*विश्व गुरु बने भारत माता*
🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳🇮🇳
भाग्य भरोसे जीना,
कभी सनातन धर्म नहीं सिखाता है,
गीता हो या रामायण,
कर्मयोग का ही पाठ पढ़ाता है।
हमारे देवी देवताओं को देखो,
सभी अस्त्र व शस्त्रों से सुसज्जित हैं,
दुष्टों-असुरों के सर्वनाश की गाथा,
प्रत्येक देवी- देवता के ग्रन्थों में वर्णित है।
कहीं भी सनातन धर्म में मुझे,
स्त्री पुरुष का लिंग आधारित भेद नहीं मिलता,
देवियों का अस्तित्व देवों से,
किसी भी तरह मुझे कम नहीं दिखता।
त्रिदेव - ब्रह्मा विष्णु महेश पूजनीय हैं तो,
त्रिदेवियाँ - सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा भी समान पूजनीय है,
सब एक दूसरे को देते सम्मान,
सभी का जीवन दर्शन वंदनीय है।
फ़िर सोचो हमारे धर्म में,
घूँघट प्रथा कब और कैसे आया,
स्त्रियों की शिक्षा-दीक्षा,
किसने कब और क्यों रुकवाया?
कायरता व भगवान भरोसे जीना,
यह अज्ञानता का पाठ किसने पढ़ाया,
जिसका धर्मग्रन्थ गीता,
युद्ध के मैदान में लिखा हो,
उसे घर बैठ के अकर्मण्यता में,
किस्मत पर रोना किसने सिखाया?
जन्मजात जाति पाति ऊंच नीच का,
वेदों में तो कहीं वर्णन नहीं आया है,
फिर कर्म व्यवस्था पर आधारित वर्ण व्यवस्था को,
जन्म आधारित जाति व्यवस्था,
किसने कब और क्यों बनाया?
प्राचीन वीरों की गौरवगाथा को हटाकर,
भारत मे आये लुटेरों को महान किसने बताया?
हमारे बच्चों के इतिहास की पुस्तकों में,
लुटेरे कातिलों की वंशावली ही क्यों पढ़ाया?
भारतीय संस्कृति की मूल्यपरक शिक्षा को,
विद्यालयों में प्रवेश क्यों नहीं दिया?
देश की आज़ादी के बाद भी,
मानसिक मजबूती और अक्षुण्य स्वास्थ्य हेतु,
विद्यालयों में जप-तप, ध्यान-योग अनिवार्य क्यों न किया?
चलो अब ऐतिहासिक भूल सुधारें,
पुनः भारतीय शिक्षण पाठ्यक्रम हेतु विचारें,
भारतीय शूरवीर शेरों के विद्यालयों से,
चलो गीदड़ गुलाम बनने का पाठ्यक्रम हटा दें।
भारतीय संस्कृति मूल्य परक वेद व गीता के ज्ञान को,
पुनः विद्यालयों के पाठ्यक्रम में प्रवेश करवाये,
प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को,
युगानुकूल बनाकर विद्यालयों में पढ़ाएं।
जन जन को योग्य व ज्ञानी बनाएं,
सूचना प्रद्योगिकी में,
चलो दुनियाँ को लोहा मनवाएँ,
ज्ञान - विज्ञान के समस्त क्षेत्रों में,
भारत का झण्डा फहराएं,
भारतीय शिक्षा से पुनः भारत माँ को,
विश्वगुरु पद पर बिठायें,
विश्व व्यापार में उन्नत बनकर,
पुनः चलो सोने की चिड़िया कहलाये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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भाग्य भरोसे जीना,
कभी सनातन धर्म नहीं सिखाता है,
गीता हो या रामायण,
कर्मयोग का ही पाठ पढ़ाता है।
हमारे देवी देवताओं को देखो,
सभी अस्त्र व शस्त्रों से सुसज्जित हैं,
दुष्टों-असुरों के सर्वनाश की गाथा,
प्रत्येक देवी- देवता के ग्रन्थों में वर्णित है।
कहीं भी सनातन धर्म में मुझे,
स्त्री पुरुष का लिंग आधारित भेद नहीं मिलता,
देवियों का अस्तित्व देवों से,
किसी भी तरह मुझे कम नहीं दिखता।
त्रिदेव - ब्रह्मा विष्णु महेश पूजनीय हैं तो,
त्रिदेवियाँ - सरस्वती लक्ष्मी दुर्गा भी समान पूजनीय है,
सब एक दूसरे को देते सम्मान,
सभी का जीवन दर्शन वंदनीय है।
फ़िर सोचो हमारे धर्म में,
घूँघट प्रथा कब और कैसे आया,
स्त्रियों की शिक्षा-दीक्षा,
किसने कब और क्यों रुकवाया?
कायरता व भगवान भरोसे जीना,
यह अज्ञानता का पाठ किसने पढ़ाया,
जिसका धर्मग्रन्थ गीता,
युद्ध के मैदान में लिखा हो,
उसे घर बैठ के अकर्मण्यता में,
किस्मत पर रोना किसने सिखाया?
जन्मजात जाति पाति ऊंच नीच का,
वेदों में तो कहीं वर्णन नहीं आया है,
फिर कर्म व्यवस्था पर आधारित वर्ण व्यवस्था को,
जन्म आधारित जाति व्यवस्था,
किसने कब और क्यों बनाया?
प्राचीन वीरों की गौरवगाथा को हटाकर,
भारत मे आये लुटेरों को महान किसने बताया?
हमारे बच्चों के इतिहास की पुस्तकों में,
लुटेरे कातिलों की वंशावली ही क्यों पढ़ाया?
भारतीय संस्कृति की मूल्यपरक शिक्षा को,
विद्यालयों में प्रवेश क्यों नहीं दिया?
देश की आज़ादी के बाद भी,
मानसिक मजबूती और अक्षुण्य स्वास्थ्य हेतु,
विद्यालयों में जप-तप, ध्यान-योग अनिवार्य क्यों न किया?
चलो अब ऐतिहासिक भूल सुधारें,
पुनः भारतीय शिक्षण पाठ्यक्रम हेतु विचारें,
भारतीय शूरवीर शेरों के विद्यालयों से,
चलो गीदड़ गुलाम बनने का पाठ्यक्रम हटा दें।
भारतीय संस्कृति मूल्य परक वेद व गीता के ज्ञान को,
पुनः विद्यालयों के पाठ्यक्रम में प्रवेश करवाये,
प्राचीन ज्ञान-विज्ञान को,
युगानुकूल बनाकर विद्यालयों में पढ़ाएं।
जन जन को योग्य व ज्ञानी बनाएं,
सूचना प्रद्योगिकी में,
चलो दुनियाँ को लोहा मनवाएँ,
ज्ञान - विज्ञान के समस्त क्षेत्रों में,
भारत का झण्डा फहराएं,
भारतीय शिक्षा से पुनः भारत माँ को,
विश्वगुरु पद पर बिठायें,
विश्व व्यापार में उन्नत बनकर,
पुनः चलो सोने की चिड़िया कहलाये।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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