Wednesday 20 May 2020

प्रश्न - *मेरे पति क्रोध में मुझे बहुत मारते हैं? क्या करूँ?*घरेलूहिंसा, मारपीट

प्रश्न - *मेरे पति क्रोध में मुझे बहुत मारते हैं? क्या करूँ?*

उत्तर- आत्मीय बहन, आइये पहले घरेलू हिंसा-पत्नी को पीटने के पीछे के कुछ मनोवैज्ञानिक कारण समझते हैं:-

*महिलाओं के साथ हिंसा के कारण*

1- हिंसा काम करती है, भयग्रस्त स्त्री नियंत्रण में रहती हैं, मुँह नहीं खोलती।
2- कमजोर मानसिकता का व्यक्ति समाज मे अपमानित होता है, पत्नी को पीटकर उसकी मर्दानगी संतुष्ट होती है कि किसी से तो वह श्रेष्ठ है, पत्नी पीटकर वह वस्तुतः अपनी कुंठाओं से मुक्ति पाने का प्रयत्न करता है।
3- बुद्धि की कमी या लापरवाही के चलते वास्तविक परेशानी को पहचाने या कोई उसका कोई व्यवहारिक समाधान ढूंढने के बजाय, पुरुष हिंसा का सहारा लेकर पत्नी की असहमति को उसे पीटकर जल्दी से समाप्त करना चाहता है।
4- किसी पुरुष को लड़ना बेहद रोमांचक लगता है और उससे उसे नई स्फूर्ति मिलती है । वह इस रोमांच को बार बार पाना चाहता है। मनोवैज्ञानिक समस्या होती है, इसे सैडिस्ट मनोवृत्ति कहते हैं, पीड़ा पहुंचाकर सुख प्राप्त होना।
5- अगर कोई पुरुष हिंसा का प्रयोग करता है कि वह जीत गया है और अपनी बात मनवाने का प्रयत्न करता है हिंसा की शिकार, चोट व अपमान से बचने के लिए, अगली स्थिति में, उसका विरोध करने से बचती है। पहली बार जब पति हाथ उठाता है वह पत्नी कड़ा विरोध नहीं करती व भयग्रस्त हो जाती है, तो ऐसे में पुरुष को और भी शह मिलती है। वह सदा के लिए पति को पीटने की स्वतंत्रता दे देती है।
6- पुरुष को मर्द होने के बारे में गलत धारणा है। जब घर के बड़े बुजुर्ग द्वारा अपनी पत्नी को कंट्रोल करने के लिए पीटने का कुकृत्य देखकर जब बच्चा बड़ा होता है। तो उसके लिए पत्नी पीटना मर्दानगी होती है।
7- अगर पुरुष यह मानता है कि मर्द होने का अर्थ है महिला के उपर पूरा नियंत्रण होना तो हो सकता है कि वह महिला के साथ हिंसा करने को भी उचित मानने लगता है। पशु को पीटने व स्त्री को पीटने में कोई भेद ही नहीं दिखता।
8- कुछ पुरुष यह समझते हैं कि मर्द होने के कारण उन्हें कुछ चीजों का हक है जैसे कि अच्छी पत्नी, बेटों की प्राप्ति, परिवार के सारे फैसले करने का हक। यह कुसंस्कार उन्हें उनके परिवार से मिले होते हैं, क्योंकि उसके पिता ने उसकी माता को पशुवत रखा होता है।
9- पुरुष के लगता है कि महिला  उसकी सम्पत्ति है, पशु धन समान है, उसकी इच्छा मायने नहीं रखती, उसे उपभोग मनचाहा करने हेतु वह स्वतंत्र है।
10- यदि महिला सशक्त है तो पुरुष को यह  लग सकता है कि वह उसे खो देगा या महिला को उसकी जरुरत नहीं है । वह कुछ ऐसे कार्य करगे जिससे महिला उस पर अधिक निर्भर हो जाए। उसे अन्य किसी और तरीके के व्यवहार करना आता ही नहीं है सामाजिक परम्परा के अनुकूलन व मर्दानगी स्थापना हेतु शशक्त पत्नी को पीटता है)
11- अगर पुरुष ने अपने पिता या अन्य लोगों के तनाव व परशानी की स्थिति में हिंसा का सहारा लेते हुए देखा है तो केवल ऐसा व्यवहार करना ही सही लगता है । उसे कोई अन्य व्यवहार करना ही सही लगता है ।उसे कोई अन्य व्यवहार का पता ही नहीं है।
12- समाज स्त्री को पीटना सहज लेता है, मायके वाले भी बेटी को पीटने का इस डर से विरोध नहीं करते कहीं ससुराल वाले उसका त्याग न कर दें।बड़ी मुश्किल से दान-दहेज देकर विवाह किया था, अगर वापस लौट आई तो एक मुसीबत होगी। फिर लोग क्या कहेंगे? अपने पति को सम्हाल नहीं सकी, इसी में कोई समस्या होगी। पुरूष प्रधान समाज में स्त्री का पीटना कोई नई बात तो नहीं, फिर इसका क्या बुरा मानना। इत्यादि इत्यादि।

