*नवरात्रि में नौ दिन के अंदर दुर्गाशप्तशती की पाठ विधि*
*श्री दुर्गा सप्तशती*
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का अलग विधान है। कुछ अध्यायों में उच्च स्वर, कुछ में मंद और कुछ में शांत मुद्रा में बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। जैसे कीलक मंत्र को शांत मुद्रा में बैठकर मानसिक पाठ करना श्रेष्ठ है। देवी कवच उच्च स्वर में और श्रीअर्गला स्तोत्र का प्रारम्भ उच्च स्वर और समापन शांत मुद्रा से करना चाहिए। देवी भगवती के कुछ मंत्र यंत्र, मंत्र और तंत्र क्रिया के हैं। संपूर्ण दुर्गा सप्तशती स्वर विज्ञान का एक हिस्सा है।
*वाकार विधि: नौ दिन में किस दिन कौन सा पाठ करना है?*
1- प्रथम दिन एक पाठ प्रथम अध्याय,
2- दूसरे दिन दो पाठ द्वितीय, तृतीय अध्याय,
3- तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थ अध्याय,
4- चौथे दिन चार पाठ पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय,
5- पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ नवम, दशम अध्याय,
6- छठे दिन ग्यारहवां अध्याय,
7- सातवें दिन दो पाठ द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय करके एक आवृति सप्तशती की होती है।
प्रथमा से सप्तमी तक ही पाठ पूर्ण करना होता है।
*संपुट पाठ विधि:*
किसी विशेष प्रयोजन हेतु विशेष मंत्र से एक बार ऊपर तथा एक नीचे बांधना उदाहरण हेतु संपुट मंत्र मूलमंत्र-1, संपुट मंत्र फिर मूलमंत्र अंत में पुनः संपुट मंत्र आदि इस विधि में समय अधिक लगता है। लेकिन यह अतिफलदायी है। अच्छा यह होगा कि आप संपुट के रूप में अर्गला स्तोत्र का कोई मंत्र ले लीजिए। या कोई बीज मंत्र जैसे ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं दुर्गायै नम: ले लें या ऊं दुर्गायै नम: से भी पाठ कर सकते हैं। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का भी सम्पुट ले सकते हैं। यह ऑप्शनल है।
*नवरात्र पूजा विधि*
सर्वप्रथम- षट कर्म (पवित्रीकरण, आचमन, शिखा स्पर्श, प्राणायाम, न्यास व पृथ्वी पूजन करें) । फिर गुरु शिव और नवदुर्गा का आह्वाहन करें।
देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें। कलश स्थापना करें। दीप प्रज्ज्जवलन करें। ( अखंड ज्योति जलाएं यदि आप जलाते हों या जलाना चाहते हों)
ध्यान- सर्वप्रथम अपने गुरू का ध्यान करिए। उसके बाद गणपति, शंकर जी, भगवान विष्णु, हनुमान जी और नवग्रह का।
*पाठ विधि* -
*संकल्प*- श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले भगवान गणपति, शंकर जी का ध्यान करिए। उसके बाद हाथ में जौ, चावल और दक्षिणा रखकर देवी भगवती का ध्यान करिए और संकल्प लीजिए...हे भगवती मैं.....( अमुक नाम)....सपरिवार...( अपने परिवार के नाम ले लीजिए...)...गोत्र.( अमुक गोत्र)....स्थान ( जहां रह रहे हैं)... पूरी निष्ठा, समर्पण और भक्ति के साथ आपका ध्यान कर रहा हूं। हे भगवती आप हमारे घर में आगमन करिए और हमारी इस मनोकामना... ( मनोकामना बोलें लेकिन मन ही मन) को पूरा करिए। श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ, जप ( गायत्री मंत्र की माला का उतना ही संकल्प करें जितनी नौ दिन कर सकें) और यज्ञादि को मेरे स्वीकार करिए। इसके बाद धूप, दीप, नैवेज्ञ के साथ भगवती की पूजा प्रारम्भ करें।
पाठ के बाद शांति मन्त्र व विसर्जन मन्त्र पढ़कर उठें।
