प्रश्न - *दूरस्थ प्रियजन तक ऊर्जा का संचार प्राणिक चिकित्सा/टेलीपैथी/रेकी/प्रार्थना द्वारा कैसे करें?*
उत्तर - आत्मीय बहन, सबसे पहले हमें यह समझना होगा ....की हमारा शरीर किस तरह काम करता है ? मनुष्य का शरीर कई तरह की उर्जाओ यानी एनर्जी का सोत्र है और हम जीवन निर्वाह के लिए इन एनेर्जी को भिन्न भिन्न तरीको से जाने अनजाने ग्रहण करते है .....
इक एनर्जी का दूसरी एनर्जी में बदलाव ...हमारे शरीर में निरंतर होता रहता है.... जिसे साइंस की भाषा में एनर्जी ट्रांसफॉर्मेशन या रुपंतार्ण कहते है ....
मनुष्य के शरीर में मैकेनिकल , इलेक्ट्रिकल ,चुम्बकीय ,बायो केमिकल ,प्रकाश ,ध्वनि , हीट और कॉस्मिक उर्जा का प्रवेश, रुपंतार्ण और निर्माण अलग लग तरीको से और शरीर की भिन्न भिन्न अंगो द्वारा होता है ....
एक दिन में ....इक आम इन्सान भोजन,पानी ,वायु ,ध्वनि और प्रकाश का ग्रहण खाने, देखने, सुनना, सूंघना , सोचना और महसूस करना आदि भिन्न भिन्न कार्य द्वारा करता है.....
भोजन शरीर में जाकर अलग अलग उर्जा का निर्माण करता है ...जिससे शरीर सुचारू रूप से चलता रहे ...भोजन के अलावा बाकी क्रियाये भी हमारे शरीर पे अपना प्रभाव डालती है ....जिसे हम अधिकतर हलके तौर पे लेते है ....पर कभी कभी इनके आकस्मिक प्रभाव भी हमारे मन , मस्तिष्क पर पड़ते है ...
जैसे किसी सड़े-मरे हुए जानवर को देख उलटी का जी होना या किसी आम आदमी का ऑपरेशन थिएटर में बेहोस हो जाना या किसी बहुत ही सुन्दर स्त्री को देख किसी व्यक्ति का अपना होस-हवास खो देना... या सिनेमा हाल में किसी पे अत्याचार देख खून का खौलना या किसी की दयनीय दशा देख आंसू आना आदि ....
ऐसा ही कुछ असर हमारे शरीर में कुछ सुनने और सूंघने से भी होता है ...इन सब क्रियाओं में मष्तिष्क का इक अहम् रोल है ..जो मानव शरीर को सिग्नल भेज उसे निर्देश देता है ...की उसकी प्रतिक्रिया क्या हो ....जैसे शरीर में कम्पन , हाई/लो ब्लड प्रेशर , दिमाग का कुंद होना और शरीर का जडवत हो जाना आदि शामिल है .....
ऐसा ही कुछ प्रभाव हम तब महसूस करते है ..जब कोई आपको छूता है .... इसे समझाने की जरूरत नहीं ...ऐसे ही इक बच्चे के लिए माँ का स्पर्श दोनों के बीच में इक मजबूत बंधन का निर्माण करता है ...जिसे दोनों बिना भाषा के समझ लेते है ....
स्पर्श की महत्ता तो हम सब जानते है ..पर यह किसी रोग को ठीक कर दे ..यह समझना थोडा टेढ़ा काम है और उससे भी कठिन यह समझना की कोई व्यक्ति कंही दूर दराज से ऐसी कोई उर्जा भेज दे...जो किसी रोगी को ठीक कर दे...किसी के मानसिक और शारिरिक पीड़ा को दूर करना...मनोबल बढ़ाना..इत्यादि
मानव शरीर के इर्द गिर्द कई तरह की एनेर्जी उपस्थित होती है जिन्हें हम आम अवस्था में महसूस नहीं कर पाते...यह एनेर्जी पूरे ब्रह्मांड से... या..दुसरे ग्रहों से उत्सर्जित उर्जा... किसी साधक मनुष्य के शरीर से उत्सर्जित ऊर्जा... या अत्यंत सूक्ष्म (ना दिखने वाले) जीवो से या इंसानी शरीर को ना सुनने , दिखाई औए महसूस होने वाली धाराओ के प्रवाह के कारण होती है....पर हमारी इन्द्रिया इन्हें संचित करती रहती है ...
