Wednesday 11 March 2020

प्रश्न - *सभी विद्यार्थियों के एक समान पंचकोशी साधना, एक समान संख्या में जप, एक जैसा ध्यान और एक समान उपवास पालन करने पर क्या सबको एक समान परिणाम प्राप्त होगा?*

प्रश्न - *सभी विद्यार्थियों के एक समान पंचकोशी साधना, एक समान संख्या में जप, एक जैसा ध्यान और एक समान उपवास पालन करने पर क्या सबको एक समान परिणाम प्राप्त होगा?*

उत्तर- नहीं, मात्र बाह्य क्रिया समान होने पर परिणाम एक जैसा नहीं मिलता। जैसे आप सभी का परीक्षा परिणाम में प्राप्तांक समान नहीं होता है।

क्योंकि तीन प्रकार के विद्यार्थी स्कूल आते हैं:-

1- एक विद्या का महत्त्व समझते हुए उसे अर्जन करने को लालायित-इच्छुक विद्यार्थी, विद्या के लिए आत्म-समर्पित और कुछ भी कर गुजरने के मानसिकता व भावना से स्कूल जाने वाला विद्यार्थी।

2- पढ़ना तो पड़ेगा ही, क्योंकि मम्मी-पापा चाहते हैं। अतः चलो पढ़ लेते हैं इस मानसिकता व भावना से स्कूल जाने वाला विद्यार्थी

3- स्कूल से भागने का अवसर न मिलने और माता-पिता व स्कूल के भय से बेमन स्कूल जाने वाला विद्यार्थी।

यद्यपि तीनों विद्यार्थी हैं, एक ही स्कूल वैन से एक ही स्कूल में एक जैसे वातावरण में एक ही कक्षा में एक जैसा सब्जेक्ट एक जैसे परिस्थिति में पढ़ने पर भी उनके रिज़ल्ट व ज्ञान का स्तर अलग होगा। उनकी मानसिक परिस्थिति अनुसार उन्हें क्रमशः उच्च, मध्यम व निम्न स्तर का विद्यार्थी कह सकते हैं।

इसी प्रकार एक जैसे पंचकोशी साधना, एक जैसे अनुष्ठान व एक जैसी साधना में भी एक जैसा बाह्य आचरण करने पर भी साधक की मनःस्थिति व श्रद्धा-विश्वास की भावना के कारण साधना का प्रतिफ़ल में भारी अंतर रहना स्वभाविक है।

*गीता में भगवान कृष्ण ने चार प्रकार के भक्त बताये हैं*:-

1- आपत्ति आने पर उसका निवारण हेतु भगवान को पुकारने वाले भक्त
2- जानकारी का कौतूहल पूरा करने के लिए परमात्मा की खोजबीन करने वाले भक्त
3- सिद्धियां, विभूतियां, मनोकामना पाने की लालच में जप, तप करने वाले भक्त
4- स्वयं को प्रभु का अंश मानने वाले, आत्मप्रगति के लिए सच्चे मन व निर्मल भावना से आत्मसमर्पण करने वाले ज्ञानी भक्त

मनोभूमि के अनुसार उपासना की श्रेष्ठता व निकृष्टता नापी जाती है। जो विद्यार्थी चेतना विज्ञान को जितना महत्त्व देकर सीखने को इच्छुक होगा और पूरी निष्ठा से प्रयास करेगा उसे उतना ज्यादा लाभ मिलेगा।

उपरोक्तनुसार तीनों प्रकार के विद्यार्थी और चारों प्रकार के भक्तों की बाह्य स्थिति में कोई अंतर नहीं होता। परन्तु अन्तःस्थति मनोभूमि में अंतर के कारण श्रेष्ठता व निकृष्टता का स्वरूप अलग अलग रहता है। फल भी उसी अनुसार मिलता है।

संक्षेप में... कर्मकांड(Action) + भावना(Intension) से अध्यात्म क्षेत्र में फ़ल(Result) निर्धारित होता है।

Reference book - *गायत्री की पँचकोशी साधना एवं उपलब्धियां, पेज़ 1.4*

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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