Tuesday 11 February 2020

प्रश्न - *श्वेता बहन... किसी ने मुझे कहा कि चंद्र ग्रहण में हम जो नियम मानते हैं कि जैसे चाकू से कुछ नहीं काटना, खाना नहीं खाना, खुली आंखों से नहीं देखना ग्रह, गर्भवती को नियम पालन करना आदि का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं, विज्ञान सहमती नहीं देता अंधविश्वास है....*

प्रश्न - *श्वेता बहन... किसी ने मुझे कहा कि चंद्र ग्रहण में हम जो नियम मानते हैं कि जैसे चाकू से कुछ नहीं काटना, खाना नहीं खाना, खुली आंखों से नहीं देखना ग्रह, गर्भवती को नियम पालन करना आदि का कोई वैज्ञानिक आधार नहीं, विज्ञान सहमती नहीं देता अंधविश्वास है....*

उत्तर - उन बहन को कहिए बिल्कुल मत मानिए सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण का महत्त्व हमारे कहने पर, अपितु हम चाहते हैं स्वयं देखो व जांचों परखो फिर मन करे तो मान लेना, न मन करे तो रहने देना।

अब ऐसा है, कि अंग्रेजो ने मानसिक गुलामी की आदत डाल दी है, भारतीय ज्योतिष व खगोलीय ज्ञान आज के मानसिक गुलाम तब तक नहीं मानते जब तक वह कोई पाश्चत्य का कोई व्यक्ति बोल न दे।

गौ मूत्र पर अमेरिका ने जब पेटेंट ली तब लोग चेते, उपवास पर जब लोगों ने नोबल पुरस्कार जीता तब लोगों को उपवास का महत्त्व समझ आया। नासा ने जब कहा - सूर्य ॐ साउंड देता है तब गुलामो ने माना। हमारे वेद पुराणों में तो सब गणना व ज्ञान पहले से ही है। हमारा बनारस में बैठा पण्डित पूरे वर्ष का चन्द्र व सूर्यग्रहण कब होगा एक वर्ष पूर्व बिना मशीनों के बता देता है।

प्रकृति मानती है, पशुपक्षी मानते है, और मनुष्य के रक्तकण मानते है। क्योंकि सूर्य व चन्द्र समुद्र में ज्वार भाँटे के साथ साथ, जहां जहां भी जल है उसे सीधे सीधे प्रभावित करते हैं। मनुष्य का शरीर 75% जल से ही निर्मित है।

हम सभी के अंदर भी अन्य पशु पक्षी की तरह अतीन्द्रिय क्षमता है, सूर्य ग्रहण व चन्द्र ग्रहण से लेकर मौसम के बदलाव को जानने की, अफसोस यह है कि उन सभी लोगों ने खो दिया है जो गहन ध्यान नहीं करते।

सूर्यचिकित्सा विज्ञान रेफरेंस के लिए पढ़े।

स्त्रियों का रक्त मासिक धर्म एवं बच्चे के समय पतला होता है, लेकिन पुरुषों का रक्त कभी पतला नहीं होता। लेकिन आश्चर्यजनक बात यह है कि पुरुषों का रक्त सूर्य ग्रहण के वक्त वैसे ही पतला होता है, जैसा स्त्री का मासिक धर्म के वक्त होता है। पुरुष के रक्त पर सूर्य ग्रहण का प्रभाव सीधा सीधा नोट किया जा सकता है।

एक काम करें, उन बहन को कुछ प्रयोग खुद करके देख लेंने को बोलिये:-

1- पति का रक्तपरिक्षण साधारण दिनों में करा लें व थिकनेस जांच लें और जिस दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण हो उस दिन रक्त परीक्षण करवा लें व रक्त कितना पतला हुआ नोट कर लें।

2- जंगल आम दिनों पर चली जाएँ औऱ पक्षी व बंदरो का हल्ला गुल्ला नोट कर लें। जिस दिन पूर्ण सूर्य ग्रहण हो नोट करें कि आख़िर चहचहाहट चिड़ियों की कम क्यों हो गयी और बंदर अधिकतर जमीन पर क्यों है?

