🌹 *मेरा पहला प्यार - मेरी माँ और पापा* 🌹
🌹🌹🌹🌹14 फरवरी 🌹🌹🌹🌹🌹
जब मुझे थोड़ी चेतना आई,
ख़ुद को पाया माँ के गर्भ में,
गर्भनाल से जुड़ा था उससे,
जिसके लिए था सर्वस्व मैं।
मेरे दिल में जब धड़कन आई,
वह मन ही मन मुस्कुराई,
जब मैंने अपना पैर चलाया,
उसका दिल ख़ुशी से हर्षाया।
जब मैं दुनियाँ में बाहर आया,
उसकी आँखों में,
मेरे लिए ढेर सारा प्यार पाया,
मेरे प्यार में,
उसका रक्त दूध में बदल दिया,
मेरे लिए उसने,
अपना सुख चैन सब छोड़ दिया।
उसकी गोदी में,
मेरा स्वर्ग सा सुख था,
माँ की गोदी में,
सुख चैन भरा मेरा हर पल था।
जब भी माँ मुझसे दूर जाती,
रों रो कर उसको पास बुलाता,
उसका मुझसे दूर जाना,
बिल्कुल भी मुझे नहीं भाता था।
पापा के संग खूब खेलता,
शाम को उनके आने की राह तकता,
वो दोनों अपना जीवन भूल गए थे,
वो तो बस मेरे लिए ही जी रहे थे।
अब मैं बड़ा हो गया हूँ,
तो क्या उनका अहसान भूला दूं,
जिनसे मेरा वजूद बना है,
क्या उनके प्रति बेपरवाह बन जाऊँ?
यूरोप अमेरिका की संस्कृति में,
क्या मैं अपनी संस्कृति भूला दूँ,
मातृ-पितृ दिवस को भूलकर,
क्या मैं वेलेन्टाइन मना लूँ?
जो मेरा पहला प्यार थे,
जो मेरे वजूद के आधार हैं,
जो मेरे माता पिता हैं,
जो मेरा प्यारा परिवार हैं।
प्यारे परिवार की,
इकाई को मैं टूटने नहीं दूंगा,
पाश्चत्य के प्रभाव में,
भारतीय संस्कृति मिटने नहीं दूंगा।
विवाह कर के जिसे,
माता-पिता के आशीर्वाद से घर लाऊंगा,
उसी जीवनसंगिनी के संग,
करवा चौथ मनाऊंगा।
नहीं चाहिए उद्दंडता भरी आजादी,
मुझे तो प्रेम का बन्धन स्वीकार है,
अपने माता पिता की तरह,
मुझे भी बसाना अपना घर संसार है।
मैं अपनी सन्तान को भी,
उसका प्यारा परिवार दूंगा,
पाश्चात्य के प्रभाव में,
उससे उसकी खुशियां नहीं छिनूँगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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