करने की बजाय किसी भी टॉपिक को पढ़ने से पहले उसके प्रश्न तथा महत्वपूर्ण बिन्दुओं को चैप्टर के अंत में एक बार पढ़ लें, अब जब आप पढ़ाई करेंगे तो आपको अच्छी तरह पता होगा की आपके लिए क्या और कितना पढ़ना लाभदायक है|

4. *तनावरहित रहें :* कभी भी पढ़ाई एग्जाम के तनाव में नहीं बल्किं तनावरहित रह कर पढ़ने की कोशिश करें|
*उदाहरण के तौर पर*- एक बार एक स्कूल में छात्रों को दो ग्रुप में बाट दिया गया| दोनों ग्रुप को एक ही टॉपिक दिया गया। लेकिन एक ग्रुप के छात्रों को कहा गया की आपको इस विषय का एग्जाम देना होगा और दूसरे ग्रुप के छात्रों को बताया गया की आपको इस विषय को दूसरे छात्रों को समझाना है। दोनों में से जिस ग्रुप के छात्रों को पढ़ाने के लिए बोला गया था उनकी उस विषय में तैयारी काफी अच्छी थी, क्योंकि जब आप किसी विषय को बिना तनाव के पढ़ते हैं तो आपकी तैयारी और अच्छी होती है|

5. *प्रैक्टिस भी है ज़रूरी :* जब हम किसी भी टॉपिक की प्रैक्टिस करते हैं तो हमें पता चलता है कि वह टॉपिक हमें कितना समझ आया है या हम कहाँ गलतियाँ कर सकते हैं| तो छात्र जितना ज़्यादा पढ़े हुवे टॉपिक्स पर प्रैक्टिस करेंगे उतना ही ज़्यादा आपको उस टॉपिक का कांसेप्ट क्लियर होगा| एग्जाम से पहले जितने भी टॉपिक्स आपने पढ़ा है या पढ़ने वालें हैं उसके लिए प्रैक्टिस का भी समय ज़रूर निकालें|

6. *पढ़ाई के लिए सही जगह का चुनाव भी है ज़रूरी :* आप जब भी पढ़ाई करने बैठे हमेशा ऐसी जगह का चुनाव करें जहाँ आपके पढ़ाई के लिए उपयुक्त वातावरण हो तथा अन्य गतिविधियों के कारण आप पढ़ाई से भटकें नहीं| पढ़ते समय जिस भी चीज़ की आवश्यकता हो उसे अपने साथ लेकर बैठे ताकि आपको पढ़ते समय कोई परेशानी ना हो| फोन तथा अन्य इलेक्ट्रॉनिक गजेट्स को पढ़ते समय खुद से दूर रखें|

7- *घर के कार्य में भी हाथ बंटाये* - पढ़ना भी जरूरी है व परिवार की मदद भी जरूरी है। कुछ समय मदद जरूर करें।

8- *यदि घर में कलह व किच-किच ज्यादा है, तो उस लड़ाई को दिमाग़ में प्रवेश मत दो* - ख़ुद से कहो, मेरे घर में लड़ाई की वज़ह ग़रीबी है और दुर्बुद्धि है। मैं घर के सभी सदस्यों की सद्बुद्धि के लिए भगवान से प्रार्थना करूंगा और ग़रीबी को जड़ से मिटाने के लिए पढ़ाई करूँगा। अंधकार से युद्ध करके हराया नहीं जा सकता, बल्कि प्रकाश के लिए प्रयत्न करके एक छोटे से दीप को जलाया जा सकता है। ग़रीबी को हराना है तो कमाना पड़ेगा। अधिक धन दिमाग़ी कार्य करने पर मिलता है, और दिमागी कार्य के लिए पढ़ना जरूरी है।

निष्कर्ष- बच्चों हमने आपको बड़े ही आसान टिप्स बताएं हैं जिनको फॉलो कर आप भी बोर्ड एग्जाम में अच्छे अंक प्राप्त कर सकते हैं|

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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