*आज की बाल सँस्कारशाला के बिंदु*:-
(बच्चों की उम्र 11 से 13 वर्ष)
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1- *बच्चों को सरसों के दाने और सरसों का तेल और सरसों के पौधे की तस्वीर दिखाई*
बच्चों से पूँछा बताओ क्या सरसों के दाने में तेल दिख रहा है? क्या सरसों के दाने में सरसों का पौधा नज़र आ रहा है?
उन्हें बताया कि तेल के लिए ढेर सारी सरसों को तेल की मशीन में विधिव्यवस्था से पेरना पड़ेगा तब तेल निकलेगा।
सरसों को बुवाई और खेती की विधिव्यवस्था से गुजरना होगा तब पौधा निकलेगा।
अतः अध्यात्म में भगवान की प्राप्ति हो या संसार मे मनचाही जॉब व्यवसाय सबके लिए एक योजना बद्ध तरीके से अनवरत प्रयास चाहिए। जल्दबाज़ी में सरसों को देखकर उथले चिंतन की तरह तर्क-कुतर्क नहीं करना चाहिए कि इससे तेल नहीं निकल सकता, इससे पौधा नहीं निकल सकता। तर्क व वाद विवाद से ही समस्त बातों को नहीं समझाया जा सकता। परिणाम व समाधान चाहिए तो विधिव्यवस्था से प्रयास करना होगा।
विवेकानंद जी और युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब कहते हैं कि मनुष्य के अंदर देवता बनने का बीज है, सम्भावना है। तो वह सही कह रहे हैं, बस सही दिशा में प्रयास की जरूरत है।
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2- *इस संसार में सभी यूनिक (कुछ अलग हट कर) विशेषता के साथ पैदा हुए हैं।*
इस बात को समझने के लिए उदाहरण में हम कछुए व खरगोश की रेस दो अलग स्थानों पर करते हैं।
यदि थल(ज़मीन) पर रेस होगी तो खरगोश जीतेगा यदि वह न सोया तो..
यदि जल में रेस हुई तो कछुआ जीतेगा, क्योंकि वह कुशल तैराक है।
यदि स्वयं की छुपी सम्भावनाओं को और विशेषताओं को जानना चाहते हो तो गहन चिंतन करो कि तुम किस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हो? स्वयं से जब बार बार पूंछोगे तो समाधान उभरेगा।
मष्तिष्क को भोजन दोगे तो वह ताकतवर बनेगा, मष्तिष्क का आहार है स्वाध्याय और ध्यान। जब मष्तिष्क ताकतवर बनेगा तब तुम्हारा व्यक्तित्व निखरेगा।
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3- *इंटेलिजेंट कोई जन्मजात नहीं होता, जो जितना बुद्धि का अनवरत उपयोग करता है और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करता है वह बुद्धिमान बनता है।*
मान लो क्लास का इंटेलिजेंट बच्चा दो बार में कोई प्रश्नोत्तर याद करता है। और तुम्हें वही प्रश्नोत्तर याद करने में चार बार प्रयास करना पड़ता है। तो फ़िर यदि उससे आगे बढ़ना है तो दो और बार प्रयास कर लो। कुल 6 बार प्रयास में तुम उससे बेहतर कर सकते हो।
क्लास में जल्दी अन्य बच्चों की अपेक्षा समझ नहीं आता, तो तुम एक तरीका अपनाओ, क्लास में पढ़ाये जाने वाले लेशन को खुद दो बार पढंकर जाओ। देखो तुम सबसे बेहतर उस दिन समझोगे।
सैनिक युद्ध के दिन की तैयारी युद्ध के दिन केवल नहीं करता, वो युद्ध की तैयारी 365 दिन करता है। इसीतरह एग्जाम भी एक युद्ध है, यदि तैयारी बड़ी होगी तो सफलता बड़ी मिलेगी।
खाना बनाना कठिन है या खानां खाना कठिन है बताओ?
इसीतरह पुस्तक लिखना कठिन है या पुस्तक पढ़ना?
कठिन कार्य पुस्तक लिखने का तो कोई और कर गया है? तुम्हें तो मात्र सरल वाला पढ़ने का कार्य करना है तो पढ़ डालो।
नित्य प्रतिस्पर्धा स्वयं से करो कि कल से आज कितना बेहतर बने, क्या नया सीखा?
यदि रोज नए 10 शब्द सीखोगे तो सोचो 365 दिन में तुम्हारे पास कुल 3,650 नए शब्दो का सग्रह होगा।
रोज एक अच्छी ज्ञानपरक बात सीखोगे तो 365 दिन में कुल 365 नई अच्छी ज्ञानपरक बातों का संग्रह होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
(बच्चों की उम्र 11 से 13 वर्ष)
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1- *बच्चों को सरसों के दाने और सरसों का तेल और सरसों के पौधे की तस्वीर दिखाई*
बच्चों से पूँछा बताओ क्या सरसों के दाने में तेल दिख रहा है? क्या सरसों के दाने में सरसों का पौधा नज़र आ रहा है?
