Saturday 23 May 2020

प्रश्न - *दी, बेटी का जन्मदिन मनाना है, लाकडाउन में स्वयं घर पर स्वयं बच्चे का जन्मदिन दीपयज्ञ से कैसे मनाएँ? इस समय कोई किसी के घर आ जा नहीं रहा है।*

प्रश्न - *दी, बेटी का जन्मदिन मनाना है, लाकडाउन में स्वयं घर पर स्वयं बच्चे का जन्मदिन दीपयज्ञ से कैसे मनाएँ? इस समय कोई किसी के घर आ जा नहीं रहा है।*

उत्तर- आत्मीय बहन,

दीपयज्ञ के माध्यम से बच्चे का जन्मदिन आसानी से घर मनाइए। बच्चे से कहिए कलर पेंसिल से पँच तत्वों का एक पेज में चित्र बना ले, आप उसकी सहायता कीजिये। पांच गोले और उनमें रँग इस प्रकार भरवाईये।

1- *पृथ्वी* - हरा रँग
2- *वरुण* - काला रँग
3- *अग्नि* - लाल रंग
4- *वायु* -पीला रंग
5- *आकाश* - सफेद रँग

लाकडाउन में बड़े यज्ञ सम्भव नहीं है, इसलिए सरल दीपयज्ञ यज्ञ घर मे मौजूद सामग्री से बता रही हूँ। पुस्तक - युगसँस्कार पद्धति और कर्मकांड भाष्कर में जन्मदिन के मन्त्र है। यदि यह पुस्तक हो तो इससे करें। यदि पुस्तक नहीं है तो निम्नलिखित सरल विधि से कर लें।

*विधि* - सुबह के वक़्त साधारण नमक को पानी मे डालकर माँ गंगा का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए उस जल से बच्चे को नहाएं। सभी परिजन इन्ही मन्त्र को पढ़ते हुए नहाए।

मन्त्र - *ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*

बच्चे सहित समस्त परिवार जन नहाने के बाद ऊर्जा बढाने व शांति के लिए पीले या श्वेत या नीला या आसमानी रँग का कपड़ा पहनें। पूजन के वक्त लाल या काले कलर का वस्त्र न पहनें। गायत्री मंत्र दुपट्टा हो तो उसे जरूर धारण करें।

भगवान को प्रसाद में घर में बनी खीर या मीठे चावल या हलवा बनाकर भोग लगाएं।

घर मे कम्बल का ऊनि शाल का आसन बिछा लें और उस पर बैठ जाएं,  पवित्रीकरण, गुरु, गायत्री या जो भी इष्ट भगवान हों उनका  आह्वाहन करलें। बच्चे को तिलक करके उसके हाथ में कलावा(मौली) बांध दें। उसके हाथ से पाँच घी का दीपक जलवाएँ। दीप पूजन करें। यदि मिट्टी के दीपक नहीं है तो पांच स्टील की कटोरी में दीपक जला लें, या आटे के दीपक बनाकर जला लें।

पँच तत्वों का पूजन अक्षत(चावल) --पुष्प(यदि मिल जाये तो उत्तम है नहीं हो तो भी कोई बात नहीं) से करें।

बच्चे को निम्नलिखित मन्त्र दोहराने को बोलें, थोड़े थोड़े अक्षत पुष्प सभी पँच तँत्वो के चित्र पर अर्पित कर दें और हाथ जोड़कर बोलें:-

*ॐ श्रेयसां पथे चरिष्यामि*। (जीवन को कल्याणकारी मार्ग पर चलाएंगे)

