प्रश्न - *कोरोना की आपदा के वक्त अल्पबुद्धि अल्पज्ञान की उल्टी करने वाले लोग सक्रिय हो गए हैं। कोई अध्यात्म को मूर्खता बता रहा है तो कोई मन्दिर बन्द है और हॉस्पिटल चालू के पोस्ट कर रहे हैं। समझ नहीं आता इनको क्या उत्तर दूँ?*
उत्तर- अरे भाई, बहनों, मनुष्यो द्वारा बने मन्दिर बन्द है, मनुष्यों द्वारा बने सभी संस्थान बन्द है। मनुष्य सरकार के अधीन है, व सरकारी आदेश पालन के लिए बाध्य है।
धर्म के व्यापारी चुप व मौन हैं।
धर्म पालक लोकल्याण को आज भी सक्रीय हैं, सेवा कार्य कर रहे हैं।
ईश्वर के सम्बंध में एक कहानी सुनो..
*एक कहानी से इसे समझो, एक भाई ने प्रवचन में सुना कि कण कण में सभी जीव में भगवान है। बस फिर क्या छाती चौड़ी करके रोड के बीचों बीच चलने लगे, महावत चिल्लाया हट जाओ हाथी का मार्ग छोड़ो, हाथी चोट पहुंचा सकता है, उस भाई ने कहा हाथी के अंदर और मेरे अंदर परमात्मा है, कोई भय नहीं। हाथी ने उसे पटक दिया। चोटिल हालत में महात्मा से पूँछा कि ऐसा क्यों हुआ। तब महात्मा ने कहा, महावत के अन्दर का परमात्मा जब चेतावनी देकर हटने का मार्गदर्शन दे रहा था तो तूने उसे क्यों नहीं सुना? हाथी में परमात्मा दिखा और महावत में नहीं दिखा?*
*प्रत्येक जीव मे भगवान हैं, लेकिन प्रत्येक जीव भगवांन नहीँ है, ठीक वैसे ही जैसेप्रत्येक लकड़ी में आग है, लेकिन लकड़ी ही आग नहीं है। लकड़ी के भीतर की आग को निकालने में अग्नि से प्रज्वलित दूसरी लकड़ी सक्षम होगी। भाई जब तुझमें जब तक देवत्व की आग नहीं जलेगी, तू दूसरे के भीतर के देवत्व का प्रकटीकरण नहीं कर सकता। साधु संत ज्वलंत देवत्व की चिंगारी होते हैं, तो वह हिंसक पशु के भीतर का भी देवत्व जगा के उसे काबू में कर सकते हैं। तुम भी स्वयं को साधो और देवत्व यूँ उभारों कि हाथी तुम्हे प्रणाम कर रास्ता छोड़ दे, अभी तो महावत की ही सुन लो क्योंकि तुम्हारे भीतर का देवत्व सुषुप्त है।*
घट घट भगवान की प्रार्थना घर पर, मन्दिर में, श्मशान में, नदी तट पर खुले आकाश के नीचे कहीं भी कभी भी की जा सकती है।
मूर्खतापूर्ण वक्तव्य यह है कि ईश्वर विश्वास और उसको चुनौती देना।
*भोपाल गैस कांड मनुष्य द्वारा फैलाई त्रासदी में दो परिवार बचे थे जिनके घर मन्त्र जप और दैनिक यज्ञ होता था।*
*कोरोना में भी वह अवश्य बचेगा जिनके घर मन्त्र जप और दैनिक औषधीय यज्ञ होता है। यज्ञ की औषधीय धूम्र रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और किसी भी रोगाणु से निपटने के लिए शरीर को तैयार करता है। यज्ञ चिकित्सा - आयुर्वेद की औषधियों का धूपन प्रयोग है। ₹*
अतः बिना ज्ञान टीका टिप्पणी करने से बचें, उथली दृष्टि से देखने व स्पर्श करने पर सरसों में तेल और पौधा नहीं दिखता। उसे सही विधिव्यवस्था से मशीन में डालने पर तेल भी निकलेगा और सही ढंग से खेती करने पर पौधा भी निकलेगा।
उथली व अल्पबुद्धि का परिचय देते हुए भ्रामक व अल्पज्ञानी न बने। ऐसे पोस्ट से बचें जिसमें भगवान व अध्यात्म को चुनौती दे रहे हों। ध्यान रखें जब दवा नहीं कारगर होती तो डॉक्टर दुआ करने को कहते है। दवा व दुआ दोनो की जरूरत मनुष्य को है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- अरे भाई, बहनों, मनुष्यो द्वारा बने मन्दिर बन्द है, मनुष्यों द्वारा बने सभी संस्थान बन्द है। मनुष्य सरकार के अधीन है, व सरकारी आदेश पालन के लिए बाध्य है।
धर्म के व्यापारी चुप व मौन हैं।
धर्म पालक लोकल्याण को आज भी सक्रीय हैं, सेवा कार्य कर रहे हैं।
ईश्वर के सम्बंध में एक कहानी सुनो..
