*श्री हनुमान जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएं*
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हनुमत गायत्रीमंत्र - *ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।*
श्री हनुमान जी केवल शारीरिक बल, ओज, वीर्य, तेज, बुद्धि, विद्या प्रदान करने वाले ही देव नहीं हैं, वह तो समस्त प्रकार की पीड़ानाशक देव हैं। जब भी पीड़ा आती है तो उसका प्रभाव शरीर, मन और कार्य, तीनों पर ही पड़ता है। इस कारण प्रत्येक व्यक्ति को नित्य प्रति नहीं तो मंगलवार को हनुमान मंत्र जप अवश्य ही करना चाहिए।
हनुमानजी की साधना की अनेक विधियां, मंत्र, ध्यान, स्तोत्र, चालीसा, कवच, हनुमान बाहुक, सुन्दरकाण्ड आदि हैं। कलियुग में सर्वाधिक मन्दिर हनुमान जी के हैं वह सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। वह शक्ति के पुंज और साहस के प्रतीक हैं। उनका नाम लेते ही सब संकट टल जाते हैं।
सर्वश्रेष्ठ सुपर हिरो और साहस के स्रोत के रूप में बच्चों को हनुमान जी के चरित्र कथा को सुनाना चाहिए। जिससे बच्चे काल्पनिक सुपर हीरो - सुपरमैन, बैट्समैन, हीमैन इत्यादि की जगह रियल सुपर हीरो की परमात्म चेतना से जुड़े।
यदि रोग हो, या शारीरिक - मानसिक पीड़ा हो, नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो तो 40 दिन तक रोज हनुमान बाहुक का एक पाठ नित्य करना चाहिए, एक हनुमान चालीसा, एक बजरंग बाण और साथ ही तीन माला हनुमान गायत्री मंत्र की नित्य जपनी चाहिए। मंगलवार या शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
गृहक्लेश और मन मुटाव हो या अन्य कोर्ट मुकद्दमा का संकट हो तो 40 दिन तक नित्य एक सुंदरकांड का पाठ, हनुमान अष्टक का पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ व पांच माला नित्य हनुमान गायत्री का जप करना चाहिए।मंगलवार या शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
गृह क्लेश में श्वेत वस्त्र धारी हनुमानजी का ध्यान करें, कोर्ट कचहरी के मुकद्दमें हेतु पीले या लाल वस्त्रों में हनुमानजी का ध्यान करें। घर की नकारात्मक शक्ति के शमन के लिए हनुमानजी का लाल वस्त्रों में ध्यान करें। रोग-पीड़ा के वक़्त हनुमानजी का पीले वस्त्रों में ध्यान करें।
हनुमानजी की साधना के साथ श्रीराम रक्षास्त्रोत का पाठ भी श्रेयस्कर है।
अँधेरे से युद्ध लड़ा नहीं जा सकता, उसे तो मात्र एक दीपक जला कर दूर किया जा सकता है। दीपक अग्नि को तभी धारण कर सकता है जब उसकी बाती कसी हुई हो और एक पात्र में रखा हो साथ ही जिसमें समुचित घी ईंधन रूप में हो।
इसी तरह भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए, उनकी अग्निवत ज्योति को आत्मा में धारण करने के लिए भी पात्रता चाहिए, संयमित जीवन और तप की शक्ति का ईंधन चाहिए। जिससे जीवन के अंधकार को दूर किया जा सके।
हनुमानजी के कुछ विशिष्ट मंत्र इस प्रकार हैं। आप इनमें से कोई एक मंत्र चुन सकते हैं। यह सभी समान रूप से शक्तिशाली हैं। इनका 24 हज़ार जप या सवा लाख मन्त्र का जप का अनुष्ठान कर सकते हैं।
ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महबलाय स्वाहा।
ॐ हां सर्वदुष्टग्रह निवारणाय स्वाहा।
ॐ हं केसरीपुत्राय रामभक्ताय नम:।
ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा।
ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।
ॐ हनुमते नम:।
ॐ हां संकट मोचनाय नम:।
