प्रश्न - *दी, रूद्राक्ष धारण करने के फायदे बताये, कुछ लोग कहते हैं कि रूद्राक्ष धारण नहीं करना चाहिए ?*
उत्तर - आत्मीय बहन,
जिस तरह यग्योपवीत(जनेऊ) माता गायत्री की धागे की प्रतिमा है, उसे विधिवत मन्त्र द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करके धारण करने के बाद गायत्री मंत्र नित्य जपना अनिवार्य है।
इसी तरह रुद्राक्ष को शिव का प्रत्यक्ष अंश माना गया है, पुराणों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि ये रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन *रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं जो समान हैं।*
*रुद्राक्ष* कई तरह के होते हैं एक मुखी, दो मुखी, पँच मुखी इत्यादि।
आप किसी भी तरह का रुद्राक्ष क्यों ना धारण करने जा रहे हों, या किसी विशेष उद्देश्य के तहत रुद्राक्ष धारण करना हो...सभी के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन किए बिना रुद्राक्ष का सही फल प्राप्त नहीं होता।
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*रुद्राक्ष धारण करने के नियम*
सबसे पहले तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। अगर रुद्राक्ष असली है ही नहीं तो इसे धारण करने का कोई लाभ आपको प्राप्त नहीं होगा। खंडित, कांटों से रहित या कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष कदापि धारण ना करें।
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*रुद्राक्ष का प्रयोग अनुसार आकर चुने*
अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें।
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*रुद्राक्ष माला के दानों की सँख्या*
रुद्राक्ष के आकार की तरह उसके दानों की संख्या का भी अपना महत्व है। अगर आपको रुद्राक्ष का जाप तनाव मुक्ति के लिए करना है तो 100 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए 62 दानों की माला का प्रयोग करें और संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए 108 दानों की माला का प्रयोग करें।
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*महत्वपूर्ण नियम जप में उपयोग माला न पहनें*
रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।
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*प्राण प्रतिष्ठा आवश्यक है*
रुद्राक्ष को बिना शुभ मुहूर्त के भी धारण ना करें। सर्वप्रथम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें। नित्य महामृत्युंजय जप आवश्यक है।
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*महत्त्वपूर्ण समय*
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कर्क और मकर संक्रांति के दिन, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
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*तामसिक भोजन निषेध है*
जिन लोगों ने रुद्राक्ष धारण किया है, उनके लिए मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार के नशे को करना वर्जित है। इसके अलावा लहसुन और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए।
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*अंगूठी में ना धारणा करें*
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।
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*नियम - स्त्री व पुरूष दोनों रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं*
रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए, मासिक धर्म के छठे दिन शुद्धि के बाद गंगा जल स्वयं पर और रुद्राक्ष पर छिड़क कर धारण करें। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें। सुबह स्नान करके पुनः पहन लें।
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*दिव्य औषधि*
रुद्राक्ष को दिव्य औषधि कहा गया है, जो सकारात्मक ऊर्जा और प्रभावी तरंगों से बनी है। इस औषधि का पूर्ण लाभ लेने के लिए नियमित तौर पर इसकी साफ-सफाई अनिवार्य है। जब कभी रुद्राक्ष शुष्क प्रतीत होने लगे तो इसे तेल में डुबोकर कुछ देर के लिए रख दें।