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*अब आइये स्त्री पशुवत पीटने के बावजूद घर में क्यों रहती है?*

1- 90% लड़की के जन्मते ही उसे पराए घर का टैग उसके माथे में चिपका दिया जाता है। यह दूसरे घर जाएगी। लड़की को जन्म से बालमन में यह फीडिंग मिल जाती है, कि मायका उसका अपना घर नहीं।
2- ससुराल वाले मायके के ताने देते रहते हैं, और उसे बताते रहते हैं कि यह ससुराल जिसे बचपन से उसे मायके वालोंने बताया था उसका घर होगा। वस्तुतः नहीं है। यह तो पुत्र का एहसान है जो उसने विवाह किया। अतः लड़की वस्तुतः बेघर होती है।
3- माता पिता लड़की को दूसरे घर में एडजस्ट करना सिखाते हैं, उसे आत्मनिर्भर पुत्र के समान बनाते नहीं।  उसे स्वाभिमान से निर्भय होकर जीना सिखाते नहीं। लड़की जब मायके में बेटे बेटी का भेद-भाव और पिता द्वारा माता को नियंत्रित किया जाना देखती है, तो वह इस अत्याचार को जीवन का अंग मानकर स्वीकार लेती है।

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*समस्या कब उत्तपन्न होती है?*

1- जब अत्याचार सर के ऊपर गुज़र जाता, पति पीटने का आदी बन चुका है और पत्नी अब और पीटना नहीं चाहती।
2- बच्चा छोटा है, मायके वाले सपोर्ट नहीं करेंगे। पति का अत्याचार चरम पर है। पति को छोड़ेगी तो बच्चा भी छूट जाएगा, यदि बच्चे की कस्टडी मिल गयी तो उसका पालन पोषण कैसे करेगी?इत्यादि समस्याओं के कारण बेबस है।
3- पूजा पाठ व आध्यात्मिक उपायों से पति के सुधरने की प्रार्थना करने की कोशिश करती है।
4- समाज, ससुराल व मायका साथ देगा नहीं। कानून न्याय तो दे देगा लेकिन उस न्याय को पाने में वर्षो लग जाएंगे, पति पैसेवाला हुआ तो उससे लड़ना और भी डेंजरस है। पुलिस का साथ व अच्छा वक़ील पैसे के बल पर पति ने ले लिया तो दिक़्क़त ही दिक़्क़त होगी।

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*घरेलू हिंसा के तहत एक महिला के अधिकार*

हमारे देश में इस अधिनियम को लागू करने की ज़िम्मेदारी पुलिस अधिकारी, संरक्षण अधिकारी, सेवा प्रदाता या मजिस्ट्रेट की होती है, जो कि महिला को उसके अधिकार दिलवाने में मदद करते हैं। घरेलु हिंसा से पीड़ित एक महिला के अधिकार निमंलिखित हैं, नज़दीकी थाने में जाकर शिकायत अवश्य करें, एक वक़ील की सहायता लेना अनिवार्य है।

1. पीड़ित महिला इस कानून के तहत किसी भी राहत के लिए आवेदन कर सकती है, जैसे कि संरक्षण आदेश,आर्थिक राहत, बच्चों के अस्थाई संरक्षण (कस्टडी) का आदेश, निवास आदेश या मुआवजे का आदेश आदि।
2. पीड़ित महिला आधिकारिक सेवा प्रदाताओं की सहायता भी ले सकती है।
3. पीड़ित महिला संरक्षण अधिकारी से संपर्क भी कर सकती है।
4. पीड़ित महिला निशुल्क क़ानूनी सहायता की मांग भी कर सकती है।
5. यदि पीड़ित महिला के साथ किसी व्यक्ति ने गंभीर शोषण किया है, तो वह महिला भारतीय दंड संहिता (आई. पी. सी.) के तहत क्रिमिनल याचिका भी दाखिल कर सकती है, इसके तहत प्रतिवादी को तीन साल तक की जेल हो सकती है।
6- स्त्री स्वयं आत्मनिर्भर बने और मजबूती से अपनी बात पति के समक्ष रखे।
7- भय के कारण - आर्थिक आत्मनिर्भर नहीं है तो जीवन कैसे जियेगी? बच्चे छूट जाएंगे? लोग क्या कहेंगे? इत्यादि हैं। गृह युद्ध जब बाहर जाएगा तो इन पहलुओं को हैंडल करने हेतु पूर्व मनःस्थिति तैयार करनी पड़ती है। पति कोर्ट द्वारा पत्नी व बच्चों का खर्च उठाने हेतु बाध्य है, लेकिन जब तक यह शुरू न हो पत्नी को स्वयं का खर्च व कानूनी कार्यवाही का ख़र्च उठाने की व्यवस्था करनी पड़ेगी।