ॐ हं हनुमते रुद्रात्माय हुं फट्।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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हनुमत गायत्रीमंत्र - *ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।*
श्री हनुमान जी केवल शारीरिक बल, ओज, वीर्य, तेज, बुद्धि, विद्या प्रदान करने वाले ही देव नहीं हैं, वह तो समस्त प्रकार की पीड़ानाशक देव हैं। जब भी पीड़ा आती है तो उसका प्रभाव शरीर, मन और कार्य, तीनों पर ही पड़ता है। इस कारण प्रत्येक व्यक्ति को नित्य प्रति नहीं तो मंगलवार को हनुमान मंत्र जप अवश्य ही करना चाहिए।
हनुमानजी की साधना की अनेक विधियां, मंत्र, ध्यान, स्तोत्र, चालीसा, कवच, हनुमान बाहुक, सुन्दरकाण्ड आदि हैं। कलियुग में सर्वाधिक मन्दिर हनुमान जी के हैं वह सर्वाधिक पूजे जाने वाले देवता हैं। वह शक्ति के पुंज और साहस के प्रतीक हैं। उनका नाम लेते ही सब संकट टल जाते हैं।
सर्वश्रेष्ठ सुपर हिरो और साहस के स्रोत के रूप में बच्चों को हनुमान जी के चरित्र कथा को सुनाना चाहिए। जिससे बच्चे काल्पनिक सुपर हीरो - सुपरमैन, बैट्समैन, हीमैन इत्यादि की जगह रियल सुपर हीरो की परमात्म चेतना से जुड़े।
यदि रोग हो, या शारीरिक - मानसिक पीड़ा हो, नकारात्मक ऊर्जा महसूस हो तो 40 दिन तक रोज हनुमान बाहुक का एक पाठ नित्य करना चाहिए, एक हनुमान चालीसा, एक बजरंग बाण और साथ ही तीन माला हनुमान गायत्री मंत्र की नित्य जपनी चाहिए। मंगलवार या शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
गृहक्लेश और मन मुटाव हो या अन्य कोर्ट मुकद्दमा का संकट हो तो 40 दिन तक नित्य एक सुंदरकांड का पाठ, हनुमान अष्टक का पाठ, हनुमान चालीसा का पाठ व पांच माला नित्य हनुमान गायत्री का जप करना चाहिए।मंगलवार या शनिवार का व्रत रखना चाहिए।
गृह क्लेश में श्वेत वस्त्र धारी हनुमानजी का ध्यान करें, कोर्ट कचहरी के मुकद्दमें हेतु पीले या लाल वस्त्रों में हनुमानजी का ध्यान करें। घर की नकारात्मक शक्ति के शमन के लिए हनुमानजी का लाल वस्त्रों में ध्यान करें। रोग-पीड़ा के वक़्त हनुमानजी का पीले वस्त्रों में ध्यान करें।
हनुमानजी की साधना के साथ श्रीराम रक्षास्त्रोत का पाठ भी श्रेयस्कर है।
अँधेरे से युद्ध लड़ा नहीं जा सकता, उसे तो मात्र एक दीपक जला कर दूर किया जा सकता है। दीपक अग्नि को तभी धारण कर सकता है जब उसकी बाती कसी हुई हो और एक पात्र में रखा हो साथ ही जिसमें समुचित घी ईंधन रूप में हो।
इसी तरह भगवान की कृपा प्राप्त करने के लिए, उनकी अग्निवत ज्योति को आत्मा में धारण करने के लिए भी पात्रता चाहिए, संयमित जीवन और तप की शक्ति का ईंधन चाहिए। जिससे जीवन के अंधकार को दूर किया जा सके।
हनुमानजी के कुछ विशिष्ट मंत्र इस प्रकार हैं। आप इनमें से कोई एक मंत्र चुन सकते हैं। यह सभी समान रूप से शक्तिशाली हैं। इनका 24 हज़ार जप या सवा लाख मन्त्र का जप का अनुष्ठान कर सकते हैं।
ॐ नमो भगवते आंजनेयाय महबलाय स्वाहा।
ॐ हां सर्वदुष्टग्रह निवारणाय स्वाहा।
ॐ हं केसरीपुत्राय रामभक्ताय नम:।
ॐ हं पवननंदनाय स्वाहा।
ॐ अंजनी सुताय विद्महे वायुपुत्राय धीमहि तन्नो मारुति: प्रचोदयात्।
ॐ हनुमते नम:।
ॐ हां संकट मोचनाय नम:।
ॐ हं हनुमते रुद्रात्माय हुं फट्।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
Shweta ji m apse kuch advise Lena chahta hu. pls provide ur email or number for contact.
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