3- मासिक धर्म या गर्भवती स्त्री का EEG व ECG नॉर्मल दिनों में करवा लें और सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण के दिन रीडिंग नोट कर लें। अंतर नोट कर लें।

4- अपनी सहेली से कहो पिछले 700 साल में हुई महामारी और बड़े युद्ध के वर्ष नोट करें और फिर सूर्य के नाभिक केंद्र में प्रत्येक 11 वर्ष उठने वाले आण्विक तूफानों का वर्ष नोट कर लें। स्वयं से पूँछे युद्ध व महामारी का सूर्य से सम्बन्ध क्यों है?

5- अपनी सहेली से कहो कि ऊर्जा मापक यन्त्र बोविस मीटर आता है और एक क्रिलियन फोटोग्राफी होती है। या कुछ नहीं है तो असली रुद्राक्ष जिसे उपयोग कर कम से कम 10 हज़ार मन्त्र जपा गया है उसे ले लो। साधारण दिन में खाना बनाकर एक घण्टे के बाद उसकी ऊर्जा चेक कर लो और सूर्य ग्रहण के दिन ठीक वैसा ही कर लेना। रिजल्ट नकारात्मक ऊर्जा का जांच लेना। ऊर्जा विज्ञान पर अंग्रेजी पुस्तकें उपलब्ध हैं, कृपया पढ़े।

विज्ञान का अर्थ होता है - विशेष ज्ञान।  वह विशेष ज्ञान प्रत्येक चीज़ों का भारतीय ऋषियों के पास तप से उपलब्ध था। वैदिक रश्मि थ्योरी पुस्तक पढ़ लीजिये ज्ञान नेत्र खुल जाएंगे।

विज्ञान आपने कितना पढ़ा है मैडम? टीवी, मीडिया, फेसबुक और व्हाट्सएप से विज्ञान पढ़ने वाले आधुनिक अंग्रेज मानसिक गुलाम बहन भाइयों थोड़ा रिसर्च करो, अंग्रेजो की लिखी पुस्तक भी इस विषय पर प्रचुर मात्रा में उपलब्ध है।

अपनी सहेली से कहिए, कोई वैज्ञानिक किसी बात को इनकार करने से पहले हज़ारो परीक्षण करता है, वैसे ही आप भी उपरोक्त परीक्षण करके डंके की चोट कहिए - सूर्यग्रहण व चन्द्रग्रहण का प्रभाव मनुष्यो पर नहीं पड़ता व अंधविश्वास है।

एक विनती मेरी तरफ से...
*दो बातों पर नियंत्रण होना जरूरी है...*
*आमदनी प्रर्याप्त ना हो...*
*तो खर्चों पर*
*और...*
*जानकारी प्रर्याप्त न हो...*
*तो शब्दों पर।*

साहित्य व रिसर्च न पढ़ी हो तो भारतीय ज्ञान परम्परा पर प्रश्न मत करना व गलती से भी अंधविश्वास बिना आधार के मत कहना। हमें बहुत बुरा लगता है जब बिन विज्ञान पढ़े कोई विज्ञान की दुहाई देकर हमारे भारतीय आध्यात्मिक विज्ञान को चैलेंज करता है।

वैसे गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दौरान चाकू, छुरी, ब्लेड, कैंची जैसी काटने की किसी भी वस्तु का प्रयोग न करें। इससे गर्भ में पल रहे बच्चे के अंगों पर बुरा असर पड़ सकता है। इस दौरान सुई धागे का प्रयोग भी वर्जित है। धातु   नकारात्मक ऊर्जा के लिए सुचालक का कार्य करता है। अतः आप ज्यों ही कोई धातु हाथ मे लेंगे वो नकारात्मक ऊर्जा को आकर्षित करके आपके मानवीय विद्युत ऊर्जा में प्रवेश करा देगी। नकारात्मक ऊर्जा को यदि गर्भ में पल रहा बालक न सह पाया तो अपाहिज भी हो सकता है। या मानसिक रूप से डिस्टर्ब हो सकता है।

मानवीय विद्युत के बारे में पढ़ना पड़ेगा तब उपरोक्त कथन समझ आएगा। मीडिया व शोशल मीडिया स्टोर पर यह ज्ञान नहीं मिलेगा इसके लिए रिसर्च गेट वेबसाइट पर जाना होगा।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...