ऊर्जा का संचार प्राणिक हिंलिंग चिकित्सा/टेलीपैथी/रेकी/प्रार्थना द्वारा की हीलिंग में साधक/मास्टर इक खास तरीके से अपने आस पास की धारायो को इकटठा कर उनको इक दिशा दे कर सम्बन्धित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराता है ... इसके लिए साधक/मास्टर को पहले उस व्यक्ति का नाम लेकर या उस व्यक्ति के स्थान के कोण का या किसी भी तरह उसका स्मरण तीव्र भावनाओ द्वारा करना होता है ...
जैसे मेने ऊपर लिखा कि ..हमारे शरीर में भीं भिन्न प्रकार की उर्जाओ का निर्माण होता है ...अगर इसे हम ऐसे समझे जैसे की हमारा शरीर इक ऑफिस है ..जिसमे कई डिपार्टमेंट है और उनके काम करना का अपना इक तरीका..उसी तरह शरीर की अलग अलग क्रियाएं भीं एनर्जी का उपयोग ,रुपंतार्ण या निर्माण करती है ...
अतः ऊनी वस्त्र या कम्बल के आसन पर कमर सीधी और नेत्र बन्द कर शांत चित्त दोनों हाथ गोद में रखकर बैठ जायें...
🙏🏻🇮🇳मौन मानसिक देववाहन और गुरु का आह्वाहन करें। प्राणायाम करें। मौन मानसिक 24 गायत्री मंत्र, पाँच महाकाली गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र जपें।
🇮🇳👉🏼भावना करें कि कण कण में व्यापतं ब्राह्मण शक्ति नीले बादल के रूप में आपके सर के ऊपर एकत्रित हो गयी है। अब वो सहस्त्रार से रीढ़ की हड्डी के आस पास स्थित इड़ा-पिंगला नाड़ी से समस्त चक्रों में प्रवेश कर गयी है। अब स्वयं को ऊर्जा का ट्रांसफॉर्मर सा महसूस करें।
👉🏼🇮🇳अब उस प्रियजन का ध्यान करें और बाएं हाथ की हथेली को कंधे से ऊपर आसमान की तरफ ऐसे रखें मानो ऊर्जा ग्रहण कर रहे हैं, दूसरे हाथ को आशीर्वाद की मुद्रा में ऐसे रखें जैसे देवता आशीर्वाद देते हैं। अब भावना करें कि उस प्रियजन को आप अपने दाहिने हाथ से ऊर्जा भेज रहे हैं। आकाशवाणी जैसे ध्वनि को ईथर में ब्रॉडकास्ट करता है, वैसे ही आप ऊर्जा और आशीर्वाद की ऊर्जा किरणों उस प्रियजन तक भेज रहे हैं। वह उसके दोनों भौंहों के मध्य आज्ञाचक्र जहाँ तिलक लगाते है वहां से प्रवेश कर रहा है। वह ऊर्जावान और प्रकाशवान बन रहा है। शारीरिक और मानसिक पीड़ा मिट रही है। उसके अंदर वीर शिवाजी, विवेकानंद, लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप की तरह साहस व वीरता हिलोरें ले रही है।
👉🏼🇮🇳निम्नलिखित बातें मन ही मन दोहराएं:-
1- हे मेरे प्रियजन(उनका नाम लें), तुम यशस्वी हो, यशस्वी हो, यशस्वी हो।
2- तुम दीर्घायु हो, दीर्घायु हो, दीर्घायु हो।
3-तुम चिरंजीवी हो, चिरंजीवी हो, चिरंजीवी हो।
तुम्हारा उज्ज्वल भविष्य हो, तुममें देशभक्ति आलोकित रहे, तुम्हारा तन और मन मजबूत रहे, तुम्हारा मनोबल बढ़ता रहे। तुम्हारे भीतर रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे। विजेता की तरह जीवन जियो।
स्वस्थ हो, स्वस्थ हो, स्वस्थ हो
