Wednesday, 8 January 2020

प्रश्न - *दी, "वरण" और "धारण" शब्द में क्या अंतर है? "गुरु वरण" होता है या "गुरु धारण" किया जाता है? कृपया बताएँ*

प्रश्न - *दी, "वरण" और "धारण" शब्द में क्या अंतर है? "गुरु वरण" होता है या "गुरु धारण" किया जाता है? कृपया बताएँ*

उत्तर- आत्मीय भाई,
 "वरण" अर्थात चयन, चुनना जिसे अंग्रेजी में choice  या elect कहते हैं। जबकि "धारण" अर्थात पकड़ना, स्वयं में समाहित करना जिसे अंग्रेजी में कहते हैं hold.

वर वधु एक दूसरे का वरण करते हैं, अर्थात चयन करते हैं। जीवन भर साथ रहने का चयन करते हैं।

शिष्य गुरु को धारण करता है, अर्थात अपनी चेतना में गुरु चेतना को भरता है। चेतना स्तर पर गुरु का हाथ पकड़ता है।

अतः "गुरु धारण" ही सही है।

अत्यंत योग्य शिष्य हो तो ही गुरु स्वयं विभिन्न संकेतों से अपनी उपस्थिति का अहसास देता है। गुरु स्वयं शिष्य को ढूढ़ लेता है।

अन्यथा अन्य केस में साधारण शिष्यों को गुरु प्रथम वरण फिर धारण करना होता है। जैसे देवता कई पूजे जाते हैं, मग़र ईष्ट आराध्य किसी एक को ही बनाते हैं। इसीतरह गुरु वरण कई किये जा सकते हैं, लेकिन गुरु धारण एक ही को किया जाता है और वह हमारा सद्गुरु होता है।

*गुरु करो जान के और पानी पियो छान के।*

आध्यात्मिक जगत में सदगुरु व्यक्ति नहीं शक्ति होता है, वही व्यक्ति सदगुरु बनने की योग्यता रखता है जो तपस्या व आत्मतेज में *वशिष्ठ* की योग्यता रखता हो और लोकसेवा और आत्मियता विस्तार में *विश्वामित्र* के समान हो, जिसने अर्जित तपशक्ति को सृजन हेतु उपयोग *ब्रह्मा* की तरह किया हो। क्योंकि वह चेतन स्तर पर शक्ति सम्पन्न होगा तभी तो आपकी आध्यात्मिक अंतर्जगत यात्रा में आपके साथ होगा और आपकी चेतना को ऊपर उठाने में उनकी कृपा व सहायता मिलेगी।

संसार में भी जिस तरह अच्छे सेवाभावी चिकित्सक व बुरे चिकित्सा के व्यापारी चिकित्सक है, वैसे ही अध्यात्म में भी अच्छे लोकसेवी सद्गुरु और बुरे अध्यात्म के व्यापारी गुरु घण्टाल दोनों मौजूद हैं। अतः सतर्कता अनिवार्य है। कुछ बुरे लोगों के कारण पूरी तरह से चिकित्सा का त्याग करना बेवकूफ़ी है, ठीक उसी तरह कुछ बुरे गुरु घण्टालों के कारण अध्यात्म का त्याग भी बेवकूफ़ी ही होगी।

वही ठगा जाता है, जो अध्यात्म का शॉर्टकट ढूँढ़ता है और जो मात्र मनोकामना की पूर्ति करने के उद्देश्य से अध्यात्म में प्रवेश करता है। सही रास्ते का चुनाव करो व सही शुद्ध भाव व शुद्ध उद्देश्य से सद्गुरु तलाशो जरूर सद्गुरु मिलेंगे। उन सद्गुरु को धारण करो।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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