इसे राजनीतिक पोस्ट न समझें, इसे नीतिगत पोस्ट समझें:-
एक बार एक क्रूर शासक से दूसरे राज्य के शासक मिलने आये, बोले तुम अपनी जनता के लिए कुछ भी नहीं करते फिर भी तुम्हारी सर्वत्र जय जयकार क्यों करते है? मैं अपनी जनता के लिए इतना कुछ करता हूँ फिर भी वो मेरी कद्र नहीं करते।
क्रूर शासक मुस्कुराया और बोला शब्दो से क्या समझाऊं चलो कुछ डेमो प्रेक्टिकल करके दिखाता हूँ?
उसने कुछ पशु पक्षी मंगवाए:-
पहले उसने कुछ मुर्गे और पक्षियों के सारे पँख क्रूरता से नोचे फिर उन के आगे दाने डालने लगा। मुर्गे व पक्षी अपमान भूल गए और दाने के लिए क्रूर शासक के पीछे पीछे दौड़ने लगे।
पुनः उसने कुछ पशुओं को बेतरतीब पीटा और कुछ देर बाद में बोटी डाली सब पूंछ हिलाकर खाने लगे।
क्रूरशासक बोला मैं जनता को नोचता हूँ, उनको लूटता हूँ। फ़िर उसी लूट का कुछ अंश इन्हें दान में मुफ्त देता हूँ। यह मेरे पीछे पीछे जयकारे लगाते हैं।
तुम उन्हें यह बताते हो कि तुम उन्हें अधिकार दे रहे हो, मैं उन्हें यह बताता हूँ कि मैं तुम्हे मुफ़्त दे रहा हूँ। उन्हें जताता हूँ, उन्हीं को पहले लूटकर फिर भीख दे देता हूँ।
यह फर्क है
एक बार एक क्रूर शासक से दूसरे राज्य के शासक मिलने आये, बोले तुम अपनी जनता के लिए कुछ भी नहीं करते फिर भी तुम्हारी सर्वत्र जय जयकार क्यों करते है? मैं अपनी जनता के लिए इतना कुछ करता हूँ फिर भी वो मेरी कद्र नहीं करते।
क्रूर शासक मुस्कुराया और बोला शब्दो से क्या समझाऊं चलो कुछ डेमो प्रेक्टिकल करके दिखाता हूँ?
उसने कुछ पशु पक्षी मंगवाए:-
पहले उसने कुछ मुर्गे और पक्षियों के सारे पँख क्रूरता से नोचे फिर उन के आगे दाने डालने लगा। मुर्गे व पक्षी अपमान भूल गए और दाने के लिए क्रूर शासक के पीछे पीछे दौड़ने लगे।
पुनः उसने कुछ पशुओं को बेतरतीब पीटा और कुछ देर बाद में बोटी डाली सब पूंछ हिलाकर खाने लगे।
क्रूरशासक बोला मैं जनता को नोचता हूँ, उनको लूटता हूँ। फ़िर उसी लूट का कुछ अंश इन्हें दान में मुफ्त देता हूँ। यह मेरे पीछे पीछे जयकारे लगाते हैं।
तुम उन्हें यह बताते हो कि तुम उन्हें अधिकार दे रहे हो, मैं उन्हें यह बताता हूँ कि मैं तुम्हे मुफ़्त दे रहा हूँ। उन्हें जताता हूँ, उन्हीं को पहले लूटकर फिर भीख दे देता हूँ।
यह फर्क है
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