विजयी भव, विजयी भव, विजयी भव
मन शांत भव, मन शांत भव, मन शांत भव
ॐ शांति
फ़िर शांतिपाठ करें और दोनों हाथों को रगड़े और चेहरे पर लगा लें। कुछ क्षण रुककर नेत्र खोले और फिर उठ जाएं।
इसमें समस्त प्रक्रिया मौनमानसिक और नेत्रबन्द करके होगी। केवल हाथों का मूवमेंट उपरोक्त नियमानुसार होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात*
महाकाली दुर्गा गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
शांतिपाठ - *ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,*
*पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।*
*वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,*
*सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥*
*ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥*
सबको सद्बुद्धि दो परमात्मा, हमारे देश को विश्व आपदा कोरोना वायरस संक्रमण(कोविड19) से बचाओ, सभी धर्म सम्प्रदाय के लोगों को सद्बुद्धि दो कि वह इस समस्या को समझें व देशहित कार्य करें, देशभक्ति का लोगों के भीतर संचार हो, भटके लोग आतंकवाद की राह छोड़ दें, प्रेम और सौहार्द से रहें। विश्व मे शांति हो ऐसी कृपा करो।
सभी स्वस्थ रहें, सबका उज्ज्वल भविष्य हो।
उत्तर - आत्मीय बहन, सबसे पहले हमें यह समझना होगा ....की हमारा शरीर किस तरह काम करता है ? मनुष्य का शरीर कई तरह की उर्जाओ यानी एनर्जी का सोत्र है और हम जीवन निर्वाह के लिए इन एनेर्जी को भिन्न भिन्न तरीको से जाने अनजाने ग्रहण करते है .....
इक एनर्जी का दूसरी एनर्जी में बदलाव ...हमारे शरीर में निरंतर होता रहता है.... जिसे साइंस की भाषा में एनर्जी ट्रांसफॉर्मेशन या रुपंतार्ण कहते है ....
मनुष्य के शरीर में मैकेनिकल , इलेक्ट्रिकल ,चुम्बकीय ,बायो केमिकल ,प्रकाश ,ध्वनि , हीट और कॉस्मिक उर्जा का प्रवेश, रुपंतार्ण और निर्माण अलग लग तरीको से और शरीर की भिन्न भिन्न अंगो द्वारा होता है ....
एक दिन में ....इक आम इन्सान भोजन,पानी ,वायु ,ध्वनि और प्रकाश का ग्रहण खाने, देखने, सुनना, सूंघना , सोचना और महसूस करना आदि भिन्न भिन्न कार्य द्वारा करता है.....
भोजन शरीर में जाकर अलग अलग उर्जा का निर्माण करता है ...जिससे शरीर सुचारू रूप से चलता रहे ...भोजन के अलावा बाकी क्रियाये भी हमारे शरीर पे अपना प्रभाव डालती है ....जिसे हम अधिकतर हलके तौर पे लेते है ....पर कभी कभी इनके आकस्मिक प्रभाव भी हमारे मन , मस्तिष्क पर पड़ते है ...
जैसे किसी सड़े-मरे हुए जानवर को देख उलटी का जी होना या किसी आम आदमी का ऑपरेशन थिएटर में बेहोस हो जाना या किसी बहुत ही सुन्दर स्त्री को देख किसी व्यक्ति का अपना होस-हवास खो देना... या सिनेमा हाल में किसी पे अत्याचार देख खून का खौलना या किसी की दयनीय दशा देख आंसू आना आदि ....