उन्हें बताया कि तेल के लिए ढेर सारी सरसों को तेल की मशीन में विधिव्यवस्था से पेरना पड़ेगा तब तेल निकलेगा।
सरसों को बुवाई और खेती की विधिव्यवस्था से गुजरना होगा तब पौधा निकलेगा।
अतः अध्यात्म में भगवान की प्राप्ति हो या संसार मे मनचाही जॉब व्यवसाय सबके लिए एक योजना बद्ध तरीके से अनवरत प्रयास चाहिए। जल्दबाज़ी में सरसों को देखकर उथले चिंतन की तरह तर्क-कुतर्क नहीं करना चाहिए कि इससे तेल नहीं निकल सकता, इससे पौधा नहीं निकल सकता। तर्क व वाद विवाद से ही समस्त बातों को नहीं समझाया जा सकता। परिणाम व समाधान चाहिए तो विधिव्यवस्था से प्रयास करना होगा।
विवेकानंद जी और युगऋषि परमपूज्य गुरुदेब कहते हैं कि मनुष्य के अंदर देवता बनने का बीज है, सम्भावना है। तो वह सही कह रहे हैं, बस सही दिशा में प्रयास की जरूरत है।
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2- *इस संसार में सभी यूनिक (कुछ अलग हट कर) विशेषता के साथ पैदा हुए हैं।*
इस बात को समझने के लिए उदाहरण में हम कछुए व खरगोश की रेस दो अलग स्थानों पर करते हैं।
यदि थल(ज़मीन) पर रेस होगी तो खरगोश जीतेगा यदि वह न सोया तो..
यदि जल में रेस हुई तो कछुआ जीतेगा, क्योंकि वह कुशल तैराक है।
यदि स्वयं की छुपी सम्भावनाओं को और विशेषताओं को जानना चाहते हो तो गहन चिंतन करो कि तुम किस क्षेत्र में बेहतर कर सकते हो? स्वयं से जब बार बार पूंछोगे तो समाधान उभरेगा।
मष्तिष्क को भोजन दोगे तो वह ताकतवर बनेगा, मष्तिष्क का आहार है स्वाध्याय और ध्यान। जब मष्तिष्क ताकतवर बनेगा तब तुम्हारा व्यक्तित्व निखरेगा।
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3- *इंटेलिजेंट कोई जन्मजात नहीं होता, जो जितना बुद्धि का अनवरत उपयोग करता है और उसे बेहतर बनाने का प्रयास करता है वह बुद्धिमान बनता है।*
मान लो क्लास का इंटेलिजेंट बच्चा दो बार में कोई प्रश्नोत्तर याद करता है। और तुम्हें वही प्रश्नोत्तर याद करने में चार बार प्रयास करना पड़ता है। तो फ़िर यदि उससे आगे बढ़ना है तो दो और बार प्रयास कर लो। कुल 6 बार प्रयास में तुम उससे बेहतर कर सकते हो।
क्लास में जल्दी अन्य बच्चों की अपेक्षा समझ नहीं आता, तो तुम एक तरीका अपनाओ, क्लास में पढ़ाये जाने वाले लेशन को खुद दो बार पढंकर जाओ। देखो तुम सबसे बेहतर उस दिन समझोगे।
सैनिक युद्ध के दिन की तैयारी युद्ध के दिन केवल नहीं करता, वो युद्ध की तैयारी 365 दिन करता है। इसीतरह एग्जाम भी एक युद्ध है, यदि तैयारी बड़ी होगी तो सफलता बड़ी मिलेगी।
खाना बनाना कठिन है या खानां खाना कठिन है बताओ?
इसीतरह पुस्तक लिखना कठिन है या पुस्तक पढ़ना?
कठिन कार्य पुस्तक लिखने का तो कोई और कर गया है? तुम्हें तो मात्र सरल वाला पढ़ने का कार्य करना है तो पढ़ डालो।
नित्य प्रतिस्पर्धा स्वयं से करो कि कल से आज कितना बेहतर बने, क्या नया सीखा?
यदि रोज नए 10 शब्द सीखोगे तो सोचो 365 दिन में तुम्हारे पास कुल 3,650 नए शब्दो का सग्रह होगा।
रोज एक अच्छी ज्ञानपरक बात सीखोगे तो 365 दिन में कुल 365 नई अच्छी ज्ञानपरक बातों का संग्रह होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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