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*आध्यात्मिक मनोवैज्ञानिक समाधान क्या है? सांप मरे व लाठी भी न टूटे...पति सुधर जाए मग़र घर भी न टूटे...*

1- सबसे पहले स्वयं का अवलोकन करें, कि मुझमें ऐसी कौन सी कमज़ोरी है जिसके कारण मेरे पति को लग रहा है मैं पीटने योग्य हूँ?

2- क्या मैं आत्मनिर्भर नहीं हूँ? तो यदि मुझे मजबूरी में कमाना पड़े तो मैं क्या क्या कर सकती हूँ? लिस्ट बनाएं...

3- भगवान उसकी मदद करता है जो अपनी मदद स्वयं करते हैं। हाथ पर हाथ रखकर दैव दैव आलसी पुकारते हैं। अक्ल हो तो हाथी से बलवान को एक छोटा अंकुश नियंत्रित कर सकता है। अतः पति को हैंडल करने के लिए जो बुद्धि की कमी स्वयं में है उस पर कार्य करने की जरूरत है।

4- युद्ध बाह्य हो या गृहयुद्ध हो सभी युद्ध के समय मार्गदर्शन श्रीमद्भागवत गीता देती है।मोहभंग और बुद्धि चातुर्य हेतु श्रीमद्भागवत गीता का स्वाध्याय अनवरत 120 दिन बोलकर करें। साथ ही 120 दिनों के अंदर सवा लाख गायत्री मंत्र का जप पति को हैंडल करने के लिए बुद्धि बल- बाहुबल मांगने हेतु करें। गलती से भी पूजा में पति के सुधरने या परिस्थिति सुधरने की मांग न करें। अपितु प्रार्थना में यह मांगे कि पति को हैंडल करने के लिए सद्बुद्धि, कूटनीतिक बुद्धिबल और परिस्थिति को सम्हालने के लिए मनोबल परमात्मा दीजिये।

5- स्वयं दर्पण के समक्ष खड़े होकर स्वसंकेत और स्व-सम्मोहन कीजिये। कि आप अर्जुन की तरह सामर्थ्यवान बन रही हैं। आपकी बुद्धि चाणक्य व बीरबल की तरह शार्प बन रही है। आपका स्वयं पर नियंत्रण बढ़ रहा है।

6- यूट्यूब पर अकबर-बीरबल, तेनालीराम इत्यादि के बुद्धि कौशल के सीरियल देखिये। कैसे बुद्धिबल से यह राजाओं को हैंडल करते थे? वह कुशलता सीखिए।

7- दिन के 24 घण्टे बुद्धि के विकास में लगा दीजिये, बुद्धिप्रयोग हेतु पहेलियां, मैथ कैलकुलेशन, उगते सूर्य का ध्यान और प्राणायाम कीजिये। भगवान का आह्वाहन मूर्ति में नहीं, अपितु स्वयं की बुद्धि, चित्त और हृदय में कीजिये।

याद रखना डॉक्टर बनकर पति की मनोवृत्ति का उपचार करना। पति के दुर्व्यवहार को ठीक करना, लेकिन प्रेम-सेवा-सहकार  की मूल प्रवृत्ति का त्याग कभी मत करना। एक हाथ से बुद्धिप्रयोग से हैंडल करना और दूसरे हाथ से प्यार-सम्मान देना मत भूलना।

यदि आप घरेलू हिंसा के शिकार हो, तो इसका अर्थ यह है कि बुद्धि के विकास हेतु आपने प्रयत्न नहीं किया गया है। यदि बुद्धिप्रयोग में चूकोगे तो जीवन भर परेशान अवश्य रहोगे। निःश्वार्थ प्रेम व सेवा करने से चूकोगे तो कभी अच्छी गृहस्थी न बसेगी। बुद्धि व प्रेमभाव दोनो का संतुलन जरूरी है।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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