ऐसा ही कुछ असर हमारे शरीर में कुछ सुनने और सूंघने से भी होता है ...इन सब क्रियाओं में मष्तिष्क का इक अहम् रोल है ..जो मानव शरीर को सिग्नल भेज उसे निर्देश देता है ...की उसकी प्रतिक्रिया क्या हो ....जैसे शरीर में कम्पन , हाई/लो ब्लड प्रेशर , दिमाग का कुंद होना और शरीर का जडवत हो जाना आदि शामिल है .....
ऐसा ही कुछ प्रभाव हम तब महसूस करते है ..जब कोई आपको छूता है .... इसे समझाने की जरूरत नहीं ...ऐसे ही इक बच्चे के लिए माँ का स्पर्श दोनों के बीच में इक मजबूत बंधन का निर्माण करता है ...जिसे दोनों बिना भाषा के समझ लेते है ....
स्पर्श की महत्ता तो हम सब जानते है ..पर यह किसी रोग को ठीक कर दे ..यह समझना थोडा टेढ़ा काम है और उससे भी कठिन यह समझना की कोई व्यक्ति कंही दूर दराज से ऐसी कोई उर्जा भेज दे...जो किसी रोगी को ठीक कर दे...किसी के मानसिक और शारिरिक पीड़ा को दूर करना...मनोबल बढ़ाना..इत्यादि
मानव शरीर के इर्द गिर्द कई तरह की एनेर्जी उपस्थित होती है जिन्हें हम आम अवस्था में महसूस नहीं कर पाते...यह एनेर्जी पूरे ब्रह्मांड से... या..दुसरे ग्रहों से उत्सर्जित उर्जा... किसी साधक मनुष्य के शरीर से उत्सर्जित ऊर्जा... या अत्यंत सूक्ष्म (ना दिखने वाले) जीवो से या इंसानी शरीर को ना सुनने , दिखाई औए महसूस होने वाली धाराओ के प्रवाह के कारण होती है....पर हमारी इन्द्रिया इन्हें संचित करती रहती है ...
ऊर्जा का संचार प्राणिक हिंलिंग चिकित्सा/टेलीपैथी/रेकी/प्रार्थना द्वारा की हीलिंग में साधक/मास्टर इक खास तरीके से अपने आस पास की धारायो को इकटठा कर उनको इक दिशा दे कर सम्बन्धित व्यक्ति के शरीर में प्रवेश कराता है ... इसके लिए साधक/मास्टर को पहले उस व्यक्ति का नाम लेकर या उस व्यक्ति के स्थान के कोण का या किसी भी तरह उसका स्मरण तीव्र भावनाओ द्वारा करना होता है ...
जैसे मेने ऊपर लिखा कि ..हमारे शरीर में भीं भिन्न प्रकार की उर्जाओ का निर्माण होता है ...अगर इसे हम ऐसे समझे जैसे की हमारा शरीर इक ऑफिस है ..जिसमे कई डिपार्टमेंट है और उनके काम करना का अपना इक तरीका..उसी तरह शरीर की अलग अलग क्रियाएं भीं एनर्जी का उपयोग ,रुपंतार्ण या निर्माण करती है ...
अतः ऊनी वस्त्र या कम्बल के आसन पर कमर सीधी और नेत्र बन्द कर शांत चित्त दोनों हाथ गोद में रखकर बैठ जायें...