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*सोने या चांदी के आभूषण*
मूलत: रुद्राक्ष को सोने या चांदी के आभूषण में ही धारण करें, लेकिन अगर किसी कारणवश यह उपलब्ध नहीं है तो आपको ऊनी या रेशमी धागे की सहायता से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व पूजाकर्म और जाप करना होता है, लेकिन सामान्य हालातों में इसे संभव कह पाना मुश्किल है इसलिए जब भी आपको रुद्राक्ष धारण करने का मन करे या ज्योतिष आपको सलाह दे तो सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि धारण करने का दिन सोमवार ही हो।
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*धारण करने से पहले*
नए रुद्राक्ष को खरीद कर घर जब लाएं तो पहनने से पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध, गंगा जल, से पवित्र करें और फिर केसर, धूप और सुगंधित पुष्पों से शिव पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।
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*कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान*
सही व विश्वनीय जगह से रुद्राक्ष खरीदें, व निम्नलिखित तरीक़े से असली नकली की पहचान करें:-
1.रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा। इसके अलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली।
2. रुद्राक्ष सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है।
3. प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
4. रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
5. नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।
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*जानिए किस राशि के जातकों को पहनना चाहिए कौन सा रुद्राक्ष*:-
👉🏻 *मेष राशि :* मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी है। इस राशि के जातकों पर मंगल ग्रह का व्यापक प्रभाव होता है, ऐसे में उन्हें 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *वृषभ राशि :* इस राशि के स्वामी शुक्र देव हैं और ये भौतिक सुख और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। वहीं शुक्र ग्रह के प्रभाव वाले वृषभ राशि के जातकों के लिए 6 मुखी रुद्राक्ष काफी लाभदायक माना जाता है।
👉🏻 *मिथुन राशि :* राशि स्वामी बुध है और बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है। मिथुन राशि के लोग परिवर्तन और गतिशील स्वभाव के होते हैं। मिथुन राशि के जातकों को सफलता और धन की प्राप्ति के लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह उनके लिए शुभाशुभ फल प्रदान करता है।
👉🏻 *कर्क राशि :* राशि स्वामी चंद्रमा होता है जोकि मन का कारक है। चंद्रमा मन को स्थिरता प्रदान करता है। ये लोग अपने कार्यों को पूरी निपुणता से करते हैं और इसीलिए इन्हें उसमें सफलता भी मिलती है। कर्क राशि के जातकों को 4 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
👉🏻 *सिंह राशि :* राशि स्वामी सूर्य देव हैं, वहीं सिंह राशि पर सूर्य का व्यापक प्रभाव होता है। सिंह राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक साबित होता है।
👉🏻 *कन्या राशि :* राशि का स्वामी भी बुध ग्रह है। बुध के शुभ प्रभाव में जातक बुद्धिमान बनता है और उसके द्वारा लिए गए सभी निर्णय सही साबित होते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 14 रुद्राक्ष शुभ फलदायक माना जाता है।
👉🏻 *तुला राशि :* राशि का स्वामी शुक्र है जोकि जीवन में भौतिक सुख प्रदान करते हैं।इस राशि के लोग हर निर्णय से पूर्व बहुत सोच-विचार करते हैं। तुला राशि के जातकों को 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने से सर्वसुख की प्राप्ति होगी।
