प्रश्न - *परिवार के लोग काफ़ी झगड़ते हैं और घर मे इतनी अशांति है कि रहने का मन नहीं करता। कैसे इन्हें सुधारें?*
उत्तर- परिवार में सभी आत्माएं स्वतंत्र सत्ता व अपने कर्म फलानुसार है। जिनके पुर्व जन्म के अकाउंट आपस मे शत्रुता के हैं वह एक दूसरे को कष्ट दे लड़ रहे हैं, जिनके पूर्व जन्म के अकाउंट आपस में मित्रता के हैं वह प्रेम से एक दूसरे को सुख दे रही हैं।
उन्हें सुधारने में लगोगे तो स्वयं उबर न सकोगे, क्योंकि तुम्हारे पास तप की इतनी पूंजी नहीं कि सबके कर्ज उतार सको।
स्वयं को रौशन करो जिससे तुम्हारी रौशनी में वो सब अंधेरे से प्रकाश की ओर आने का मार्ग ढूँढ़ सकें, स्वयं तप का अर्जन करो। परिवार सुधारने में तब तक नहीं जुटना चाहिए जब तक तुम स्वयं सक्षम व सबल न बन जाओ। सांसारिक व आध्यात्मिक रूप से सफ़ल बनो तब ही उपदेश परिवार वालो को देना। अन्यथा मौन रहकर स्वयं को सबल व सक्षम बनाने में जुट जाओ।
💫 *आध्यात्मिक उपाय*💫
👉🏻 मित्रभाव स्वयं में सही तरीके से जगाने के ज्ञान विज्ञान को समझने लिए निम्नलिखित दो पुस्तक पढ़िए, सबके पहले मित्र बनो जिससे सब तुम्हारी सुनें:-
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 मित्रभाव बढाने की कला
👉🏻 *आध्यात्मिक उपाय* - नित्य 3 माला गायत्री की जपें और साथ ही कम से कम 24 मन्त्र व अधिकतम एक माला निम्नलिखित *मित्रभाव बढ़ाने* वाले मन्त्र की जपें।
ॐ दृते दृन्द मा मित्रस्य मा,
चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
‘मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।’
(यजुर्वेद 36/18 )
‘हमें विश्व के सारे प्राणी मित्र दृष्टि से नित देखें,
और सभी जीवों को हम भी मित्र दृष्टि से नित पेखें।
प्रभो!आप ऐसी सद्बुद्धि व विवेक हमें प्रदान करने की कृपा करें कि हम समस्त विश्व को अपना गुरु बना सकें।
(वेदार्थ पदांजलि,पृ.82)
👉🏻 24 मन्त्र गुरु मंत्र जपें, जिससे आपके भीतर आनन्द व आत्मियता का भाव उभरे
*ॐ ऐं श्रीराम आनन्दनाथाय गुरुवे नमः ॐ*
👉🏻तुम नित्य यज्ञ करके सबकी सद्बुद्धि हेतु आहुतियां लगाओ, जिससे उनकी बुद्धि पर चढ़े मैल को यज्ञ का दिव्य धूम्र साफ करने में सहायता करे। सबकी सद्बुद्धि के लिए और हो सके तो शुक्रवार को चावल की खीर से बलिवैश्व यज्ञ करो।
👉🏻 पूजा के बाद सुबह शाम निम्नलिखित मन्त्र सबके कल्याण के लिए अवश्य बोलें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।
*अर्थ*- "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।" सर्वत्र शांति ही शांति हो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- परिवार में सभी आत्माएं स्वतंत्र सत्ता व अपने कर्म फलानुसार है। जिनके पुर्व जन्म के अकाउंट आपस मे शत्रुता के हैं वह एक दूसरे को कष्ट दे लड़ रहे हैं, जिनके पूर्व जन्म के अकाउंट आपस में मित्रता के हैं वह प्रेम से एक दूसरे को सुख दे रही हैं।
उन्हें सुधारने में लगोगे तो स्वयं उबर न सकोगे, क्योंकि तुम्हारे पास तप की इतनी पूंजी नहीं कि सबके कर्ज उतार सको।
स्वयं को रौशन करो जिससे तुम्हारी रौशनी में वो सब अंधेरे से प्रकाश की ओर आने का मार्ग ढूँढ़ सकें, स्वयं तप का अर्जन करो। परिवार सुधारने में तब तक नहीं जुटना चाहिए जब तक तुम स्वयं सक्षम व सबल न बन जाओ। सांसारिक व आध्यात्मिक रूप से सफ़ल बनो तब ही उपदेश परिवार वालो को देना। अन्यथा मौन रहकर स्वयं को सबल व सक्षम बनाने में जुट जाओ।
💫 *आध्यात्मिक उपाय*💫
👉🏻 मित्रभाव स्वयं में सही तरीके से जगाने के ज्ञान विज्ञान को समझने लिए निम्नलिखित दो पुस्तक पढ़िए, सबके पहले मित्र बनो जिससे सब तुम्हारी सुनें:-
📖 भाव सम्वेदना की गंगोत्री
📖 मित्रभाव बढाने की कला
👉🏻 *आध्यात्मिक उपाय* - नित्य 3 माला गायत्री की जपें और साथ ही कम से कम 24 मन्त्र व अधिकतम एक माला निम्नलिखित *मित्रभाव बढ़ाने* वाले मन्त्र की जपें।
ॐ दृते दृन्द मा मित्रस्य मा,
चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
‘मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।’
(यजुर्वेद 36/18 )
‘हमें विश्व के सारे प्राणी मित्र दृष्टि से नित देखें,
और सभी जीवों को हम भी मित्र दृष्टि से नित पेखें।
प्रभो!आप ऐसी सद्बुद्धि व विवेक हमें प्रदान करने की कृपा करें कि हम समस्त विश्व को अपना गुरु बना सकें।
(वेदार्थ पदांजलि,पृ.82)
👉🏻 24 मन्त्र गुरु मंत्र जपें, जिससे आपके भीतर आनन्द व आत्मियता का भाव उभरे
*ॐ ऐं श्रीराम आनन्दनाथाय गुरुवे नमः ॐ*
👉🏻तुम नित्य यज्ञ करके सबकी सद्बुद्धि हेतु आहुतियां लगाओ, जिससे उनकी बुद्धि पर चढ़े मैल को यज्ञ का दिव्य धूम्र साफ करने में सहायता करे। सबकी सद्बुद्धि के लिए और हो सके तो शुक्रवार को चावल की खीर से बलिवैश्व यज्ञ करो।
👉🏻 पूजा के बाद सुबह शाम निम्नलिखित मन्त्र सबके कल्याण के लिए अवश्य बोलें
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।
*अर्थ*- "सभी सुखी होवें, सभी रोगमुक्त रहें, सभी मंगलमय घटनाओं के साक्षी बनें और किसी को भी दुःख का भागी न बनना पड़े।" सर्वत्र शांति ही शांति हो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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