प्रश्न - *बेहतरीन(Excellent) शिक्षक और औसत शिक्षक(Average) में क्या अंतर है?*
उत्तर - एक ही इंस्टिट्यूट से पढ़े व एक समान एजुकेशनल डिग्री रखने वाले, एक समान अंक स्कोर करने वाले में भी कोई औसत दर्जे का शिक्षक बनता है और कोई बेहतरीन शिक्षक बनता है।
*बेहतरीन(Excellent) शिक्षक और औसत शिक्षक(Average) में अंतर*:-
*औसत शिक्षक(Average) :-*
1- नकारात्मक दृष्टिकोण (Negative Attitude)
2- शिक्षण को जॉब की तरह कमाई का जरिया मानना
3- नित्य जो पढ़ाना है उसके बारे में और जानकारी न हासिल करना
4- नई नई शिक्षण तकनीक का अनुसंधान न करना, उसके बारे में सोचना
5- व्यवहार कुशल न होना, व हाव भाव, व्यक्तित्व और प्रेजेंटेशन स्किल एवरेज़ होना।
6- घर की समस्या का चिन्तन स्कूल में करना
7- क़िस्मत में जो लिखा है वही होगा। यह मानना। एक ढर्रे में मशीनवत स्कूल आना, पढ़ाना व जीना।
8- यह स्वयं को कोर्स पूरा कराने में बिजी रखते हैं, खाना पूर्ति इनका ध्येय है। यह स्वयं को विषय का टीचर समझते हैं।
9- जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं।
👇🏻
*बेहतरीन(Excellent) शिक्षक:-*
1- सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude)
2- शिक्षण को सेवा मानना, देशभक्ति की भावना से शिक्षण को गौरवशाली कार्य समझ के करना
3- नित्य जो पढ़ाना है उसके बारे में और नई नई जानकारी हासिल करना, इंटरनेट पर और नई नई खोज़ों को पढ़ना।
4- नई नई शिक्षण तकनीक का अनुसंधान करना, उसके बारे में सोचना, इसे यदि ऐसे किया जाय तो कैसा रहेगा।
5- व्यवहार कुशल होना, व अपने हाव भाव, व्यक्तित्व और प्रेजेंटेशन स्किल पर काम करना। स्वयं को नित्य बेहतर और बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहना।
6- घर की समस्या को घर में छोड़कर आना। स्कूल में केवल स्कूल के उत्थान व बालको के कल्याण को सोचना व प्रयत्नशील रहना।
7- कर्मफ़ल के सिद्धांत पर विश्वास करना, जो बोयेंगे वही काटेंगे यह गहराई से समझना। अपनी किस्मत ख़ुद लिखना व बालको को भी अपनी किस्मत अच्छी बनाने के लिए प्रेरित करना। रोज उत्साह उमंग व उल्लास से पढ़ाने के कार्य को करना।
8- यह स्वयं को विद्यार्थी का शिक्षक समझते हैं, अतः उनके समग्र व्यक्तित्व विकास पर सम्बन्धित विषय पढ़ाने के साथ साथ ध्यान रखते हैं।
9- जिम्मेदारी लेते हैं, निभाते हैं।
🙏🏻 विजेता और बेहतरीन शिक्षक कोई अलग कार्य नहीं करते, बल्कि उसी कार्य को अलग तरीक़े से करने की कोशिश करते हैं।नित्य नए जीवन युद्ध को विजेता की तरह चुनौती के रूप मे स्वीकार करते हैं।🙏🏻
*शिक्षक व चिकित्सक दोनो ही जीवित व्यक्तियों पर कार्य करते हैं। दोनों का कठिन व नोबल कार्य है। इन्हें इनके अच्छे कार्य के लिए कोई पुरस्कृत करे या न करे, यह स्वयंमेव विद्यार्थियों और मरीज़ों की दुआओं में शामिल हो जाते हैं। यही इनका नोबल प्राइज़ है।*
इनकी लापरवाही से जिंदा लाश इंसान बन जाता है। डॉक्टर की गलती तो कब्र में दफ़न या चिता में जल जाती है। लेकिन शिक्षक की गलती से बने गलत मानसिकता के बच्चे समाज में तबाही मचाते हैं। शिक्षक की अच्छाई हो या बुराई दोनों छुप नहीं सकती, उसकी अभिव्यक्ति उनके विद्यार्थी कर ही देते हैं।