👉🏻 *वृश्चिक राशि :* राशि का स्वामी मंगल ग्रह है जोकि बहुत आक्रामक माना जाता है, इस राशि के लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। मंगल ग्रह से संचालित वृश्चिक राशि के जातकों को 8 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है
👉🏻 *धनु राशि :* राशि का स्वामी बृहस्पति है इस राशि के जातकों पर बृहस्पति ग्रह का व्यापक प्रभाव पड़ता है, इस राशि के लोग साहसी और उग्र स्वभाव के होते हैं। इन्हें पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *मकर राशि :* राशि का स्वामी शनि देव हैं जिस पर शनि देव की कृपा हो जाए उसके वारे न्यारे हो जाते हैं अर्थात् उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। इन्हें 7 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *कुंभ राशि :* राशि का स्वामी भी शनि देव है। कुंभ राशि के लोग बहुत ऊंचे और बड़े सपने देखते हैं लेकिन ये उन सपनों को पूरा करने का दम भी रखते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद रहता है।
👉🏻 *मीन राशि :* राशि का स्वामी बृहस्पति है, इस राशि के जातकों का स्वास्थ्य अकसर खराब रहता है। मीन राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - आत्मीय बहन,
जिस तरह यग्योपवीत(जनेऊ) माता गायत्री की धागे की प्रतिमा है, उसे विधिवत मन्त्र द्वारा प्राण प्रतिष्ठा करके धारण करने के बाद गायत्री मंत्र नित्य जपना अनिवार्य है।
इसी तरह रुद्राक्ष को शिव का प्रत्यक्ष अंश माना गया है, पुराणों के अनुसार ऐसा कहा गया है कि ये रुद्राक्ष शिव के आंसुओं से बने हैं। रुद्राक्ष विभिन्न तरह के होते हैं और इसी के आधार पर इनक महत्व और उपयोगिता भी भिन्न-भिन्न होती है। लेकिन *रुद्राक्ष धारण करने के कुछ नियम हैं जो समान हैं।*
*रुद्राक्ष* कई तरह के होते हैं एक मुखी, दो मुखी, पँच मुखी इत्यादि।
आप किसी भी तरह का रुद्राक्ष क्यों ना धारण करने जा रहे हों, या किसी विशेष उद्देश्य के तहत रुद्राक्ष धारण करना हो...सभी के लिए कुछ नियम हैं जिनका पालन करना अत्यंत आवश्यक है। इन नियमों का पालन किए बिना रुद्राक्ष का सही फल प्राप्त नहीं होता।
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*रुद्राक्ष धारण करने के नियम*
सबसे पहले तो आपको इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि रुद्राक्ष धारण करने से पहले उसकी जांच अत्यंत आवश्यक है। अगर रुद्राक्ष असली है ही नहीं तो इसे धारण करने का कोई लाभ आपको प्राप्त नहीं होगा। खंडित, कांटों से रहित या कीड़ा लगा हुआ रुद्राक्ष कदापि धारण ना करें।
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*रुद्राक्ष का प्रयोग अनुसार आकर चुने*
अगर आपने रुद्राक्ष का प्रयोग जाप के लिए करना है तो छोटे रुद्राक्ष ही आपके लिए सही हैं, लेकिन अगर रुद्राक्ष धारण करना है तो बड़े रुद्राक्ष का ही चयन करें।
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*रुद्राक्ष माला के दानों की सँख्या*
रुद्राक्ष के आकार की तरह उसके दानों की संख्या का भी अपना महत्व है। अगर आपको रुद्राक्ष का जाप तनाव मुक्ति के लिए करना है तो 100 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए। अगर आपकी मनोकामना अच्छी सेहत और स्वास्थ्य से जुड़ी है तो आपको 140 दानों की माला का प्रयोग करना चाहिए।
धन प्राप्ति के लिए 62 दानों की माला का प्रयोग करें और संपूर्ण मनोकामना पूर्ति के लिए 108 दानों की माला का प्रयोग करें।
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*महत्वपूर्ण नियम जप में उपयोग माला न पहनें*
रुद्राक्ष से संबंधित एक महत्वपूर्ण नियम के अनुसार आप जिस भी माला से जाप करते हैं उस माला को कदापि धारण ना करें और जिस माला को धारण करते हैं उसे कभी भी जाप के प्रयोग में ना लाएं।
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*प्राण प्रतिष्ठा आवश्यक है*
रुद्राक्ष को बिना शुभ मुहूर्त के भी धारण ना करें। सर्वप्रथम उसकी प्राण प्रतिष्ठा करवाएं और उसके बाद ही रुद्राक्ष धारण करें। नित्य महामृत्युंजय जप आवश्यक है।
