प्रश्न - *क्या शिक्षकों के लिए भी ड्रेस कोड होना चाहिए?*
उत्तर- शिक्षकों का व्यवस्थित और भव्य दिखना उतना ही अनिवार्य है जितना एक चिकित्सक का रोगोपचार के लिए जाने से पहले साफ सुथरा अप टू डेट दिखना अनिवार्य है। ख़ुद से प्रश्न पूँछिये क्या आप अस्तव्यस्त वस्त्र और परेशान अपियरेंस देने वाले और ढंग से बात व व्यवहार न कर सकने वाले चिकित्सक से उपचार कराना पसन्द करेंगे? नहीं न... फिर अस्तव्यस्त दिखने वाले व अकुशल व्यवहार करने वाले शिक्षक से कौन सा बच्चा पढ़ना पसन्द करेगा?
उत्तम तो यह है कि सभी शिक्षकों का एक अच्छा ड्रेस कोड हो जिसमें व्यवस्थित लुक एंड फील आये। साथ ही उन्हें उठना बैठना और व्यवस्थित बोलने का ढंग भी सिखाया जाना चाहिए। कुशल व्यवहार करना भी सिखाया जाना चाहिए।
विद्यार्थी सबसे पहले सुबह सुबह स्कूल में आपको आकर देखते हैं, फ़िर आपके व्यवहार को महसूस करते हैं। आपसे ज्ञान तो तीसरे चरण में लेते हैं।
यदि शिक्षकों के सभ्य शालीन चाल ढाल व्यवहार, चुस्त दुरुस्त कुशल व्यवहार, बॉडी लैंग्वेज में आवश्यक सुधार न लाया गया तो स्कूल का ब्यूटीफिकेशन अधूरा है।
एक महान शिक्षक ने कहा - *अब भगवान की अलग से पूजा करने की आवश्यकता ही न रही, जब से मुझे अहसास हुआ कि वह बाल रूप में इन विद्यार्थियों के रूप में स्वयं मेरे समक्ष हैं, मुझे अपनी सेवा का सौभाग्य दे रहा है, भगवान तो प्रत्येक मनुष्य के हृदय में बसता है। जितनी पवित्रता व साफ सफाई से मैं पूजन गृह में प्रवेश करती हूँ अब बस उतनी ही व्यवस्थित मैं शिक्षा के मंदिर में पहुंचती हूँ। मेरा शिक्षण कार्य ही मेरी पूजा है मेरी देशभक्ति है। यह कार्य ही मेरी आत्मोन्नति का मार्ग है। मैं दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ कार्य शिक्षण कर रही हूँ, मुझे गर्व हैं। शिक्षण ही मेरी पूजा है यही मेरी भक्ति है।*
*मेरा भाव बदल गया, मेरी चाल ढाल बदल गई। अब यह स्कूल ही मेरा कर्मक्षेत्र और यह स्कूल ही मेरा पूजन गृह बन गया।*
ज्ञान कभी मीठा तो कभी अत्यंत करेले सा कड़वा और बोरिंग होता है, उसे शहद रूपी आत्मियता व व्यवहार कुशलता के साथ बच्चों को परोसा जा सकता है। उन्हें ज्ञानवान बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
विद्यार्थी व शिक्षक दोनों का स्कूल में व्यवस्थित साफ सुथरा और खुशनुमा अपीयरेंस के साथ आना जरूरी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- शिक्षकों का व्यवस्थित और भव्य दिखना उतना ही अनिवार्य है जितना एक चिकित्सक का रोगोपचार के लिए जाने से पहले साफ सुथरा अप टू डेट दिखना अनिवार्य है। ख़ुद से प्रश्न पूँछिये क्या आप अस्तव्यस्त वस्त्र और परेशान अपियरेंस देने वाले और ढंग से बात व व्यवहार न कर सकने वाले चिकित्सक से उपचार कराना पसन्द करेंगे? नहीं न... फिर अस्तव्यस्त दिखने वाले व अकुशल व्यवहार करने वाले शिक्षक से कौन सा बच्चा पढ़ना पसन्द करेगा?
उत्तम तो यह है कि सभी शिक्षकों का एक अच्छा ड्रेस कोड हो जिसमें व्यवस्थित लुक एंड फील आये। साथ ही उन्हें उठना बैठना और व्यवस्थित बोलने का ढंग भी सिखाया जाना चाहिए। कुशल व्यवहार करना भी सिखाया जाना चाहिए।
विद्यार्थी सबसे पहले सुबह सुबह स्कूल में आपको आकर देखते हैं, फ़िर आपके व्यवहार को महसूस करते हैं। आपसे ज्ञान तो तीसरे चरण में लेते हैं।
यदि शिक्षकों के सभ्य शालीन चाल ढाल व्यवहार, चुस्त दुरुस्त कुशल व्यवहार, बॉडी लैंग्वेज में आवश्यक सुधार न लाया गया तो स्कूल का ब्यूटीफिकेशन अधूरा है।
एक महान शिक्षक ने कहा - *अब भगवान की अलग से पूजा करने की आवश्यकता ही न रही, जब से मुझे अहसास हुआ कि वह बाल रूप में इन विद्यार्थियों के रूप में स्वयं मेरे समक्ष हैं, मुझे अपनी सेवा का सौभाग्य दे रहा है, भगवान तो प्रत्येक मनुष्य के हृदय में बसता है। जितनी पवित्रता व साफ सफाई से मैं पूजन गृह में प्रवेश करती हूँ अब बस उतनी ही व्यवस्थित मैं शिक्षा के मंदिर में पहुंचती हूँ। मेरा शिक्षण कार्य ही मेरी पूजा है मेरी देशभक्ति है। यह कार्य ही मेरी आत्मोन्नति का मार्ग है। मैं दुनियाँ का सर्वश्रेष्ठ कार्य शिक्षण कर रही हूँ, मुझे गर्व हैं। शिक्षण ही मेरी पूजा है यही मेरी भक्ति है।*
*मेरा भाव बदल गया, मेरी चाल ढाल बदल गई। अब यह स्कूल ही मेरा कर्मक्षेत्र और यह स्कूल ही मेरा पूजन गृह बन गया।*
ज्ञान कभी मीठा तो कभी अत्यंत करेले सा कड़वा और बोरिंग होता है, उसे शहद रूपी आत्मियता व व्यवहार कुशलता के साथ बच्चों को परोसा जा सकता है। उन्हें ज्ञानवान बनने के लिए प्रेरित किया जा सकता है।
विद्यार्थी व शिक्षक दोनों का स्कूल में व्यवस्थित साफ सुथरा और खुशनुमा अपीयरेंस के साथ आना जरूरी है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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