Wednesday, 18 December 2019

स्वास्थ्य आंदोलन - युगनिर्माण हेतु

*स्वास्थ्य आंदोलन - युगनिर्माण हेतु*

स्वच्छ-स्वस्थ शरीर में ही स्वच्छ-स्वस्थ मन रह सकता है, स्वच्छ-स्वस्थ मन ही स्वच्छ-स्वस्थ शरीर को रखने के लिए प्रेरित करेगा। दोनों एक दूसरे के अनन्य आश्रित हैं।

*हमारी सारी शक्ति हमारे विचारों में समाहित है।*      - युगऋषि वेदमूर्ति तपनिष्ठ परम्पूज्य  गुरुदेव पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य

*मनुष्य के शरीर में दो चीजें हैं- एक उसकी "रचना" अर्थात् काया और दूसरी "चेतना"*। मनुष्य के पास जो कुछ भी विशेषता और महत्ता है, जिसके कारण वह स्वयं उन्नति करता जाता है और समाज को ऊँचा उठा ले जाता है वह उसके अंतर की विचारधारा है। जिसको हम चेतना कहते हैं, अंतरात्मा कहते हैं, विचारणा कहते हैं। यही एक चीज है, जो मनुष्य को ऊँचा उठा सकती है और महान बना सकती है। शांति दे सकती है और समाज के लिए उसे उपयोगी बना सकती है। मनुष्य की चेतना, जिसको हम विचारणा कह सकते हैं, किस आदमी का विचार करने का क्रम कैसा है? बस, असल में वही उसका स्वरूप है। आदमी लंबाई-चौड़ाई के हिसाब से छोटा नहीं होता, वरन जिस आदमी के मानसिक स्तर की ऊँचाई कम है, वह आदमी ऊँचे सिद्धांत और ऊँचे आदर्शों को नहीं सुन सकता। जो व्यक्ति सिर्फ पेट तक और संतान पैदा करने तक सीमाबद्ध रहता है, वह छोटा आदमी है। उसे अगर एक इंच का आदमी कहें तो कोई अचंभे की बात नहीं है। उसकी तुलना कुएँ के मेंढक से करें, तो कोई अचंभे की बात नहीं है। कीड़े-मकोड़ों में उसकी गिनती करें तो कोई बात नहीं है।

युगनिर्माण का मूलभूत सिद्धांत है, जो क्रमशः स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज है।  यह आंदोलन मनुष्य के आसपास जो संसाधन मौजूद हैं उन्हीं का उपयोग  कर उन्हें स्वस्थ रहने का सूत्र देगा।

ज़्यादातर रोग के जन्मदाता हम सब स्वयं है, हमारी अस्तव्यस्त दिनचर्या, अव्यवस्थित आहार-विहार, असंयम हम सबको रोगी बना रहा है।

रोगी केवल वह नहीं जो अस्पताल जाकर इलाज करवा रहे हैं, रोगी वह भी हैं जिनको अपच, थकान, निद्रा की कमी, चिंताएं, बदन दर्द इत्यादि व्यथाएँ घेरे रहती है। समय रहते इनका उपचार न किया गया तो इन्हें बड़े रोगों में बदलते देर नहीं लगती।

Prevention is better than cure. उपचार से बचाव ज्यादा अच्छा होता है।

स्वास्थ्य संवर्द्धन के सूत्र - उचित रहन सहन, आहार-विहार, जप-तप-ध्यान-योग-व्यायाम, जिह्वा संयम, विचार संयम, जड़ी-बूटियों का ज्ञान जानकर, मसाला वाटिका का ज्ञान अपनाकर स्वस्थ रहा जा सकता है।

बीमारी किचन से ही शुरू होती है, तला-भुना गड़बड़ खानपान रोग देता है। अब इस किचन को ही स्वास्थ्यकेंद्र बना दीजिये, सही सब्जी व उपयोगी मसालों को ही औषधि बना लीजिए, स्वयं को स्वयं का चिकित्सक बना लीजिए, अपना स्वास्थ्य अपने हाथों से सम्हाल लीजिये।

विश्व इंडेक्स में भारत को सबसे स्वस्थ व व्यवस्थित लोगों का देश बनाने में मदद कीजिये। शपथ लीजिये कि मैं भारत का देशभक्त नागरिक हूँ व स्वयं स्वस्थ रहूँगा, परिवार को स्वस्थ रखूंगा व आसपास के लोगों को स्वस्थ रहने के लिए प्रेरित करूँगा। रोगमुक्त-योगयुक्त स्वस्थ भारत के निर्माण में सहयोग दूंगा।

स्वास्थ्य आंदोलन के बारे में जानकारी के लिए निम्नलिखित लिंक विजिट करिये:-

http://literature.awgp.org/book/Hamare_Saat_Andolan/v1.6

स्वास्थ्य संवर्द्धन के साहित्य पढ़िये व लोगों को पढ़ाईये:-

* जीवेम शरद: शतम
* चिकित्सा उपचार के विविध आयाम
* निरोग जीवन के महत्त्वपूर्ण सूत्र
* प्रज्ञायोग
* मसाला वाटिका
* जड़ी बूटियों का दिव्य ज्ञान
* मांसाहार कितना उपयोगी, मनोशारीरिक एवं वैज्ञानिक विश्लेषण
* श्वास-प्रश्वास-विज्ञान
* रोग - औषधि आहार- विहार एवं उपवास
* दीर्घ जीवन की प्राप्ति
* निरोगी जीवन का राजमार्ग
* स्वस्थ रहने के सरल उपाय
* खाते समय इन बातों का ध्यान रखें
* स्वस्थ और सुंदर बनने की विद्या

अन्य और भी समस्त साहित्य निम्नलिखित लिंक पर पढ़ सकते हैं:-

http://literature.awgp.org/book

आइये देश को स्वस्थ बनाने के लिए जन जन को स्वस्थ बनाने की मुहिम पर कार्य करें।

आइये हमारे साथ कुछ नारे लगाइये:-

संयम रखिये - स्वस्थ रहिये
हमारा स्वास्थ्य - हमारे हाथ
हमारा रसोईघर- हमारा स्वास्थ्य केंद्र
अपनाएँगे योग - रहेंगे निरोग
स्वस्थ जीवन का आधार - हरी शाक युक्त जीवनदायी आहार

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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