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*महत्त्वपूर्ण समय*
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार कर्क और मकर संक्रांति के दिन, पूर्णिमा और पूर्णा तिथि पर रुद्राक्ष धारण करने से पापों से मुक्ति मिलती है।
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*तामसिक भोजन निषेध है*
जिन लोगों ने रुद्राक्ष धारण किया है, उनके लिए मांस, मदिरा या किसी भी प्रकार के नशे को करना वर्जित है। इसके अलावा लहसुन और प्याज के सेवन से भी बचना चाहिए।
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*अंगूठी में ना धारणा करें*
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व उसे भगवान शिव के चरणों से स्पर्श करवाएं। वैसे तो शास्त्रों में विशेष स्थिति में कमर पर भी रुद्राक्ष धारण करने की बात कही गई है लेकिन सामान्यतौर पर इसे नाभि के ऊपरी हिस्सों पर ही धारण करें। रुद्राक्ष को कभी भी अंगूठी में धारण नहीं करना चाहिए, ऐसा करने से इसकी पवित्रता नष्ट हो जाती है।
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*नियम - स्त्री व पुरूष दोनों रुद्राक्ष धारण कर सकते हैं*
रुद्राक्ष धारण किए हुए कभी भी प्रसूति गृह, श्मशान या किसी की अंतिम यात्रा में शामिल ना हों। मासिक धर्म के दौरान स्त्रियों को रुद्राक्ष उतार देना चाहिए, मासिक धर्म के छठे दिन शुद्धि के बाद गंगा जल स्वयं पर और रुद्राक्ष पर छिड़क कर धारण करें। इसके अलावा रात को सोने से पहले भी रुद्राक्ष उतार दें। सुबह स्नान करके पुनः पहन लें।
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*दिव्य औषधि*
रुद्राक्ष को दिव्य औषधि कहा गया है, जो सकारात्मक ऊर्जा और प्रभावी तरंगों से बनी है। इस औषधि का पूर्ण लाभ लेने के लिए नियमित तौर पर इसकी साफ-सफाई अनिवार्य है। जब कभी रुद्राक्ष शुष्क प्रतीत होने लगे तो इसे तेल में डुबोकर कुछ देर के लिए रख दें।
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*सोने या चांदी के आभूषण*
मूलत: रुद्राक्ष को सोने या चांदी के आभूषण में ही धारण करें, लेकिन अगर किसी कारणवश यह उपलब्ध नहीं है तो आपको ऊनी या रेशमी धागे की सहायता से रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
रुद्राक्ष धारण करने से पूर्व पूजाकर्म और जाप करना होता है, लेकिन सामान्य हालातों में इसे संभव कह पाना मुश्किल है इसलिए जब भी आपको रुद्राक्ष धारण करने का मन करे या ज्योतिष आपको सलाह दे तो सर्वप्रथम यह ध्यान रखें कि धारण करने का दिन सोमवार ही हो।
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*धारण करने से पहले*
नए रुद्राक्ष को खरीद कर घर जब लाएं तो पहनने से पहले रुद्राक्ष को कच्चे दूध, गंगा जल, से पवित्र करें और फिर केसर, धूप और सुगंधित पुष्पों से शिव पूजा करने के बाद ही इसे धारण करें।
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*कैसे करें असली रुद्राक्ष की पहचान*
सही व विश्वनीय जगह से रुद्राक्ष खरीदें, व निम्नलिखित तरीक़े से असली नकली की पहचान करें:-
1.रुद्राक्ष की पहचान के लिए रुद्राक्ष को कुछ घंटे के लिए पानी में उबालें यदि रुद्राक्ष का रंग न निकले या उस पर किसी प्रकार का कोई असर न हो, तो वह असली होगा। इसके अलावा आप रुद्राक्ष को पानी में डाल दें अगर वह डूब जाता है तो असली नहीं नहीं नकली।
2. रुद्राक्ष सरसों के तेल मे डालने पर रुद्राक्ष अपने रंग से गहरा दिखे तो समझो वो एक दम असली है।
3. प्रायः गहरे रंग के रूद्राक्ष को अच्छा माना जाता है और हल्के रंग वाले को नहीं। असलियत में रूद्राक्ष का छिलका उतारने के बाद उस पर रंग चढ़ाया जाता है। बाजार में मिलने वाली रूद्राक्ष की मालाओं को पिरोने के बाद पीले रंग से रंगा जाता है। रंग कम होने से कभी- कभी हल्का रह जाता है। काले और गहरे भूरे रंग के दिखने वाले रूद्राक्ष प्रायः इस्तेमाल किए हुए होते हैं, ऐसा रूद्राक्ष के तेल या पसीने के संपर्क में आने से होता है।
