Tuesday 11 February 2020

आइये आज की क्लास में युगऋषि की पुस्तकों से जीवन गणित में अंकित मूल्य और स्थान का मूल्य (face value and place value) पढ़ते हैं

*आइये आज की क्लास में युगऋषि की पुस्तकों से जीवन गणित में अंकित मूल्य और स्थान का मूल्य (face value and place value) पढ़ते हैं।*

रिश्तों में प्यार व सम्मान एक दूसरे के पूरक हैं, प्यार बिना सम्मान अधूरा है, सम्मान बिना प्यार लंगड़ा व लूला है।

*सांसारिक जीवन व आध्यात्मिक सफ़र में सुकून प्राप्ति के लिए स्वयं के चरित्र में व्याप्त - दोहरा चरित्र(जिसे आम भाषा में दोगलापन) कहते हैं छोड़ दीजिये। अन्यथा जीवन नर्क बनेगा।*

*बहु* -  यदि सास व ससुर से नफरत है तो पति से भी नफ़रत कीजिये। क्योंकि पति सास ससुर के दिये रक्त-मांस पिंड से बना है। वह आज जो कुछ भी है सास-ससुर द्वारा बनाया गया है। पति से प्यार और उनके जन्मदाताओं से नफ़रत का दुहरा चरित्र छोड़ दीजिए।

*दामाद* -  यदि सास व ससुर से नफरत है तो पत्नी से भी नफ़रत कीजिये। क्योंकि पत्नी सास ससुर के दिये रक्त-मांस पिंड से बनी है। वह आज जो कुछ भी है सास-ससुर द्वारा बनाया गया है। पत्नी से प्यार और उनके जन्मदाताओं से नफ़रत का दुहरा चरित्र छोड़ दीजिए।

*बेटे का माता-पिता - सास व ससुर जी* - बेटा दूध है और बहू दही रूपी जामन, और पोते व पोती उनसे निर्मित मक्ख़न। स्वयं भी कभी बहु बनकर घर आई थीं। जब बेटे में बहु रूपी जामन पड़ गया तो वह दूध नहीं रहेगा, उसका स्वभाव बदलेगा अब खीर नहीं बन सकती लेकिन मीठी दही बन सकती है। जैसे आपके आने से आपके पति बदले थे बेटा भी बदलेगा। यदि पोते पोती और बेटे से प्यार है तो बहु से भी प्यार कीजिये, अन्यथा सबसे नफरत कीजिये। अपने ज़माने की दुहाई बिल्कुल मत दीजिये क्योंकि आपके जमाने की टेक्नोलॉजी आप यूज नहीं कर रहे, जब आधुनिक टेक्नोलॉजी चाहिए तो फिर आधुनिक बहु से परहेज़ क्यों? स्वयं का शरीर जब ढीला हो गया तो रिश्तों को कसकर रखने की उम्मीद क्यों? स्वयं परिवार के लिए उपयोगी बनिये, आपके दिए अच्छे संस्कार ही आपकी मदद करेंगे। बहु व बेटे की घर गृहस्थी में बेवजह दखल मत दीजिये, कोच(गुरु) की भूमिका सिखाने में है लेकिन खेल के मैदान में हस्तक्षेप अनुचित है। उन की घर गृहस्थी में हस्तक्षेप अनुचित है। आपको जन्म से लेकर 18 वर्ष तक वक़्त सिखाने के लिए पर्याप्त वक्त मिला था न? अब उसे उस पर अमल करने दीजिए।

