कविता - *प्रत्येक पल में जिंदगी भर लो*
यदि पैसों से जिंदगी मिलती,
तो कोई अमीर कभी मरता नहीं,
यदि अस्पतालों में जिंदगी मिलती,
तो डॉक्टरों के घर कोई मरता नहीं।
जिस दिन जिंदगी मिली थी,
उस दिन ही,
उसकी एक्सपायरी डेट भी,
साथ साथ मिली थी,
आने की टिकट के साथ साथ,
वापस जाने की टिकट भी मिली थी।
इस जीवन यात्रा का,
भरपूर आनन्द ले लो,
लम्बी उम्र मांगने की जगह,
हर पल में जिंदगी भर लो।
कुछ ऐसा कर जाओ,
कोई चाहकर भी,
तुम्हें भूल न पाएं,
मरने के बाद भी,
तुम्हारे योगदान,
उन्हें तुम्हारी याद दिलाये।
दीपावली में,
किसी अंधेरे घर मे उजाला कर दो,
होली में,
किसी बेरंग जीवन में रँग भर दो।
धरती को हरी चुनर ओढ़ा दो,
जितनी श्वांस ली उतने पेड़ लगा दो,
जितना समाज से लिया,
उससे ज्यादा समाज को लौटा दो।
परमात्मा के दिये जीवन का,
सही ढंग से उपयोग करो,
आत्मकल्याण के साथ साथ,
समाजकल्याण में भी निरत रहो।
मरते वक़्त खुद पर गर्व कर सको,
कुछ तो जीवन में ऐसा कार्य करो,
परमात्मा से नज़रे मिला सको,
ऐसा शानदार जीवन जियो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
यदि पैसों से जिंदगी मिलती,
तो कोई अमीर कभी मरता नहीं,
यदि अस्पतालों में जिंदगी मिलती,
तो डॉक्टरों के घर कोई मरता नहीं।
जिस दिन जिंदगी मिली थी,
उस दिन ही,
उसकी एक्सपायरी डेट भी,
साथ साथ मिली थी,
आने की टिकट के साथ साथ,
वापस जाने की टिकट भी मिली थी।
इस जीवन यात्रा का,
भरपूर आनन्द ले लो,
लम्बी उम्र मांगने की जगह,
हर पल में जिंदगी भर लो।
कुछ ऐसा कर जाओ,
कोई चाहकर भी,
तुम्हें भूल न पाएं,
मरने के बाद भी,
तुम्हारे योगदान,
उन्हें तुम्हारी याद दिलाये।
दीपावली में,
किसी अंधेरे घर मे उजाला कर दो,
होली में,
किसी बेरंग जीवन में रँग भर दो।
धरती को हरी चुनर ओढ़ा दो,
जितनी श्वांस ली उतने पेड़ लगा दो,
जितना समाज से लिया,
उससे ज्यादा समाज को लौटा दो।
परमात्मा के दिये जीवन का,
सही ढंग से उपयोग करो,
आत्मकल्याण के साथ साथ,
समाजकल्याण में भी निरत रहो।
मरते वक़्त खुद पर गर्व कर सको,
कुछ तो जीवन में ऐसा कार्य करो,
परमात्मा से नज़रे मिला सको,
ऐसा शानदार जीवन जियो।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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