4. रूद्राक्ष की पहचान के लिए उसे सुई से कुरेदें। अगर रेशा निकले तो असली और न निकले तो नकली होगा।
5. नकली रूद्राक्ष के उपर उभरे पठार एकरूप हों तो वह नकली रूद्राक्ष है। असली रूद्राक्ष की उपरी सतह कभी भी एकरूप नहीं होगी। जिस तरह दो मनुष्यों के फिंगरप्रिंट एक जैसे नहीं होते उसी तरह दो रूद्राक्षों के उपरी पठार समान नहीं होते। हां नकली रूद्राक्षों में कितनों के ही उपरी पठार समान हो सकते हैं।
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*जानिए किस राशि के जातकों को पहनना चाहिए कौन सा रुद्राक्ष*:-
👉🏻 *मेष राशि :* मंगल ग्रह मेष राशि का स्वामी है। इस राशि के जातकों पर मंगल ग्रह का व्यापक प्रभाव होता है, ऐसे में उन्हें 3 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *वृषभ राशि :* इस राशि के स्वामी शुक्र देव हैं और ये भौतिक सुख और ऐश्वर्य प्रदान करते हैं। वहीं शुक्र ग्रह के प्रभाव वाले वृषभ राशि के जातकों के लिए 6 मुखी रुद्राक्ष काफी लाभदायक माना जाता है।
👉🏻 *मिथुन राशि :* राशि स्वामी बुध है और बुध को बुद्धि का कारक माना जाता है। मिथुन राशि के लोग परिवर्तन और गतिशील स्वभाव के होते हैं। मिथुन राशि के जातकों को सफलता और धन की प्राप्ति के लिए 4 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह उनके लिए शुभाशुभ फल प्रदान करता है।
👉🏻 *कर्क राशि :* राशि स्वामी चंद्रमा होता है जोकि मन का कारक है। चंद्रमा मन को स्थिरता प्रदान करता है। ये लोग अपने कार्यों को पूरी निपुणता से करते हैं और इसीलिए इन्हें उसमें सफलता भी मिलती है। कर्क राशि के जातकों को 4 मुखी और गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण करने से लाभ होगा।
👉🏻 *सिंह राशि :* राशि स्वामी सूर्य देव हैं, वहीं सिंह राशि पर सूर्य का व्यापक प्रभाव होता है। सिंह राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए। यह उनके स्वास्थ्य के लिए बहुत लाभदायक साबित होता है।
👉🏻 *कन्या राशि :* राशि का स्वामी भी बुध ग्रह है। बुध के शुभ प्रभाव में जातक बुद्धिमान बनता है और उसके द्वारा लिए गए सभी निर्णय सही साबित होते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 14 रुद्राक्ष शुभ फलदायक माना जाता है।
👉🏻 *तुला राशि :* राशि का स्वामी शुक्र है जोकि जीवन में भौतिक सुख प्रदान करते हैं।इस राशि के लोग हर निर्णय से पूर्व बहुत सोच-विचार करते हैं। तुला राशि के जातकों को 7 मुखी रुद्राक्ष पहनने से सर्वसुख की प्राप्ति होगी।
👉🏻 *वृश्चिक राशि :* राशि का स्वामी मंगल ग्रह है जोकि बहुत आक्रामक माना जाता है, इस राशि के लोग बहुत बुद्धिमान होते हैं। मंगल ग्रह से संचालित वृश्चिक राशि के जातकों को 8 मुखी और 13 मुखी रुद्राक्ष धारण करने से शुभ फल की प्राप्ति होती है
👉🏻 *धनु राशि :* राशि का स्वामी बृहस्पति है इस राशि के जातकों पर बृहस्पति ग्रह का व्यापक प्रभाव पड़ता है, इस राशि के लोग साहसी और उग्र स्वभाव के होते हैं। इन्हें पांच मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *मकर राशि :* राशि का स्वामी शनि देव हैं जिस पर शनि देव की कृपा हो जाए उसके वारे न्यारे हो जाते हैं अर्थात् उसके सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। इन्हें 7 मुखी और 14 मुखी रुद्राक्ष धारण करना चाहिए।
👉🏻 *कुंभ राशि :* राशि का स्वामी भी शनि देव है। कुंभ राशि के लोग बहुत ऊंचे और बड़े सपने देखते हैं लेकिन ये उन सपनों को पूरा करने का दम भी रखते हैं। इस राशि के जातकों के लिए 7 मुखी रुद्राक्ष बहुत फायदेमंद रहता है।
👉🏻 *मीन राशि :* राशि का स्वामी बृहस्पति है, इस राशि के जातकों का स्वास्थ्य अकसर खराब रहता है। मीन राशि के जातकों को 5 मुखी रुद्राक्ष पहनना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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