प्रश्न - *सफलता का कारण कौन है? मन:स्थिति या परिस्थिति?*
उत्तर- मनुष्य की सफलता तीन बातों पर निर्भर करती है- अच्छी परिस्थिति- साधन, अच्छा समय और उच्च मनःस्थिति-आत्मबल से किये अनवरत प्रयास।
परिस्थिति और समय दोनों पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं है।
मात्र मनःस्थिति को मनुष्य अपने प्रयास से नियंत्रित कर सकता है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री के पास जन्मजात न अच्छी परिस्थिति थी और न ही उनका जन्म अमीर व राष्ट्रीय नेता के घर हुआ था। बिना बने बनाये प्लेटफॉर्म व विपरीत परिस्थितियों में भी केवल आत्मबल से भरी मन:स्थिति से अनवरत किये प्रयास से वह प्रधानमंत्री बने, और भारत ही नहीं पूरे विश्व के सर्वश्रेष्ठ नेता है।
वहीं दूसरी तरफ़ अमीर व राष्ट्रीय नेता के घर जन्में और बने बनाये प्लेटफार्म पर भी कोई अपनी राजनीति में सफल नही हो पाया। वह कॉमेडियन ज्यादा समझे जाते हैं क्योंकि वह इतने बड़े पद पर भी पहुंचकर अशुद्ध व गलत वक्तव्य देकर कॉमेडी कर जाते हैं। नेता का प्रमुख परिचय उसकी वक्तव्य शैली और द्वितीय परिचय उसका कार्यशैली है, यदि यह परिचय बिगड़ा तो राजनीति अपाहिज हो जाती है।
कोई *लँगड़ा* व्यक्ति यह कहे कि यदि मेरे पास *टांगे* होती मैं सबसे सुखी व्यक्ति होता। लेकिन क्या जिनके पास *टांगे* हैं वह क्या सुखी हैं?
विश्व का ऊंचा पर्वत एवरेस्ट फतह करने के लिए *टांगे* नहीं अपितु मनोबल-आत्मबल पहली आवश्यकता है, यह अरुणिमा सिन्हा ने बता दिया।
ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब विपरीत परिस्थिति व बुरे वक्त में लोगों ने उच्च मनोबल-आत्मबल से स्वयं का वर्चस्व स्थापित किया है।
एक समान विपरीत परिस्थिति व बुरे वक्त में कोई बनता और कोई टूटता क्यों है? इसका सीधा जवाब उस व्यक्ति का मनोबल-आत्मबल है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- मनुष्य की सफलता तीन बातों पर निर्भर करती है- अच्छी परिस्थिति- साधन, अच्छा समय और उच्च मनःस्थिति-आत्मबल से किये अनवरत प्रयास।
परिस्थिति और समय दोनों पर मनुष्य का नियंत्रण नहीं है।
मात्र मनःस्थिति को मनुष्य अपने प्रयास से नियंत्रित कर सकता है।
हमारे देश के प्रधानमंत्री के पास जन्मजात न अच्छी परिस्थिति थी और न ही उनका जन्म अमीर व राष्ट्रीय नेता के घर हुआ था। बिना बने बनाये प्लेटफॉर्म व विपरीत परिस्थितियों में भी केवल आत्मबल से भरी मन:स्थिति से अनवरत किये प्रयास से वह प्रधानमंत्री बने, और भारत ही नहीं पूरे विश्व के सर्वश्रेष्ठ नेता है।
वहीं दूसरी तरफ़ अमीर व राष्ट्रीय नेता के घर जन्में और बने बनाये प्लेटफार्म पर भी कोई अपनी राजनीति में सफल नही हो पाया। वह कॉमेडियन ज्यादा समझे जाते हैं क्योंकि वह इतने बड़े पद पर भी पहुंचकर अशुद्ध व गलत वक्तव्य देकर कॉमेडी कर जाते हैं। नेता का प्रमुख परिचय उसकी वक्तव्य शैली और द्वितीय परिचय उसका कार्यशैली है, यदि यह परिचय बिगड़ा तो राजनीति अपाहिज हो जाती है।
कोई *लँगड़ा* व्यक्ति यह कहे कि यदि मेरे पास *टांगे* होती मैं सबसे सुखी व्यक्ति होता। लेकिन क्या जिनके पास *टांगे* हैं वह क्या सुखी हैं?
विश्व का ऊंचा पर्वत एवरेस्ट फतह करने के लिए *टांगे* नहीं अपितु मनोबल-आत्मबल पहली आवश्यकता है, यह अरुणिमा सिन्हा ने बता दिया।
ऐसे अनेक उदाहरण हैं, जब विपरीत परिस्थिति व बुरे वक्त में लोगों ने उच्च मनोबल-आत्मबल से स्वयं का वर्चस्व स्थापित किया है।
एक समान विपरीत परिस्थिति व बुरे वक्त में कोई बनता और कोई टूटता क्यों है? इसका सीधा जवाब उस व्यक्ति का मनोबल-आत्मबल है।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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