Thursday, 19 December 2019

कविता - *मुझमें भी शिवत्व जगा दो*

कविता - *मुझमें भी शिवत्व जगा दो*

हे भोलेनाथ,
मुझे सरल निर्मल बना दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो,
शिवो$हम सा भाव जगा दो,
मुझमें सेवाभाव जगा दो।

चाहतों की चिता जला दूं,
इच्छाओं से नाता तोड़ लूँ,
मान - अपमान से परे होकर,
तुमसा वैराग्य धारण कर लूँ,
अपने जैसा ज्ञानी-वैरागी बना दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो।

कोई मुझे अपमानित करे,
या कोई मुझे सम्मानित करे,
दोनों को प्रति मेरी समदृष्टि रहे,
दोनों के कल्याण के भाव मुझमें जगे,
मान-अपमान से परे पहुंचा दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो।

न किसी के मोह में पडूँ,
न किसी के बिछोह में रोऊँ,
न किसी के चाह में पडूँ,
न किसी के मिलन में हंसू,
सुख और दुःख से परे पहुंचा दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो।

ख़ुद के शरीर को शव मान लूँ,
इसपर आत्मचेतना का आसन लगा लूँ,
कामनाओं वासनाओं को भष्मीभूत करके,
उनकी भष्म को अंग पे लगा लूँ,
ऐसा मुझे ध्यानी-योगी बना दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो।

कण कण में व्याप्त शिवतत्व में,
सत्कर्मो की आहुतियां दूँ,
यज्ञमय जीवन बनाकर,
प्रत्येक श्वांस में तुम्हें सुमिरूं,
मेरे *मैं* को खाली कर दो,
मुझमें कल्याणकारी शिवत्व भर दो।

जो तू है वो मैं हूँ,
यह शिवो$हम अनुभूत करा दो,
शिव सा कल्याणकारी बना दो,
मुझमें भी शिवत्व जगा दो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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