*ॐ पृथिव्यै नम:* - पृथ्वी माता हमें उर्वरता व शहनशीलता दें।

*ॐ वरुणाय नमः* - वरुण देवता हमें शीतलता व सरसता दें।

*ॐ अग्नयै नम:* - अग्नि देवता हमें तेजस व वर्चस प्रदान करें।

*ॐ वायवे नम:* - वायु देवता हमें गतिशीलता व जीवनी शक्ति प्रदान करें।

*ॐ आकाशायै नम:* - आकाश देवता हमें उदात्त व महान बनाएं।

दीपक को देखते हुए 5 मिनट प्राणायाम करें।

दीपक को अक्षत पुष्प चढ़ाते हुए निम्नलिखित मन्त्र हाथ जोड़कर बच्चे से दोहराने को बोलें।

*ॐ परमार्थ मेव स्वार्थ मनिष्ये* - परमार्थ को ही स्वार्थ मानेंगे।

 हे अग्नि देवता तरह अखंड पात्रता दीजिये, अक्षय स्नेह दीजिये, हमारी निष्ठा ऊर्ध्व मुखी बनाइये।

घर मे रूम फ्रेशनर हो तो कमरे में छिड़क दें, मोबाइल में बांसुरी या ॐ की मधुर ध्वनि हल्के आवाज में चला लें।

दो कटोरी लें, एक में अक्षत(साबुत चावल) और दूसरी ख़ाली लें।

अब निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भरी कटोरी से अत्यंत थोड़े अक्षत जैसे यज्ञ में आहुति उठाते हैं वैसे ही मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से उठाएं और स्वाहा के साथ खाली कटोरी में डालते जाएं।

*24 आहुति गायत्री मंत्र की - शरीर मे अच्छे हार्मोन्स रिलीज़ होते है, मन शांत होता है, बुद्धि बल और आत्मविश्वास बढ़ता है*

*ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।। स्वाहा इदं गायत्र्यै इदं न मम्*

*11 आहुति महामृत्युंजय मंत्र की, इसे करने से आरोग्य लाभ मिलता है*

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम्*

*5 आहुति चन्द्र गायत्री मन्त्र* से
चन्द्र गायत्री: -  यह मंत्र निराशा से मुक्ति दिलाता है और मानसिकता भी प्रबल होती है ।
मंत्र-

*ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात् ।।इदं चन्द्रायै इदं न मम्।*

*5 आहुति सूर्य गायत्री मन्त्र से:-* इस मंत्र से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिलती है ।
मंत्र-
*।। ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।इदं सूर्यायै इदं न मम्।*

भजन कीर्तन स्तुति जो करना चाहे कर लें, फिर पूर्णिमा के चंद्रमा का ध्यान नेत्र बन्द करके करें।

कुछ देर पुनः पांच जलते हुए दीपकों देखें, भावना करे कि यह पांच दीपक पँच तत्वों के प्रतीक हैं, यह हमारे पँच प्राणों को चार्ज कर रहे हैं।

पुनः दीपक को देखते हुए 5 मिनट प्राणायाम करें।

निम्नलिखित मन्त्र हाथ जोड़कर बच्चे से दोहराने को बोलिये।

*ॐ महत्त्वाकांक्षा सिमितं विधास्यामि*- हम महत्त्वाकांक्षा को सिमित रखेंगे।

हम परिवार के संरक्षक बनेंगे,
हम समाज के उद्धारक बनेंगे,
हम देश के रक्षक बनेंगे।

जिस देश व समाज में जन्म लिया है सदा उसके कल्याण हेतु प्रयास करेंगे।

आरती व भजन कीर्तन का क्रम कर लें।

शांतिपाठ करके उठ जाएं, अक्षत चिड़िया को डाल दें या किसी भूखे को चावल दान करते समय उन अक्षतों का भी प्रयोग कर लें।

बच्चे के वजन का अनाज किसी गरीब को या गौशाला में दान करवा दें।

निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए बच्चे पर अक्षत पुष्प छिड़कर आशीर्वाद दें:-

*मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।*
*मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।*

🙏🏻यदि चाहें तो अपने अनुभव शेयर जरूर करें, ऑडियो या टेक्स्ट मेसेज भेज सकते हैं। 🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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