Monday 27 April 2020

प्रश्न- *मुझे बहुत नींद आती है, लगता है दिन भर सोता रहूं। जानता हूँ कैरियर बनाने के लिए पढ़ना जरूरी है फिर भी नींद से परेशान हूँ क्या करूं?*

प्रश्न- *मुझे बहुत नींद आती है, लगता है दिन भर सोता रहूं। जानता हूँ कैरियर बनाने के लिए पढ़ना जरूरी है फिर भी नींद से परेशान हूँ क्या करूं?*

उत्तर- आत्मीय बेटे, अत्यधिक निद्रा का जनक दो प्रकार का आलस्य होता है, पहला शारिरिक और दूसरा मानसिक।

मानसिक आलस्य को प्रमाद कहते हैं, जो मनुष्य को लापरवाह व जीवन मूल्यों के प्रति इग्नोरेंस की ओर ले जाता है।

शरीर के आलस्य को नित्य उचित भोजन, विश्राम, योग व व्यायाम से दूर करो।

मानसिक आलस्य को नित्य कुछ अच्छे मोटिवेशनल विचारों का भोजन,  ध्यान के द्वारा मन को विश्राम, मन्त्र जप योग और प्राणायाम करो।

तन मन जब स्वस्थ होगा,  तब भी एक्टिव रहने के लिए उसे एक और चीज़ चाहिए चाहिए जिसे कहते हैं जीवन लक्ष्य। जीवन लक्ष्य का एक पड़ाव है - कैरियर लक्ष्य (क्या बनना है और उसके लिए क्या, कब और क्यों पढ़ना है यह पता होना चाहिए)

कैरियर लक्ष्य - सीमाबद्ध होना चाहिए,  अब यदि तीन वर्ष में अमुक रिजल्ट चाहिए तो कितनी तैयारी प्रत्येक वर्ष, प्रत्येक महीने, प्रत्येक सप्ताह, प्रत्येक दिन व प्रत्येक घण्टे करना होगा। इसका क्लियर रोडमैप दिमाग़ के समक्ष प्रस्तुत होना चाहिए। मन सँकल्प से बन्धता है, सङ्कल्प का फिर कोई विकल्प नहीं होता। मन तय किये संकल्पों अनुसार कार्य करता है।

रोज का टाइम टेबल तुम्हें पता होना चाहिए कि आज क्या करना है, कितना और कब कब पढ़ना है? साथ ही यदि कोई समस्या हुई व टाइम टेबल अनुसार उस दिन की पढ़ाई न हो पाई तो नेक्स्ट दिन उसे कैसे एक्स्ट्रा पढ़कर पुनः ट्रैक पर आना है यह पता होना चाहिए।

मनुष्य अपनी औक़ात ख़ुद तय करता है, औकात से ज्यादा न वह कुछ बन सकता है और न कमा सकता है। तो यह औक़ात आपके संकल्पों की बनाई सीमा होती है। छोटी सोच और पैर की मोच जीवन मे आगे बढ़ने नहीं देती। कुछ बड़ा करना है तो बड़ा सोचना होगा। बड़ी सोच के अनुसार बड़ी मेहनत भी करनी होगी। अपनी शारीरिक मानसिक क्षमता को भी बढाना होगा। कुछ न कुछ तो विशेष करने दिखाना होगा, जिससे स्वयं पर गर्व करने के लिए कुछ तो हो, स्वयं की नज़रों में स्वयं को प्रतिष्ठित तो पाओ। जिसके जीवन मे कुछ कर गुजरने का जुनून उत्साह उमंग नहीं, वह जॉम्बी की तरह है। दुनियां की नज़रों में युवा परन्तु भीतर से यौवन उसका मृत है।

अतः स्वयं के प्रतिस्पर्धी बनो, बीते कल से आज बेहतर बनो। कल जितना ज्ञान कोष था उसमें +1% की वृद्धि होनी चाहिये। कुछ कर गुजरने के लिए संकल्पित हो जाओ।

युगऋषि पण्डित श्रीराम शर्मा आचार्य जी कहते हैं - *गृहणी जिस प्रकार भोजन को मनचाहा स्वाद देने के लिए स्वतंत्र है, वैसे ही मनुष्य अपना मनचाहा भाग्य बनाने के लिए स्वतंत्र है। मनुष्य अपने भाग्य का निर्माता है। उसके सुनहरे भविष्य के जीवन की डोर उसी के हाथों में है। भगवान उसी की मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करता है। जिसकी मनःस्थिति उसका साथ देगी, उसी का साथ परिस्थिति भी देगी।*

*पुरुषार्थी, कर्मठ व चैतन्य व्यक्ति और सुअवसर के मिलन को भाग्य कहते हैं।*

*लापरवाह, अकर्मण्य व सुस्त व्यक्ति और सुअवसर के मिलन को दुर्भाग्य कहते हैं।*

मन को बलिष्ठ और पोषण देने के लिए निम्नलिखित उपाय अपनाओ जिससे दिमाग़ की थकान रोज की रोज उतर जाए, एक्टिव होकर वो तुम्हारा पढ़ाई करने में सहयोग करे:-