सरल हवन विधि पुस्तक में शांति मन्त्र व विसर्जन मन्त्र है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
नए वर्ष और नव सम्वत्सर 2077 की कोटिशः बधाई।
*श्री दुर्गा सप्तशती*
श्री दुर्गा सप्तशती के पाठ करने का अलग विधान है। कुछ अध्यायों में उच्च स्वर, कुछ में मंद और कुछ में शांत मुद्रा में बैठकर पाठ करना श्रेष्ठ माना गया है। जैसे कीलक मंत्र को शांत मुद्रा में बैठकर मानसिक पाठ करना श्रेष्ठ है। देवी कवच उच्च स्वर में और श्रीअर्गला स्तोत्र का प्रारम्भ उच्च स्वर और समापन शांत मुद्रा से करना चाहिए। देवी भगवती के कुछ मंत्र यंत्र, मंत्र और तंत्र क्रिया के हैं। संपूर्ण दुर्गा सप्तशती स्वर विज्ञान का एक हिस्सा है।
*वाकार विधि: नौ दिन में किस दिन कौन सा पाठ करना है?*
1- प्रथम दिन एक पाठ प्रथम अध्याय,
2- दूसरे दिन दो पाठ द्वितीय, तृतीय अध्याय,
3- तीसरे दिन एक पाठ चतुर्थ अध्याय,
4- चौथे दिन चार पाठ पंचम, षष्ठ, सप्तम व अष्टम अध्याय,
5- पांचवें दिन दो अध्यायों का पाठ नवम, दशम अध्याय,
6- छठे दिन ग्यारहवां अध्याय,
7- सातवें दिन दो पाठ द्वादश एवं त्रयोदश अध्याय करके एक आवृति सप्तशती की होती है।
प्रथमा से सप्तमी तक ही पाठ पूर्ण करना होता है।
*संपुट पाठ विधि:*
किसी विशेष प्रयोजन हेतु विशेष मंत्र से एक बार ऊपर तथा एक नीचे बांधना उदाहरण हेतु संपुट मंत्र मूलमंत्र-1, संपुट मंत्र फिर मूलमंत्र अंत में पुनः संपुट मंत्र आदि इस विधि में समय अधिक लगता है। लेकिन यह अतिफलदायी है। अच्छा यह होगा कि आप संपुट के रूप में अर्गला स्तोत्र का कोई मंत्र ले लीजिए। या कोई बीज मंत्र जैसे ऊं श्रीं ह्रीं क्लीं दुर्गायै नम: ले लें या ऊं दुर्गायै नम: से भी पाठ कर सकते हैं। गायत्री मंत्र या महामृत्युंजय मंत्र का भी सम्पुट ले सकते हैं। यह ऑप्शनल है।
*नवरात्र पूजा विधि*
सर्वप्रथम- षट कर्म (पवित्रीकरण, आचमन, शिखा स्पर्श, प्राणायाम, न्यास व पृथ्वी पूजन करें) । फिर गुरु शिव और नवदुर्गा का आह्वाहन करें।
देवी भगवती को प्रतिष्ठापित करें। कलश स्थापना करें। दीप प्रज्ज्जवलन करें। ( अखंड ज्योति जलाएं यदि आप जलाते हों या जलाना चाहते हों)
ध्यान- सर्वप्रथम अपने गुरू का ध्यान करिए। उसके बाद गणपति, शंकर जी, भगवान विष्णु, हनुमान जी और नवग्रह का।
*पाठ विधि* -
*संकल्प*- श्री दुर्गा सप्तशती का पाठ करने से पहले भगवान गणपति, शंकर जी का ध्यान करिए। उसके बाद हाथ में जौ, चावल और दक्षिणा रखकर देवी भगवती का ध्यान करिए और संकल्प लीजिए...हे भगवती मैं.....( अमुक नाम)....सपरिवार...( अपने परिवार के नाम ले लीजिए...)...गोत्र.( अमुक गोत्र)....स्थान ( जहां रह रहे हैं)... पूरी निष्ठा, समर्पण और भक्ति के साथ आपका ध्यान कर रहा हूं। हे भगवती आप हमारे घर में आगमन करिए और हमारी इस मनोकामना... ( मनोकामना बोलें लेकिन मन ही मन) को पूरा करिए। श्रीदुर्गा सप्तशती के पाठ, जप ( गायत्री मंत्र की माला का उतना ही संकल्प करें जितनी नौ दिन कर सकें) और यज्ञादि को मेरे स्वीकार करिए। इसके बाद धूप, दीप, नैवेज्ञ के साथ भगवती की पूजा प्रारम्भ करें।
पाठ के बाद शांति मन्त्र व विसर्जन मन्त्र पढ़कर उठें।
सरल हवन विधि पुस्तक में शांति मन्त्र व विसर्जन मन्त्र है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
नए वर्ष और नव सम्वत्सर 2077 की कोटिशः बधाई।
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