प्रश्न - *"वेद पढ़ना आसान है, वेदना पढ़ना मुश्किल है"। इस मैसेज के बारे में आपकी क्या राय है?*
उत्तर- क्षमा करना हमारी युवा पीढ़ी अनजाने में स्वयं के धर्म ग्रन्थों का अपमान कर रही है-
वस्तुतः *न वेद पढ़ना आसान है न वेदना पढ़ना आसान है।*
जो वेद पढ़ेगा उसमे वेदना पढ़ने की भी क्षमता आ जायेगी, साथ ही वेदना दूर कैसे करना है यह भी समझ मिलेगी, आत्मबल मिलेगा। हमारे हिंदू भाई बहन, अनजाने में अपने ही धर्म का उपहास कर रहे हैं। क्या लिख व शेयर कर रहे हैं उन्हें नहीं पता, कोई। कभी कुरान या बाइबल के लिए ऐसा बोलते किसी को देखा या सुना है?
वेदों में प्रत्येक प्राणी के कल्याण की कामना है, और प्राणी मात्र के कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहने को कहा गया है। जब तक वेद पढ़े जाते थे देश सोने की चिड़िया था विदेशी सैलानी अपने यात्रा वृतांत में लिख गए थे कि कोई भिखारी उन्हें नहीं मिला।
भिखारी पाश्चत्य सभ्यता की देन है, वृद्धाश्रम पाश्चात्य सभ्यता की देन है, पर्दा प्रथा स्त्रियों की मुगलों की देन है।
कृपया ऐसे पोस्ट लाइक करने से बचें तो उत्तम होगा। वेद भी पढो और वेदना भी पढो के मेसेज करें। आत्मा भी पढ़ो और आत्मीयता भी पढो के मैसेज भेजें। जो लोग इस मैसेज को लाइक कर रहे हैं, 100% न वेद पढ़ा है न उपनिषद पढ़ा है न ही पुराण पढा है।
हमारा देश व्यवसाय में सोने की चिड़िया व अध्यात्म में विश्व गुरु था। भविष्य में भी ज्ञान में विश्वगुरु और आर्थिक समृद्धि व व्यापार में सोने की चिड़िया हो भी सकता है। यदि भारतीय युवा भावनाओं में न बह कर थोड़ा दिमाग़ लगाकर चीज़ों को समझें व जानने की कोशिश करें।
युगऋषि परम्पपूज्य गुरुदेव कहते हैं - *एक दिन कईं व्यक्तियों को भीख देना कोई बहुत बड़ी महानता नहीं है, अपितु कम से कम कुछ एक व्यक्ति को ज्ञान व रोजगारपरक शिक्षण देकर उसके पैरों पर खड़ा करना महानता है। उसके भोजन व सम्मान की वह स्वयं व्यवस्था कर सके, स्वाभिमान से जी सके यही धार्मिक जन का उद्देश्य होना चाहिए।*
*वृद्धाश्रम में वृद्धों को सामान देना पुण्य देता है, लेकिन सबसे बड़ा पुण्य वह है जिसमें कि उनके बच्चों को समझाबुझाकर वृद्धों की सेवा के लिए प्रेरित कर उनके घर पुनः सम्मान पूर्वक रहने हेतु व्यवस्था की जाय।*
याद रखिये, वेद पढ़ने वाला कभी भिखारी नहीं होता और न ही उसके माता पिता को वृद्धाश्रम जाने की जरूरत पड़ती है। वेद पढ़ने वाला लोगों को सम्मान व रोजगार से जोड़ने की पहल करता है। आत्मियता विस्तार करता है। *वेद पढ़ने वाला वेदना पढ़ने के साथ साथ वेदना से मुक्त करने का स्थायी प्रयास करता है*।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- क्षमा करना हमारी युवा पीढ़ी अनजाने में स्वयं के धर्म ग्रन्थों का अपमान कर रही है-
वस्तुतः *न वेद पढ़ना आसान है न वेदना पढ़ना आसान है।*
जो वेद पढ़ेगा उसमे वेदना पढ़ने की भी क्षमता आ जायेगी, साथ ही वेदना दूर कैसे करना है यह भी समझ मिलेगी, आत्मबल मिलेगा। हमारे हिंदू भाई बहन, अनजाने में अपने ही धर्म का उपहास कर रहे हैं। क्या लिख व शेयर कर रहे हैं उन्हें नहीं पता, कोई। कभी कुरान या बाइबल के लिए ऐसा बोलते किसी को देखा या सुना है?
वेदों में प्रत्येक प्राणी के कल्याण की कामना है, और प्राणी मात्र के कल्याण के लिए प्रयत्नशील रहने को कहा गया है। जब तक वेद पढ़े जाते थे देश सोने की चिड़िया था विदेशी सैलानी अपने यात्रा वृतांत में लिख गए थे कि कोई भिखारी उन्हें नहीं मिला।
भिखारी पाश्चत्य सभ्यता की देन है, वृद्धाश्रम पाश्चात्य सभ्यता की देन है, पर्दा प्रथा स्त्रियों की मुगलों की देन है।
कृपया ऐसे पोस्ट लाइक करने से बचें तो उत्तम होगा। वेद भी पढो और वेदना भी पढो के मेसेज करें। आत्मा भी पढ़ो और आत्मीयता भी पढो के मैसेज भेजें। जो लोग इस मैसेज को लाइक कर रहे हैं, 100% न वेद पढ़ा है न उपनिषद पढ़ा है न ही पुराण पढा है।
हमारा देश व्यवसाय में सोने की चिड़िया व अध्यात्म में विश्व गुरु था। भविष्य में भी ज्ञान में विश्वगुरु और आर्थिक समृद्धि व व्यापार में सोने की चिड़िया हो भी सकता है। यदि भारतीय युवा भावनाओं में न बह कर थोड़ा दिमाग़ लगाकर चीज़ों को समझें व जानने की कोशिश करें।
युगऋषि परम्पपूज्य गुरुदेव कहते हैं - *एक दिन कईं व्यक्तियों को भीख देना कोई बहुत बड़ी महानता नहीं है, अपितु कम से कम कुछ एक व्यक्ति को ज्ञान व रोजगारपरक शिक्षण देकर उसके पैरों पर खड़ा करना महानता है। उसके भोजन व सम्मान की वह स्वयं व्यवस्था कर सके, स्वाभिमान से जी सके यही धार्मिक जन का उद्देश्य होना चाहिए।*
*वृद्धाश्रम में वृद्धों को सामान देना पुण्य देता है, लेकिन सबसे बड़ा पुण्य वह है जिसमें कि उनके बच्चों को समझाबुझाकर वृद्धों की सेवा के लिए प्रेरित कर उनके घर पुनः सम्मान पूर्वक रहने हेतु व्यवस्था की जाय।*
याद रखिये, वेद पढ़ने वाला कभी भिखारी नहीं होता और न ही उसके माता पिता को वृद्धाश्रम जाने की जरूरत पड़ती है। वेद पढ़ने वाला लोगों को सम्मान व रोजगार से जोड़ने की पहल करता है। आत्मियता विस्तार करता है। *वेद पढ़ने वाला वेदना पढ़ने के साथ साथ वेदना से मुक्त करने का स्थायी प्रयास करता है*।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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