Saturday 7 March 2020

महिला शशक्तिकरण कैसे होगा?

💫🤷‍♂️महिलदिवस की कोटिशः बधाई

*महिला शशक्तिकरण कैसे होगा?*
🌺💫🌺💫🌺💫🌺💫
जैसे..
लकड़ी को काटने में,
लोहे की कुल्हाड़ी में,
साथ लकड़ी ही देती है,
पेड़ को बढ़ाने में भी,
खुरपी कुदाली में भी,
साथ लकड़ी ही देती है।

ऐसे ही..
स्त्री की सबसे बड़ी मित्र स्त्री,
स्त्री की सबसे बड़ी दुश्मन भी स्त्री,
स्त्री के उत्थान का कारण स्त्री,
स्त्री के पतन का कारण भी स्त्री।

जन्मदात्री भी स्त्री,
पालनकर्ता भी स्त्री,
पति के साथ उत्थान में कारण भी,
सास व ननद रूपी स्त्री,
पति के साथ पतन का कारण भी,
सास व ननद रूपी स्त्री।

कहीं सास रूप में,
बहु को सताने देने वाली स्त्री,
कहीं बहु रूप में,
सास को सताने वाली स्त्री,
कहीं एक दूसरे को आगे बढ़ाने वाली ,
मित्रवत सहयोगी सास-बहू भी स्त्री।

पुरुष को स्त्री को सम्मान देना,
 सिखाने वाली भी स्त्री,
पुरूष से स्त्री का अपमान,
करवाने वाली भी स्त्री,
दहेज़ के लिए जलने वाली भी स्त्री,
दहेज के लिए जलाने वाली भी स्त्री।

स्त्री के उत्थान और सशक्तिकरण के लिए,
साथ निभाने वाली स्त्री,
स्त्रीत्व की रक्षा करने वाली,
स्वयं को सक्षम बनाने वाली स्त्री।

भ्रूण हत्या को बढ़ावा देने वाली भी स्त्री,
भ्रूण हत्या कराने वाली भी स्त्री,
गर्भ में मरने वाली भी स्त्री,
डॉक्टर-नर्स रूप में,
इस कुकृत्य में साथ देने वाली भी स्त्री।

जवान पत्नी रूप में अलग रहने की,
 ज़िद करने वाली भी स्त्री,
वृद्ध सास रूप में सँयुक्त परिवार में,
 रहने की जिद करने वाली भी स्त्री।

"अबला" बन दुःख सहती स्त्री,
"बला" बन दुःख देती स्त्री,
"सबला" बन सबका दुःख हरती स्त्री,
*संगिनी" बन जीवन संवारती स्त्री।

कहीं सिंह सी दहाड़ती स्त्री,
कहीं दुर्गा बन दुश्मनों को ललकारती स्त्री,
कहीं जीवन का रोना रोती स्त्री,
कहीं भागकर छुपने का स्थान ढूंढती स्त्री।

समस्या स्त्री बन पैदा होने में नहीं है,
समस्या सही परवरिश न मिलने की है,
जुझारूपन व बुद्धिकुशलता सिखाने की है,
जरूरत बचपन से ही दुर्गा भवानी गढ़ने की है।

आज महिला दिवस पर,
प्रत्येक माता पिता और समाज शुभ सङ्कल्प ले,
बेटी हो या बेटा,
दोनों को आगे बढ़ने का समान अवसर दें।

बेटा हो या बेटी,
दोनों को शुभ सँस्कार दें,
शस्त्र हो या शास्त्र,
दोनों को इन दोनों का समान ज्ञान दें।

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महिला शशक्तिकरण में, स्त्रियों को स्वयं जागरूक होकर एकजुट होना होगा, स्वयं को सक्षम-शशक्त बनाने के साथ अन्य स्त्रियों को भी सक्षम शशक्त बनाना होगा। ख़र्चीली शादी-दहेज़ प्रथा, गिफ़्टपैक की तरह सजकर होने वाली विदाई इत्यादि पर एकजुट हो रोक लगानी होगी। लड़का हो या लड़की दोनों सन्तानों को समान आगे बढ़ने का और पढ़ने का अधिकार और अवसर दें। दहेज़ लोभी और भ्रूण हत्या करवाने वाले आरोपियों का सामाजिक बहिष्कार करें।

स्त्री पुरुष एक दूसरे के पूरक हैं विरोधी नहीं, पिता-भाई रूप में पुत्री-बहन का दर्द समझने वाला ससुर-पति रूप में दूसरी स्त्री का कष्ट क्यूँ नहीं समझता। अपनी बहन की इज्ज़त की रक्षा करने वाले हाथ दूसरे की बहन को छेड़ने के लिए कैसे उठ जाता है? इसका प्रमुख कारण है- खोखले दिखावे का प्रभाव और अच्छे संस्कारों का अभाव।

यूँ ही चलता रहा भ्रूणहत्या का घिनौना कर्म, तो शीघ्र ही सृष्टि स्वयंमेव समाप्त हो जाएगी, एक स्त्री से विवाह को हज़ारो पुरुषों के बीच तलवारें खींच जाएंगी, महाभारत हो जाएगा। जब बेटी का जन्म होगा ही नहीं, तो बेटे के संसार को बसाने के लिए बहु लाओगे कहाँ से?

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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