Thursday, 21 May 2020

वट-सावित्री-व्रत

*वट सावित्री व्रत*

वट सावित्री व्रत शुभ मुहूर्त-
*अमावस्या तिथि प्रारम्भ – मई 21, 2020 को रात 09:35 बजे*
अमावस्या तिथि समाप्त – *मई 22, 2020 को रात 11:08 बजे*

*वट सावित्री*

हर साल वट सावित्री व्रत ज्येष्ठ कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस व्रत के दिन आध्यात्मिक शक्ति पति और परिवार के सरंक्षण के लिए अर्जित किया जाता है। सावित्री( भौतिकता) यदि शरीर है तो गायत्री(आध्यात्मिकता) इसकी आत्मा है। आत्मा  शरीर में जितने वर्ष तक है उसी को दीर्घायु कहते हैं। वट के वृक्ष को यदि आप सरंक्षित करते हैं और इसका रोपण करते हैं इसके बढ़ने में वृक्ष के पालन पोषण में धन और समय ख़र्च करेंगे तो आपके परिवार को सुरक्षा मिलेगी। यही इस व्रत का सन्देश है।

*इस व्रत को करने के नियम* - सुबह उठकर नहा धोकर स्वच्छ वस्त्र पहने। पूजन की थाली तैयार कर लें। सर्वप्रथम  घर पर कलश स्थापित करें, फ़िर 10 माला गायत्री की और एक माला महामृत्युंजय मन्त्र की पति की लम्बी आयु और निरोगी जीवन के लिए करें। उसके पश्चात उसी कलश को लेकर नजदीकी बट वृक्ष के पास पूजन हेतु जाएँ। वट वृक्ष भगवान शंकर का प्रतीक है जिस प्रकार पीपल भगवान विष्णु का प्रतीक है। वट वृक्ष की जड़े भगवान शंकर की जटाओं का प्रतीक हैं। कलश का जल वट वृक्ष में चढ़ा दें और थोड़ा सा जल बचा लें, फ़िर पूजन करें। कच्चे सूत के 3 या 5 या 7 वृक्ष पर लपेटते हुए निम्नलिखित मन्त्र ध्यान से पढ़े (महामृत्युंजय मन्त्र दो तरह के होते हैं, ये पति के लिए जपा जाता है, जिसमें पति के साथ प्रेम बन्धन माँगा जाता है)-


*ॐ त्र्यम्बकम् यजामहे, सुगन्धिम् पतिवेदनम्,*
*उर्वारुकमिव बंधनादितो, मुक्षीय मामुतः।*

*ॐ जूँ सः माम् भाग्योदयम्, कुरु कुरु सः जूँ ॐ।*

*ॐ भूर्भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योनः प्रचोदयात्।*

पुजन के पश्चात् लोटे के बचे हुए जल को घर में शांतिपाठ मन्त्र के साथ छिड़क दें साथ ही पति को वट वृक्ष का चरणामृत स्वरूप पीने को दे दें। शाम को भी पूजन करें और पांच दिए द्वारा दीपयज्ञ करें और अपने सौभाग्य और पति की लम्बी उम्र के लिए प्रार्थना करें।और शाम को दो बाल्टी पानी बड़े वट वृक्ष की जड़ में डालें।

शाम को घर में पाँच दीपक जलाकर दीपयज्ञ करें।

सुबह यदि व्यवस्था हो तो घर में गायत्री यज्ञ भी कर लें।

यदि सम्भव हो तो आज के दिन पतिपत्नी एक थाली में ही भोजन करें। भोजन का से पूर्व रूद्र देव को भोजन को समर्पित करने का मन ही मन भाव करें, और साथ भोजन करें।

भोजन मन्त्र भोजन से पूर्व पढंकर भोजन को प्रणाम करें। दो शरीर एक प्राण होने की भावना करें। एक दूसरे के पूरक बने।

*ॐ सह नाववतु । सह नौ भुनक्तु ।*
*सह वीर्यं करवावहै, तेजस्वि नावधीतमस्तु मा विद्विषावहै* ।
ॐ शान्तिः शान्तिः शान्तिः ॥

सम्भव हो तो नज़दीकी पार्क या मन्दिर या रोड के किनारे वट बृक्ष लगाएं। और उसका संरक्षण करें।

जो स्त्री व पुरूष जीवन में वट वृक्ष लगाते हैं उनके जीवन में सुख समृद्धि आती है। अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। वट वृक्ष अक्षय प्रेम का प्रतीक माना जाता है।

🙏🏻 श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इण्डिया यूथ असोसिएशन

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