🌺 *मकरसंक्रांति पर्व - 15 जनवरी 2020* की शुभकामनाएं🌺
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प्रश्न - *कब है मकर संक्रांति 2020? (Makar Sankranti Kab Hai)*
उत्तर - ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार सूर्य, मकर राशि में 14 जनवरी की रात 02:07 बजे प्रवेश करेगा. इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है, इस समय किए जप, तप, यज्ञ और दान का फल अनंत गुना होता है।
हिंदू धर्म में सूर्य जिस तिथि में उदय होता है वही तिथि मान्य होती है। रात में हुए खगोलीय परिवर्तन का उत्सव दूसरे दिन सूर्योदय पश्चात मनाया जाएगा।
प्रश्न - *मकर संक्रांति को कैसे मनाएँ?*
उत्तर - मकर संक्रांति को सूर्योदय के पूर्व निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए और गंगा जी का ध्यान करते हुए नहाएं, इससे तीर्थस्थान का पुण्य मिलेगा:-*
*गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।*
*नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।*
गायत्रीमंत्र व निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए तिल, गुड़ एवं उड़द दाल को दान करने हेतु बर्तन या लिफ़ाफ़े में डालें। नज़दीकी मन्दिर या गौशाला में दान दे दें।
ॐ दृते दृन्द मा मित्रस्य मा,
चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
‘मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।’
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।
(यजुर्वेद 36/18 )
‘हमें विश्व के सारे प्राणी मित्र दृष्टि से नित देखें,
और सभी जीवों को हम भी मित्र दृष्टि से नित पेखें।
प्रभो!आप ऐसी सद्बुद्धि व विवेक हमें प्रदान करने की कृपा करें कि हम समस्त विश्व को अपना गुरु बना सकें।
*मकरसंक्रांति के दिन तिल व गुड़ मिलाकर दैनिक यज्ञ या बलिवैश्व यज्ञ अवश्य करें।*
पूजन के वक़्त पीला कपड़ा पहनना अनिवार्य है, यदि पीला वस्त्र नहीं है तो उपवस्त्र गायत्री मन्त्र का दुपट्टा ओढ़े। आसन में ऊनी कम्बल या शॉल उपयोग में लें।
👉🏻मकरसंक्रांति सूर्योपासना गायत्री मन्त्र जप 5 माला अवश्य करें - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
👉🏻5 दीपक शाम को जलाकर दीपदान के समय महामृत्युंजय मन्त्र भी जपें-
*ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
सूर्य गायत्री मन्त्र - *ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्*
👉🏻 *मकर संक्रांति में सुबह सूर्य को अर्घ्य देने की विधि*
यदि घर के आसपास नदी तलाब या कोई जलाशय हो तो पानी में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें।उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए।जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें। जल में थोड़ा काला तिल व थोड़ा गुड़ भी डालकर अर्घ्य दें।ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे।सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे।यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो।जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य मन्त्र* -
*‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*
*ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।ऊँ सूर्याय नमः।ऊँ घृणि सूर्याय नमः।*
*‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।*
👉🏻 *मकरसंक्रांति का प्रसाद*
सुबह व शाम भगवान को भोग में तिल, गुड़, मूँगफली, शकरकंद इन्हीं चीज़ों का भोग लगेगा। सभी प्रसाद में यह खाएंगे।
मकरसंक्रांति के दिन गुरु गोरखनाथ जी की याद में खिचड़ी उड़द के दाल, चावल, हरी सब्जियां मिलाकर खिचड़ी बनाकर घी, पापड़ या अचार के साथ अवश्य खाएँ।
धूप में सपरिवार बैठें व आकाश की ओर देखें। बच्चे व बड़े पतंग उड़ायें।
🙏🏻 *मकर संक्रांति पर्व की बधाई*🙏🏻
आसपड़ोस के भाई बहनों को भी तिल व मूंगफली की बनी स्वादिष्ट चीज़ें खिलाएं, खुशियों का पर्व मकरसंक्रांति मनाएँ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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प्रश्न - *कब है मकर संक्रांति 2020? (Makar Sankranti Kab Hai)*
उत्तर - ज्योतिषीय गणना के अनुसार, इस बार सूर्य, मकर राशि में 14 जनवरी की रात 02:07 बजे प्रवेश करेगा. इसलिए संक्रांति 15 जनवरी को मनाई जाएगी। मकर संक्रांति से अग्नि तत्त्व की शुरुआत होती है और कर्क संक्रांति से जल तत्त्व की। इस समय सूर्य उत्तरायण होता है, इस समय किए जप, तप, यज्ञ और दान का फल अनंत गुना होता है।
हिंदू धर्म में सूर्य जिस तिथि में उदय होता है वही तिथि मान्य होती है। रात में हुए खगोलीय परिवर्तन का उत्सव दूसरे दिन सूर्योदय पश्चात मनाया जाएगा।
