Tuesday, 17 December 2019

अखण्डज्योति पत्रिका क्या है ? अखण्डज्योति पत्रिका क्यूँ नित्य पढ़ना चाहिये?

*अखण्डज्योति पत्रिका क्या है ? अखण्डज्योति पत्रिका क्यूँ नित्य पढ़ना चाहिये?*

Importance of Akhand jyoti & Its feature.

उत्तर- अखण्डज्योति मात्र एक पत्रिका नहीं यह नए युग की सन्देश वाहिका है।

अखण्डदीपक जला कर 24 वर्षों 24-24 लाख के गायत्री महापुरश्चरण निरन्तर कठोर साधना संकल्प के साथ लेखन शुरू करने के कारण इसका नाम अखण्डज्योति रखा गया।

यह अध्यात्म का तात्विक और वैज्ञानिक विश्लेषण है।

विज्ञान ने आज समाज को स्पीड और सुख-सुविधा सम्पन्न कर दिया, लेकिन मानव मन को विक्षिप्त कर नशे के दलदल में धकेल दिया। टूटा मन और बिखरते रिश्ते परेशानी का सबब बन गए हैं।

घर बड़ा हो गया और हृदय छोटा हो गया, रहन सहन हाई फाई और सोच घटिया हो गयी। मानसिक रोगों की भरमार हो गयी। उच्च क़्वालिटी के अस्पताल और मानव सेहत निम्न क़्वालिटी का हो गया है। फेसबुक, व्हाट्सएप पर इतने ज्यादा सोशल हो गए कि पूरे समाज से अन शोशल हो गए। फेसबुक में हज़ार दोस्त और असली जिंदगी में एक भी सच्चा दोस्त नहीं है। भोगवादी सोच ने सर्वत्र तबाही मचा रखी है और समाज सामूहिक आत्महत्या की ओर बढ़ रहा है।

ऐसे समुद्र जैसे भँवर में एक दिशा सूचक यन्त्र की आवश्यकता है। एक GPS सिस्टम की जरूरत है जिससे मनुष्य सही दिशा प्राप्त कर अपनी जीवन दशा सुधार सके।

अखण्डज्योति एक सही दिशा सूचक यन्त्र है, जो इसका स्वाध्याय करने वाले के जीवन मे आमूल चूल परिवर्तन कर देती है।

अखण्डज्योति शब्दों में पिरोई महाकाल की चेतना है, इसकी छुअन प्राणों की पीर वेदना हर लेती है। मुरझाये जीवन इसके नियमित पाठन से मुस्कुरा उठते हैं। इसके अक्षरों के अमृत कलश जहां झरते हैं वहीं आध्यात्मिक चेतना के अंकुर फूट पड़ते हैं। इसके शब्दो के ज्ञान दीप जहां भी रखे जाते है, वह जीवन पथ हो या अंतर्मन हो, दोनो ही प्रकाशित हो जाता है। भ्रांति, संशय, अज्ञान के धूल कण अंतर्दृष्टि से हट जाते है और सुनहरे जीवन का मार्ग दृष्टिगोचर हो जाता है।

अनेकों जटिल समस्याओं के सहज सुलभ समाधान इसमें मिल जाते हैं, जब इन्हें कोई भी व्यक्ति पढ़ता है तो ऐसा लगता है मानो परम् पिता ने उसके लिए पत्र लिखा हो, जिसमें उसकी समस्त समस्याओं का समाधान लिखा हो।

जब सपरिवार इसका स्वाध्याय करते हैं तो परिवार में बड़ो को सम्मान और छोटो को प्यार मिलता है। परिवार में प्यार, सहकार, और शुभ संस्कार का वातावरण निर्मित होता है। रूढ़िवादी परम्पराओ के जाल से मुक्ति मिलती है। किशोरों में शुभ भाव और सकारात्मक सोच विनिर्मित होती है।

अभिवावकों को इससे पारिवारिक और सामाजिक दायित्व निभाने की समुचित और सुखद मार्गदर्शन मिलता है। अध्यापकों को देश का भविष्य गढ़ने के सूत्र मिलते हैं, इसे पढ़के चिकित्सकों को मनोभाव जनित रोग समझने में आसानी होती है। वकीलों को पारिवारिक समस्याओं को सुलझाने के सरल सूत्र मिलते हैं, विद्यार्थीयों को सफल जीवन की दिशा धारा मिलती है, गृहणियों को घर संसार सम्हालने के सूत्र मिलते है, जॉब करने वालों को परिवार और जॉब के बीच संतुलन के सूत्र मिलते हैं। स्वस्थ शरीर, स्वच्छ मन और सभ्य समाज के सूत्र यहां सरल सहज भाषा मे मिल जाते हैं।

योगियों और अध्यात्म के खोजियों के लिए इसमें उच्च साधनाओ के सूत्र इसमे है।

पाखण्डियों और योग के नाम पर मायाचार करने वाले लोगों के भ्रम जाल से बाहर आने के सूत्र हैं।

मनुष्य में देवत्व और धरती पर ही स्वर्ग अवतरण करने के सूत्र और सन्देश देने वाली इस पत्रिका का परिचय इसीलिए इस पत्रिका के आदि प्रवर्तक परम् पूज्य गुरुदेव वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी ने इसका परिचय देते हुए लिखा था-

*सन्देश नहीं मैं स्वर्ग लोक का लाई, मैं तो इस धरती को ही स्वर्ग बनाने आई।।*

ईन पक्तियों में ही इसकी आध्यात्मिक, वैज्ञानिक और वैचारिक पृष्ठमूमि का प्रकाश है।

*इसकी उपरोक्त उपयोगिता को समझ कर ही अखण्डज्योति प्रत्येक स्कूलों में पढ़ाई जाए इसके लिए राजस्थान सरकार ने अध्यादेश जारी किया है।*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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