*एक कहानी से इसे समझो, एक भाई ने प्रवचन में सुना कि कण कण में सभी जीव में भगवान है। बस फिर क्या छाती चौड़ी करके रोड के बीचों बीच चलने लगे, महावत चिल्लाया हट जाओ हाथी का मार्ग छोड़ो, हाथी चोट पहुंचा सकता है, उस भाई ने कहा हाथी के अंदर और मेरे अंदर परमात्मा है, कोई भय नहीं। हाथी ने उसे पटक दिया। चोटिल हालत में महात्मा से पूँछा कि ऐसा क्यों हुआ। तब महात्मा ने कहा, महावत के अन्दर का परमात्मा जब चेतावनी देकर हटने का मार्गदर्शन दे रहा था तो तूने उसे क्यों नहीं सुना? हाथी में परमात्मा दिखा और महावत में नहीं दिखा?*
*प्रत्येक जीव मे भगवान हैं, लेकिन प्रत्येक जीव भगवांन नहीँ है, ठीक वैसे ही जैसेप्रत्येक लकड़ी में आग है, लेकिन लकड़ी ही आग नहीं है। लकड़ी के भीतर की आग को निकालने में अग्नि से प्रज्वलित दूसरी लकड़ी सक्षम होगी। भाई जब तुझमें जब तक देवत्व की आग नहीं जलेगी, तू दूसरे के भीतर के देवत्व का प्रकटीकरण नहीं कर सकता। साधु संत ज्वलंत देवत्व की चिंगारी होते हैं, तो वह हिंसक पशु के भीतर का भी देवत्व जगा के उसे काबू में कर सकते हैं। तुम भी स्वयं को साधो और देवत्व यूँ उभारों कि हाथी तुम्हे प्रणाम कर रास्ता छोड़ दे, अभी तो महावत की ही सुन लो क्योंकि तुम्हारे भीतर का देवत्व सुषुप्त है।*
घट घट भगवान की प्रार्थना घर पर, मन्दिर में, श्मशान में, नदी तट पर खुले आकाश के नीचे कहीं भी कभी भी की जा सकती है।
मूर्खतापूर्ण वक्तव्य यह है कि ईश्वर विश्वास और उसको चुनौती देना।
*भोपाल गैस कांड मनुष्य द्वारा फैलाई त्रासदी में दो परिवार बचे थे जिनके घर मन्त्र जप और दैनिक यज्ञ होता था।*
*कोरोना में भी वह अवश्य बचेगा जिनके घर मन्त्र जप और दैनिक औषधीय यज्ञ होता है। यज्ञ की औषधीय धूम्र रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और किसी भी रोगाणु से निपटने के लिए शरीर को तैयार करता है। यज्ञ चिकित्सा - आयुर्वेद की औषधियों का धूपन प्रयोग है। ₹*
अतः बिना ज्ञान टीका टिप्पणी करने से बचें, उथली दृष्टि से देखने व स्पर्श करने पर सरसों में तेल और पौधा नहीं दिखता। उसे सही विधिव्यवस्था से मशीन में डालने पर तेल भी निकलेगा और सही ढंग से खेती करने पर पौधा भी निकलेगा।
उथली व अल्पबुद्धि का परिचय देते हुए भ्रामक व अल्पज्ञानी न बने। ऐसे पोस्ट से बचें जिसमें भगवान व अध्यात्म को चुनौती दे रहे हों। ध्यान रखें जब दवा नहीं कारगर होती तो डॉक्टर दुआ करने को कहते है। दवा व दुआ दोनो की जरूरत मनुष्य को है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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