प्रश्न - *मकर संक्रांति को कैसे मनाएँ?*
उत्तर - मकर संक्रांति को सूर्योदय के पूर्व निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए और गंगा जी का ध्यान करते हुए नहाएं, इससे तीर्थस्थान का पुण्य मिलेगा:-*
*गंगे च यमुने चैव गोदावरि सरस्वति ।*
*नर्मदे सिन्धु कावेरि जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु ।।*
गायत्रीमंत्र व निम्नलिखित मन्त्र बोलते हुए तिल, गुड़ एवं उड़द दाल को दान करने हेतु बर्तन या लिफ़ाफ़े में डालें। नज़दीकी मन्दिर या गौशाला में दान दे दें।
ॐ दृते दृन्द मा मित्रस्य मा,
चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षन्ताम्।
‘मित्रस्याहं चक्षुषा सर्वाणि भूतानि समीक्षे।
मित्रस्य चक्षुषा समीक्षामहे।’
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः,
सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दुःख भाग्भवेत्।
ॐ शांतिः शांतिः शांतिः।
(यजुर्वेद 36/18 )
‘हमें विश्व के सारे प्राणी मित्र दृष्टि से नित देखें,
और सभी जीवों को हम भी मित्र दृष्टि से नित पेखें।
प्रभो!आप ऐसी सद्बुद्धि व विवेक हमें प्रदान करने की कृपा करें कि हम समस्त विश्व को अपना गुरु बना सकें।
*मकरसंक्रांति के दिन तिल व गुड़ मिलाकर दैनिक यज्ञ या बलिवैश्व यज्ञ अवश्य करें।*
पूजन के वक़्त पीला कपड़ा पहनना अनिवार्य है, यदि पीला वस्त्र नहीं है तो उपवस्त्र गायत्री मन्त्र का दुपट्टा ओढ़े। आसन में ऊनी कम्बल या शॉल उपयोग में लें।
👉🏻मकरसंक्रांति सूर्योपासना गायत्री मन्त्र जप 5 माला अवश्य करें - *ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्*
👉🏻5 दीपक शाम को जलाकर दीपदान के समय महामृत्युंजय मन्त्र भी जपें-
*ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे सुगन्धिम् पुष्टि वर्धनम् उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्*
सूर्य गायत्री मन्त्र - *ॐ भाष्कराय विद्महे, दिवाकराय धीमहि, तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्*
👉🏻 *मकर संक्रांति में सुबह सूर्य को अर्घ्य देने की विधि*
यदि घर के आसपास नदी तलाब या कोई जलाशय हो तो पानी में कमर तक पानी में खड़े होकर अर्घ्य दें, यदि नहीं है तो घर की छत पर या ऐसी जगह अर्घ्य दें जहाँ से सूर्य दिखें। सूर्योदय के प्रथम किरण में अर्घ्य देना सबसे उत्तम माना गया है।सर्वप्रथम प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व नित्य-क्रिया से निवृत्त्य होकर स्नान करें।उसके बाद उगते हुए सूर्य के सामने आसन लगाए।पुनः आसन पर खड़े होकर तांबे के पात्र में पवित्र जल लें।रक्तचंदन आदि से युक्त लाल पुष्प, चावल आदि तांबे के पात्र में रखे जल या हाथ की अंजुलि से तीन बार जल में ही मंत्र पढ़ते हुए जल अर्पण करना चाहिए।जैसे ही पूर्व दिशा में सूर्योदय दिखाई दे आप दोनों हाथों से तांबे के पात्र को पकड़कर इस तरह जल अर्पण करे की सूर्य तथा सूर्य की किरण जल की धार से दिखाई दें। जल में थोड़ा काला तिल व थोड़ा गुड़ भी डालकर अर्घ्य दें।ध्यान रखें जल अर्पण करते समय जो जल सूर्यदेव को अर्पण कर रहें है वह जल पैरों को स्पर्श न करे।सम्भव हो तो आप एक पात्र रख लीजिये ताकि जो जल आप अर्पण कर रहे है उसका स्पर्श आपके पैर से न हो पात्र में जमा जल को पुनः किसी पौधे में डाल दे।यदि सूर्य भगवान दिखाई नहीं दे रहे है तो कोई बात नहीं आप प्रतीक रूप में पूर्वाभिमुख होकर किसी ऐसे स्थान पर ही जल दे जो स्थान शुद्ध और पवित्र हो।जो रास्ता आने जाने का हो भूलकर भी वैसे स्थान पर अर्घ्य (जल अर्पण) नहीं करना चाहिए।
👉🏻 *सूर्य अर्घ्य मन्त्र* -
*‘ॐ सूर्य देव सहस्त्रांशों तेजोराशे जगत्पते। अनुकंपये माम भक्त्या गृहणार्घ्यं दिवाकर:।।*
*ॐ ह्रीं ह्रीं सूर्याय, सहस्त्रकिरणाय। मनोवांछित फलं देहि देहि स्वाहा :।।ऊँ सूर्याय नमः।ऊँ घृणि सूर्याय नमः।*
*‘ऊं भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि। धियो यो न: प्रचोदयात।*
👉🏻 *मकरसंक्रांति का प्रसाद*
सुबह व शाम भगवान को भोग में तिल, गुड़, मूँगफली, शकरकंद इन्हीं चीज़ों का भोग लगेगा। सभी प्रसाद में यह खाएंगे।
मकरसंक्रांति के दिन गुरु गोरखनाथ जी की याद में खिचड़ी उड़द के दाल, चावल, हरी सब्जियां मिलाकर खिचड़ी बनाकर घी, पापड़ या अचार के साथ अवश्य खाएँ।
धूप में सपरिवार बैठें व आकाश की ओर देखें। बच्चे व बड़े पतंग उड़ायें।
🙏🏻 *मकर संक्रांति पर्व की बधाई*🙏🏻
आसपड़ोस के भाई बहनों को भी तिल व मूंगफली की बनी स्वादिष्ट चीज़ें खिलाएं, खुशियों का पर्व मकरसंक्रांति मनाएँ।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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