प्रश्न - *दी, क्या बड़ो को पलटकर जवाब उनके गलती पर देना चाहिए या मौन रहना चाहिए?*
उत्तर- आत्मीय बेटे,
क्रोध में व्यक्ति स्वयं से ही पराजित हो जाता है, फिर वह दूसरे को कैसे पराजित कर सकेगा? क्रोध में व्यक्ति सही व गलत का निर्णय लेने की मानसिकता में नहीं होता, जो समझने की स्थिति में नहीं उसे कैसे समझा पाओगी? यदि तुम स्वयं क्रोधित हो तो तुम कैसे सही जवाब दे पाओगी? जो स्वयं को जीतेगा,वही दूसरे से भी विजयी होगा।
यदि माता-पिता व घर के बड़े अनुचित व ग़लत कर रहे हैं, तो उन्हें पलटकर जवाब तब कभी न दें जब या तो वो क्रोध में हों या आप क्रोध में हो।
क्रोध में सम्वाद नहीं सम्भव है, क्रोध में केवल विवाद ही किया जा सकता है।
अतः पलटकर जवाब देने की योजना तब तक अनुचित है जब तक आप स्वयं शांत चित्त से विचार क्लियर करने की स्थिति में न हों। कितना और कब बोलना है, और उसके परिणाम को कैसे सम्हालना है यह पता न हो तो मौन रहिये।
हथियार उसी योद्धा को उठाना चाहिए जो युद्ध के परिणाम को झेल सके। शल्य चिकित्सा के लिए औजार उसी डॉक्टर को उठाना चाहिए जो जानता हो कब और कितना गहराई काटकर क्या निकालना है और पुनः उस घाव को सिलना जानता हो।
यदि तुम वाक शक्ति से बड़ो की गलतियों का ऑपरेशन करने जा रही हो तो घाव देने के बाद उसकी सिलाई व मरहम पट्टी के विचार तुम्हारे शब्दकोष में हो तो जरूर बोलो। उन्हें सुधारने और सही राह में लाने के उद्देश्य से बोलो लेकिन कभी उन्हें नीचा दिखाने के लिए मत बोलना। जब भी उन्हें कुछ भी बोलना सम्मान आपकी दृष्टि में होना चाहिए, सुधार हेतु बोलना चाहिए।
प्रकाशित दीपक के नीचे अंधेरा होता है, इससे दीपक की महत्ता कम नहीं हो जाती। माता पिता और घर के बड़ो से तुम्हारे जीवन में प्रकाश है, तुम्हारा पालन पोषण हो रहा है, उनकी कमियां है और वो कुछ अनुचित भी कर रहे हो सकते हैं लेकिन इस लिए उनका अपमान करने का अधिकार बच्चे नहीं रखते। हाँ, माता-पिता, घर के बड़ो को सुधार हेतु उन्हें टोकना जरूर चाहिए, बालक नचिकेता की तरह सही मार्गदर्शन का प्रयास जरूर करना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं हो सकता, लेकिन जितना जीवन मे बेहतर कर सकता है, उसे वह अवश्य करना चाहिए। स्वयं भी बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिए और दूसरों को भी बेहतर बनाने में सहयोग अवश्य करना चाहिए।
🙏🏻आपकी बहन
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
उत्तर- आत्मीय बेटे,
क्रोध में व्यक्ति स्वयं से ही पराजित हो जाता है, फिर वह दूसरे को कैसे पराजित कर सकेगा? क्रोध में व्यक्ति सही व गलत का निर्णय लेने की मानसिकता में नहीं होता, जो समझने की स्थिति में नहीं उसे कैसे समझा पाओगी? यदि तुम स्वयं क्रोधित हो तो तुम कैसे सही जवाब दे पाओगी? जो स्वयं को जीतेगा,वही दूसरे से भी विजयी होगा।
यदि माता-पिता व घर के बड़े अनुचित व ग़लत कर रहे हैं, तो उन्हें पलटकर जवाब तब कभी न दें जब या तो वो क्रोध में हों या आप क्रोध में हो।
क्रोध में सम्वाद नहीं सम्भव है, क्रोध में केवल विवाद ही किया जा सकता है।
अतः पलटकर जवाब देने की योजना तब तक अनुचित है जब तक आप स्वयं शांत चित्त से विचार क्लियर करने की स्थिति में न हों। कितना और कब बोलना है, और उसके परिणाम को कैसे सम्हालना है यह पता न हो तो मौन रहिये।
हथियार उसी योद्धा को उठाना चाहिए जो युद्ध के परिणाम को झेल सके। शल्य चिकित्सा के लिए औजार उसी डॉक्टर को उठाना चाहिए जो जानता हो कब और कितना गहराई काटकर क्या निकालना है और पुनः उस घाव को सिलना जानता हो।
यदि तुम वाक शक्ति से बड़ो की गलतियों का ऑपरेशन करने जा रही हो तो घाव देने के बाद उसकी सिलाई व मरहम पट्टी के विचार तुम्हारे शब्दकोष में हो तो जरूर बोलो। उन्हें सुधारने और सही राह में लाने के उद्देश्य से बोलो लेकिन कभी उन्हें नीचा दिखाने के लिए मत बोलना। जब भी उन्हें कुछ भी बोलना सम्मान आपकी दृष्टि में होना चाहिए, सुधार हेतु बोलना चाहिए।
प्रकाशित दीपक के नीचे अंधेरा होता है, इससे दीपक की महत्ता कम नहीं हो जाती। माता पिता और घर के बड़ो से तुम्हारे जीवन में प्रकाश है, तुम्हारा पालन पोषण हो रहा है, उनकी कमियां है और वो कुछ अनुचित भी कर रहे हो सकते हैं लेकिन इस लिए उनका अपमान करने का अधिकार बच्चे नहीं रखते। हाँ, माता-पिता, घर के बड़ो को सुधार हेतु उन्हें टोकना जरूर चाहिए, बालक नचिकेता की तरह सही मार्गदर्शन का प्रयास जरूर करना चाहिए।
कोई भी व्यक्ति परफेक्ट नहीं हो सकता, लेकिन जितना जीवन मे बेहतर कर सकता है, उसे वह अवश्य करना चाहिए। स्वयं भी बेहतर बनने का प्रयास करना चाहिए और दूसरों को भी बेहतर बनाने में सहयोग अवश्य करना चाहिए।
🙏🏻आपकी बहन
श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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