शिक्षक तो साल भर में कुछ बार ही विद्यार्थियों का एग्जाम लेते हैं, मग़र विद्यार्थी तो शिक्षकों का हर घड़ी एग्जाम लेते हैं। सतर्कता साथ हर घड़ी इंटरव्यू व एग्जाम देने के लिए शिक्षको को तैयार रहना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर - एक ही इंस्टिट्यूट से पढ़े व एक समान एजुकेशनल डिग्री रखने वाले, एक समान अंक स्कोर करने वाले में भी कोई औसत दर्जे का शिक्षक बनता है और कोई बेहतरीन शिक्षक बनता है।
*बेहतरीन(Excellent) शिक्षक और औसत शिक्षक(Average) में अंतर*:-
*औसत शिक्षक(Average) :-*
1- नकारात्मक दृष्टिकोण (Negative Attitude)
2- शिक्षण को जॉब की तरह कमाई का जरिया मानना
3- नित्य जो पढ़ाना है उसके बारे में और जानकारी न हासिल करना
4- नई नई शिक्षण तकनीक का अनुसंधान न करना, उसके बारे में सोचना
5- व्यवहार कुशल न होना, व हाव भाव, व्यक्तित्व और प्रेजेंटेशन स्किल एवरेज़ होना।
6- घर की समस्या का चिन्तन स्कूल में करना
7- क़िस्मत में जो लिखा है वही होगा। यह मानना। एक ढर्रे में मशीनवत स्कूल आना, पढ़ाना व जीना।
8- यह स्वयं को कोर्स पूरा कराने में बिजी रखते हैं, खाना पूर्ति इनका ध्येय है। यह स्वयं को विषय का टीचर समझते हैं।
9- जिम्मेदारी लेने से कतराते हैं।
👇🏻
*बेहतरीन(Excellent) शिक्षक:-*
1- सकारात्मक दृष्टिकोण (Positive Attitude)
2- शिक्षण को सेवा मानना, देशभक्ति की भावना से शिक्षण को गौरवशाली कार्य समझ के करना
3- नित्य जो पढ़ाना है उसके बारे में और नई नई जानकारी हासिल करना, इंटरनेट पर और नई नई खोज़ों को पढ़ना।
4- नई नई शिक्षण तकनीक का अनुसंधान करना, उसके बारे में सोचना, इसे यदि ऐसे किया जाय तो कैसा रहेगा।
5- व्यवहार कुशल होना, व अपने हाव भाव, व्यक्तित्व और प्रेजेंटेशन स्किल पर काम करना। स्वयं को नित्य बेहतर और बेहतर बनाने के लिए प्रयत्नशील रहना।
6- घर की समस्या को घर में छोड़कर आना। स्कूल में केवल स्कूल के उत्थान व बालको के कल्याण को सोचना व प्रयत्नशील रहना।
7- कर्मफ़ल के सिद्धांत पर विश्वास करना, जो बोयेंगे वही काटेंगे यह गहराई से समझना। अपनी किस्मत ख़ुद लिखना व बालको को भी अपनी किस्मत अच्छी बनाने के लिए प्रेरित करना। रोज उत्साह उमंग व उल्लास से पढ़ाने के कार्य को करना।
8- यह स्वयं को विद्यार्थी का शिक्षक समझते हैं, अतः उनके समग्र व्यक्तित्व विकास पर सम्बन्धित विषय पढ़ाने के साथ साथ ध्यान रखते हैं।
9- जिम्मेदारी लेते हैं, निभाते हैं।
🙏🏻 विजेता और बेहतरीन शिक्षक कोई अलग कार्य नहीं करते, बल्कि उसी कार्य को अलग तरीक़े से करने की कोशिश करते हैं।नित्य नए जीवन युद्ध को विजेता की तरह चुनौती के रूप मे स्वीकार करते हैं।🙏🏻
*शिक्षक व चिकित्सक दोनो ही जीवित व्यक्तियों पर कार्य करते हैं। दोनों का कठिन व नोबल कार्य है। इन्हें इनके अच्छे कार्य के लिए कोई पुरस्कृत करे या न करे, यह स्वयंमेव विद्यार्थियों और मरीज़ों की दुआओं में शामिल हो जाते हैं। यही इनका नोबल प्राइज़ है।*
इनकी लापरवाही से जिंदा लाश इंसान बन जाता है। डॉक्टर की गलती तो कब्र में दफ़न या चिता में जल जाती है। लेकिन शिक्षक की गलती से बने गलत मानसिकता के बच्चे समाज में तबाही मचाते हैं। शिक्षक की अच्छाई हो या बुराई दोनों छुप नहीं सकती, उसकी अभिव्यक्ति उनके विद्यार्थी कर ही देते हैं।
शिक्षक तो साल भर में कुछ बार ही विद्यार्थियों का एग्जाम लेते हैं, मग़र विद्यार्थी तो शिक्षकों का हर घड़ी एग्जाम लेते हैं। सतर्कता साथ हर घड़ी इंटरव्यू व एग्जाम देने के लिए शिक्षको को तैयार रहना चाहिए।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
No comments:
Post a Comment