🙏🏻🇮🇳मौन मानसिक देववाहन और गुरु का आह्वाहन करें। प्राणायाम करें। मौन मानसिक 24 गायत्री मंत्र, पाँच महाकाली गायत्री मंत्र और 5 महामृत्युंजय मंत्र जपें।
🇮🇳👉🏼भावना करें कि कण कण में व्यापतं ब्राह्मण शक्ति नीले बादल के रूप में आपके सर के ऊपर एकत्रित हो गयी है। अब वो सहस्त्रार से रीढ़ की हड्डी के आस पास स्थित इड़ा-पिंगला नाड़ी से समस्त चक्रों में प्रवेश कर गयी है। अब स्वयं को ऊर्जा का ट्रांसफॉर्मर सा महसूस करें।
👉🏼🇮🇳अब उस प्रियजन का ध्यान करें और बाएं हाथ की हथेली को कंधे से ऊपर आसमान की तरफ ऐसे रखें मानो ऊर्जा ग्रहण कर रहे हैं, दूसरे हाथ को आशीर्वाद की मुद्रा में ऐसे रखें जैसे देवता आशीर्वाद देते हैं। अब भावना करें कि उस प्रियजन को आप अपने दाहिने हाथ से ऊर्जा भेज रहे हैं। आकाशवाणी जैसे ध्वनि को ईथर में ब्रॉडकास्ट करता है, वैसे ही आप ऊर्जा और आशीर्वाद की ऊर्जा किरणों उस प्रियजन तक भेज रहे हैं। वह उसके दोनों भौंहों के मध्य आज्ञाचक्र जहाँ तिलक लगाते है वहां से प्रवेश कर रहा है। वह ऊर्जावान और प्रकाशवान बन रहा है। शारीरिक और मानसिक पीड़ा मिट रही है। उसके अंदर वीर शिवाजी, विवेकानंद, लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप की तरह साहस व वीरता हिलोरें ले रही है।
👉🏼🇮🇳निम्नलिखित बातें मन ही मन दोहराएं:-
1- हे मेरे प्रियजन(उनका नाम लें), तुम यशस्वी हो, यशस्वी हो, यशस्वी हो।
2- तुम दीर्घायु हो, दीर्घायु हो, दीर्घायु हो।
3-तुम चिरंजीवी हो, चिरंजीवी हो, चिरंजीवी हो।
तुम्हारा उज्ज्वल भविष्य हो, तुममें देशभक्ति आलोकित रहे, तुम्हारा तन और मन मजबूत रहे, तुम्हारा मनोबल बढ़ता रहे। तुम्हारे भीतर रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती रहे। विजेता की तरह जीवन जियो।
स्वस्थ हो, स्वस्थ हो, स्वस्थ हो
विजयी भव, विजयी भव, विजयी भव
मन शांत भव, मन शांत भव, मन शांत भव
ॐ शांति
फ़िर शांतिपाठ करें और दोनों हाथों को रगड़े और चेहरे पर लगा लें। कुछ क्षण रुककर नेत्र खोले और फिर उठ जाएं।
इसमें समस्त प्रक्रिया मौनमानसिक और नेत्रबन्द करके होगी। केवल हाथों का मूवमेंट उपरोक्त नियमानुसार होगा।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात*
महाकाली दुर्गा गायत्री मंत्र - *ॐ भूर्भुवः स्व: क्लीं क्लीं क्लीं तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो न: प्रचोदयात क्लीं क्लीं क्लीं ॐ*
महामृत्युंजय मंत्र - *ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्। उर्वारुकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मामृतात्॥*
शांतिपाठ - *ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,*
*पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति:।*
*वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,*
*सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि॥*
*ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥*
सबको सद्बुद्धि दो परमात्मा, हमारे देश को विश्व आपदा कोरोना वायरस संक्रमण(कोविड19) से बचाओ, सभी धर्म सम्प्रदाय के लोगों को सद्बुद्धि दो कि वह इस समस्या को समझें व देशहित कार्य करें, देशभक्ति का लोगों के भीतर संचार हो, भटके लोग आतंकवाद की राह छोड़ दें, प्रेम और सौहार्द से रहें। विश्व मे शांति हो ऐसी कृपा करो।
सभी स्वस्थ रहें, सबका उज्ज्वल भविष्य हो।
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