*बेटी के माता-पिता - सास व ससुर जी* - बेटी दूध है और दामाद दही रूपी जामन, और नाती व नातिन उनसे निर्मित मक्ख़न। स्वयं भी कभी बहु बनकर घर आई थीं और आप भी बहु व दामाद के रूप में रह चुके हो। जब बेटी में दामाद रूपी जामन पड़ गया तो वह दूध नहीं रहेगी, उसका स्वभाव बदलेगा अब खीर नहीं बन सकती लेकिन मीठी दही बन सकती है। जैसे आपके आने से आपके पति बदले थे आपका दामाद भी बदलेगा, जैसे आप बदली थी वैसे बेटी भी बदलेगी। यदि बेटी से और उसके बच्चों से प्यार है तो दामाद व उसके घर वालों से भी प्यार कीजिये, अन्यथा सबसे नफरत कीजिये। अपने ज़माने की दुहाई बिल्कुल मत दीजिये क्योंकि आपके जमाने की टेक्नोलॉजी आप यूज नहीं कर रहे, जब आधुनिक टेक्नोलॉजी चाहिए तो फिर आधुनिक दामाद से परहेज़ क्यों? स्वयं का शरीर जब ढीला हो गया तो रिश्तों को कसकर रखने की उम्मीद क्यों? स्वयं परिवार के लिए उपयोगी बनिये, आपके दिए अच्छे संस्कार ही आपकी मदद करेंगे। बेटी की घर गृहस्थी में बेवजह दखल मत दीजिये, कोच(गुरु) की भूमिका सिखाने में है लेकिन खेल के मैदान में हस्तक्षेप अनुचित है। किसी की घर गृहस्थी में हस्तक्षेप अनुचित है। आपको जन्म से लेकर 18 वर्ष तक वक़्त सिखाने के लिए पर्याप्त वक्त मिला था न? अब उसे उस पर अमल करने दीजिए।

*पति - पत्नी* - अनाथ लड़के या लड़की से शादी नहीं हुई है तो एक दूसरे के घर वाले जिन्होनें पाला है उनकी इज्ज़त करें। विवाह एक अनुबन्ध है, समाज की महत्त्वपूर्ण इकाई है इसे बुद्धिकुशलता से सम्हाले। एक दूसरे से आगे जीवन कैसे जीना है उस पर क्लियर बातचीत करें। मिस्टर परफेक्ट और मिस परफेक्ट नामक प्रजाति पृथ्वी पर नहीं पाई जाती इसलिए इसे ढूंढने में वक्त नष्ट न करें। पति व पत्नी जो जैसा है उसे उसके अस्तित्व के साथ स्वीकारें। कमल को गुलाब और गुलाब को कमल बनाने में समय जिस प्रकार व्यर्थ नहीं करते वैसे ही पति को अपने पिता जैसा और पत्नी को अपनी  माँ जैसा बनाने की चाहत छोड़ दें। आपको अपनी माँ जरूर परफेक्ट लग रही होगी लेकिन वह आपके पिता को पत्नी रूप में आपकी मां परफेक्ट नहीं लगती। इसीतरह जिस तरह पिता आपको परफेक्ट लगते हैं वैसे आपकी माता को पति रूप में आपके पिता परफेक्ट नहीं लगते। अतः बेवकूफ़ी छोड़िए पति को पिता से और पत्नी को माँ से तुलना मत कीजिये। पत्नी पत्नी में प्यार व सम्मान एक दूसरे के पूरक हैं, प्यार बिना सम्मान अधूरा है, सम्मान बिना प्यार लंगड़ा व लूला है।

👉🏻 गणित तो पढ़ी होगी, आइये जीवन गणित में आपको अंकित मूल्य और स्थान का मूल्य (face value and place value) ।

5 अंकित मूल्य
151 यहां 5 की कीमत स्थान बदलने से 50 हो गयी है।

 जब तक बेटी या बेटे रूप में है आप अंकित मूल्य पर है, ऑफिस में आप अंकित मूल्य(face value) अनुसार व्यवहार करेंगे। लेक़िन रिश्ते बदलते ही आप वही होंगे किंतु व्यवहार स्थान मूल्य (Place value) अनुसार होगा।  जीवन गणित जितनी जल्दी समझ जाएं उतना अच्छा और जीवन को बनाये सरल व सच्चा। प्रत्येक स्थान के अनुसार व्यवहार व जिम्मेदारी उठाइये।

जीवन के प्रति दृष्टिकोण ठीक रखें, बेटी की तरह बहु से प्यार, बेटे की तरह दामाद से प्यार, अपने माता पिता की तरह सास ससुर से प्यार करो। बुद्धिकुशलता से रिश्ते सम्हालो और धरती में ही स्वर्ग सा सुंदर परिवार बसाओ।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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