वह नहीं बदल सकता,
जो बदलना ही न चाहे,
वह नहीं सुधर सकता,
जो सुधरना ही न चाहे,
वर्षा उसे भर नहीं सकती,
जो घड़ा नीचे मुख कर ले,
रौशनी उसके कमरे तक पहुंच नहीं सकती,
जो खिड़की दरवाज़े सब बन्द कर ले।
सुअवसर भी व्यर्थ चले जायेंगे,
जो सतर्क नहीं है,
क़िस्मत भी उसकी रूठ जाएगी,
जो प्रयत्नशील नहीं है।
किसी ने क्या खूब *किस्मत की परिभाषा* लिखी है,
*सतर्क व पुरुषार्थी व्यक्ति और सुअवसर के मिलन के पॉइंट को किस्मत कहते हैं।*
क़िस्मत के भरोसे बैठे लोगों के हाथ बस वही जूठन आता है जो प्रयत्न करने वाले जो जूठन छोड़ देते हैं।
किस्मत बदलना है, तो विचार बदलो, उन विचारों से अपना दृष्टिकोण बदलो, तत्संबंधी आदतें बदलो, आदतें बदलते ही किस्मत स्वतः बदल जाएगी।
समस्या क़िस्मत में नहीं जनाब आपकी आदतों और जीवन के प्रति अपनाए आपके रवैये में है।
पता सबको है कि किन आदतों को बदलने से जीवन बदल जायेगा, मग़र अफ़सोस उसे बदलने की फुर्सत नहीं।
दुनियाँ का कोई भी मोटिवेटर उस व्यक्ति को मोटिवेट नहीं कर सकता, जिसने अपने कान ही बन्द कर रखे हों, जिसने स्वयं को भाग्य भरोसे छोड़ रखा हो।
हम जैसे मोटिवेटर तो उसकी सेवा में जुटते हैं जो बदलने के लिए तैयार खड़ा है, जो कुछ कर गुजरने को तैयार बैठा है, जो स्वयं का उत्थान चाहता है, जो स्वयं को अपने भाग्य का निर्माता मानता है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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