Monday 13 January 2020

संकष्टी चतुर्थी व्रत की शुभकामनाएं

*संकष्टी चतुर्थी व्रत की शुभकामनाएं - 13 जनवरी 2020*

*संकष्टी चतुर्थी व्रत कथा* - एक कुम्हार का नन्हा बच्चा खेलता हुआ आँवे में प्रवेश कर गया और वहीं सो गया। इस बात से बेख़बर कुम्हार ने आँवे में आग लगा दिया। कुम्हारिन बहुत व्यथित व परेशान हुई, विलाप करती हुई बच्चे को ढूँढने लगी। तभी उसने कुछ लोगों को संकष्टी चतुर्थी का व्रत व पूजन करते देखा। वह भी पूजन में बैठ गयी और भगवान गणेश से पुत्र के सकुशल होने की प्रार्थना करने लगी। भगवत कृपा से वर्षा हो गयी व आग बुझ गयी। पानी पड़ने से बच्चा जग गया और रोने लगा। उसकी आवाज़ सुनकर उसी दिशा में कुम्हार गया और उसे बच्चा मिल गया। भगवान गणेश ने उसके संकट दूर किये।

आज के दिन अधिकतर महिलाएँ निर्जल व्रत करती हैं और कुछ महिलाएँ फलाहार लेकर श्रद्धा पूर्वक व्रत रखती है।

तीन माला गायत्रीमंत्र व एक माला गणेश मन्त्र का जप करती हैं। व शाम को दीपयज्ञ करती हैं व चन्द्रोदय के समय अर्घ्य देती हैं।

आज गणेश भगवान को तिल व गुड़ से बने भोग के साथ साथ शकरकंद का भी भोग लगता है।

👉🏻॥ *गणेश आवाहन*॥

गणेश जी को विघ्ननाशक और बुद्धि- विवेक का देवता माना गया है।

*ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि।*
*तन्नो दन्ती प्रचोदयात्॥* - गु०गा०
*ॐ विघ्नेश्वराय वरदाय सुरप्रियाय,*
*लम्बोदराय सकलाय जगद्धिताय।*
*नागाननाय श्रुतियज्ञविभूषिताय,*
*गौरीसुताय गणनाथ! नमो नमस्ते॥*
*ॐ श्री गणेशाय नमः॥ आवाहयामि, स्थापयामि, ध्यायामि।*

👉🏻॥ *दीपयज्ञ से गणेश चतुर्थी पूजन व दीपदान*॥

दीप, ज्ञान के- प्रकाश के प्रतीक हैं। ज्ञान और प्रकाश के वातावरण में ही लक्ष्मी बढ़ती है, फलती- फूलती है। अज्ञान और अन्धकार में वह नष्ट हो जाती है, इसलिए प्रकाश और ज्ञान के प्रतीक साधन दीप जलाये जाते हैं।
एक थाल में कम से कम ५ या ११ घृत- दीप जलाकर उसका निम्न मन्त्र से विधिवत् पूजन करें।

*ॐ अग्निर्ज्योतिर्ज्योतिरग्निः स्वाहा। सूर्यो ज्योतिर्ज्योतिः सूर्यः स्वाहा। अग्निर्वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। सूर्यो वर्च्चो ज्योतिर्वर्च्चः स्वाहा। ज्योतिः सूर्यः सूर्यो ज्योतिः स्वाहा*॥ ३.९

घर के सभी के हाथ मे अक्षत पुष्प देकर नेत्र बन्द कर भावनात्मक आहुति देने को बोलिये।

*गायत्री मन्त्र*- ॐ भूर्भूवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।

*गणेश गायत्री मन्त्र*- ॐ एकदन्ताय विद्महे, वक्रतुण्डाय धीमहि, तन्नो दन्ती प्रचोदयात्।

*दुर्गा गायत्री मन्त्र*- गिरिजायै विद्महे शिवप्रियायै धीमहि। तन्नो दुर्गा प्रचोदयात्।

*रुद्र गायत्री मन्त्र*- ॐ पञ्चवक्त्राय विद्महे, महाकालाय धीमहि, तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्

*चन्द्र गायत्री मन्त्र*- ॐ क्षीरपुत्राय    विद्महे, अमृतत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र:  प्रचोदयात्।

*महामृत्युंजय मन्त्र*- ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्।
👇🏻
*||गणेश जी की आरती||*

जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
एकदन्त दयावन्त चारभुजाधारी। माथे पर तिलक सोहे मूसे की सवारी॥

पान चढ़े फूल चढ़े और चढ़े मेवा। लड्डुअन का भोग लगे सन्त करें सेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

अन्धे को आँख देत, कोढ़िन को काया। बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
‘सूर’ श्याम शरण आए सफल कीजे सेवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा। माता जाकी पार्वती पिता महादेवा॥

*||शान्तिपाठ||*

ॐ द्यौः शान्तिरन्तरिक्षं शान्तिः
पृथिवी शान्तिरापः शान्तिरोषधयः शान्तिः ।
वनस्पतयः शान्तिर्विश्वेदेवाः शान्तिर्ब्रह्म शान्तिः
सर्वं शान्तिः शान्तिरेव शान्तिः सा मा शान्तिरेधि ॥
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

।। *चन्द्र अर्घ्य* ।।

निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए चन्द्र को अर्घ्य दें:- (अर्घ्य में जल के लोटे में थोड़ा सा गंगाजल, गुड़ व तिल डालकर आज के दिन अर्घ्य दें)

*चन्द्र गायत्री मन्त्र*- ॐ क्षीरपुत्राय    विद्महे, अमृतत्वाय धीमहि, तन्न: चन्द्र:  प्रचोदयात्।

इसके पश्चात फलाहार कर लें।

🙏🏻 *स्त्री वैसे भूख सहन नहीं कर सकती, लेक़िन जब पूजन के उद्देश्य में पति व सन्तान के उज्ज्वल भविष्य की बात हो तो व्रत उपवास रखने में पीछे नहीं हटती। धन्य है भारत भूमि जहां माता व पत्नी के रूप में धर्म परायण देवितुल्य स्त्रियां है। स्त्री यदि इतना ही प्रेम भगवान से कर ले तो वह उसे भी प्राप्त कर सकती है, वह भगवान को प्राप्त करने के लिए कोई भी कठोरतम जप व तप कर सकती है।🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती, DIYA

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