एक कहानी पहले सुनो कि मानसिक थकान उतारने और पोषण देने की आवश्यकता क्यों है? दो बलिष्ठ लड़के थे(श्याम औऱ बलि) दोनो में कम्पटीशन हुआ, कि कौन सबसे ज्यादा लकड़ी काट सकता है? दोनों को नई कुल्हाड़ी मिली। बलि बिना रुके पेड़ काट रहा था, श्याम प्रत्येक घण्टे रुकता पानी पीता और कुल्हाड़ी में धार देता, फिर काटने लगता। रिजल्ट जब आया तो श्याम विजयी हुआ। क्योंकि बलि रुककर कुल्हाड़ी को धार देकर पैना नही किया तो बलप्रयोग ज्यादा करना पड़ा और थकान भी ज्यादा हुई।

इसी तरह डियर, दिमाग़ को धार देकर तेज बनाने के लिए निम्नलिखित उपाय करो:-

👉🏼- सुबह उठकर प्रथम गायत्री मंत्र बोलते हुए माथे पर जैसे तिलक लगाते है वैसे अंगूठे से दोनों भौंहों के बीच लगाओ। पूरे सर में हल्के हाथों से मसाज कर लो। और भगवान को 5 चीज़ों के लिए धन्यवाद बिस्तर पर ही बैठे बैठे दो, उदाहरण - तुम जो बोल-सुन-सोच-चल-देख सकते हो इसके लिए, इस जीवन के लिए ।

👉🏼 फ़िर स्वयं से बोलो-  I am the best. 2. I can learn IAS course, yes I can do it. 3. God is always with me. 4. I am a winner, I will be IAS. 5. Today is my day.

3- नित्यकर्म और जो भी शेड्यूल बनाया है उसके हिसाब से कार्य करो।

4- जब भी नहाओ, भगवान के समक्ष बैठकर षठ-कर्म के साथ प्राणायाम करो, उगते सूर्य का ध्यान करते हुए कम से कम 108 बार गायत्री जप करो, एक बार इस वीडियो को देखकर श्रद्धेय की बताई विधि सीख लो:-
https://youtu.be/04Dl89YWTYU

प्राचीन ऋषियों और आधुनिक विज्ञान, आल इंडिया मेडिकल एसोसिएशन(AIMS) ने यह सिद्ध कर दिया है कि बुद्धि कौशल(Intellect power) और याददाश्त(Memory power) के लिए गायत्री मंत्र जप अत्यंत सहायक है।

5- जब भी पढ़ाई में ब्रेक लो गायत्री मंत्र जप कर पानी पियो, भावना करो यह ब्रेन टॉनिक है जिसे गंगा माता ने दिया है। यह जल तुम्हारे दिमाग़ को रिलैक्स्ड और एक्टिव बनाएगा। तीन बार डीप ब्रीदिंग करो, सांस लेते समय *सो* मन ही मन बोलो और छोड़ते समय *हम* बोलो। यह *सो$हम* गायत्री का अजपा जप है। यह प्राणों को चार्ज करता है।

6- कुछ भी खाओ या पियो गायत्री मंत्र मन ही मन बोलते हुए उसे स्पर्श करके खाओ, इससे उस भोजन की ऊर्जा बढ़ जाएगी तुम्हे शक्ति सामर्थ्य देगा।

7- रात को सोते वक्त गायत्री मंत्र जपो, गुरुदेव से प्रार्थना करो, परमात्मा हमें अपने आदर्शों पर चला दो, आप गूंगे को बुलवा सकते हो लँगड़े को दौड़ा सकते हो, कंकड़ पत्थर से भी युगनिर्माण करवा सकते हो, आप सर्वसमर्थ हो, तो हे परमपिता मुझसे भी युगनिर्माण करवा लो, मुझे अच्छा प्रतिष्ठित व सफल युगनिर्माण हेतु बना दो, मुझसे अपना कार्य करवा लो। आप सर्वसमर्थ हो मुझे अपनी शरण में लो। मुझे सुबह जल्दी ** इस समय उठा देना। फ़िर स्वयं को बालक की तरह महसूस करते हुए गुरूदेव माता जी के गोद मे सोने का भाव करो, आंख बंद करके गोदी में सो जाओ। एक बात और - हथेलियों, पैर और नाभि में सरसों या नारियल का तेल लगाकर सोना। इससे सुबह तरोताज़ा उठोगे।

तुम सच्चे दिल से पूर्ण समर्पण के साथ प्रार्थना करो, वो स्वयं तुम्हें अपने आदर्शों पर चला लेंगे, निश्चिंत रहो। अंतर्जगत में बैठी गुरु सत्ता तुम्हारा सतत मार्गदर्शन करेगी।

कुछ साहित्य जो लक्ष्य प्राप्ति में सहायक है इन्हें पढो:-

1- सफलता आत्मविश्वासी को मिलती है
2- दृष्टिकोण ठीक रखे
3- सफलता के सात सूत्र साधन
4- प्रबन्ध व्यवस्था एक विभूति एक कौशल
5- व्यवस्था बुद्धि की गरिमा
6- सफल जीवन की दिशा धारा
7- आगे बढ़ने की तैयारी
8- अध्यात्म विद्या का प्रवेश द्वार
9- सङ्कल्प शक्ति की प्रचंड प्रक्रिया

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
Https://awgpggn.blogspot.com

No comments:

Post a Comment

प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद्यमहे’, ' धीमही’ और 'प्रचोदयात्’ का क्या अर्थ है?

 प्रश्न - रुद्र गायत्री मंत्र में *वक्राय* (vakraya) उच्चारण सही है या *वक्त्राय* (vaktraya) ?किसी भी देवताओं के गायत्री मंत्र में ' विद...