Sunday, 24 May 2020

प्रश्न - *दी, बेटे का अन्नप्राशन करना है, लाकडाउन में स्वयं घर पर स्वयं बच्चे का अन्नप्राशन दीपयज्ञ से कैसे करें? इस समय कोई किसी के घर आ जा नहीं रहा है।*

प्रश्न - *दी, बेटे का अन्नप्राशन करना है, लाकडाउन में स्वयं घर पर स्वयं बच्चे का अन्नप्राशन दीपयज्ञ से कैसे करें? इस समय कोई किसी के घर आ जा नहीं रहा है।*

उत्तर- आत्मीय भाई,

दीपयज्ञ के माध्यम से बच्चे का अन्नप्राशन आसानी से घर पर कर लीजिए।

चावल और दूध की खीर बनाएं, खीर बनाते समय गायत्री मंत्र जपें और निम्नलिखित मन्त्र बोलें।

*ॐ पयः पृथिव्यां पयऽओषधीषु, पयो दिव्यन्तरिक्षे पयोधाः। पयस्वतीः प्रदिशः सन्तु मह्यम्॥*

लाकडाउन में बड़े यज्ञ सम्भव नहीं है, इसलिए सरल दीपयज्ञ यज्ञ घर मे मौजूद सामग्री से बता रही हूँ। पुस्तक - युगसँस्कार पद्धति और कर्मकांड भाष्कर में अन्नप्राशन सँस्कार के मन्त्र है। यदि यह पुस्तक हो तो इससे करें। यदि पुस्तक नहीं है तो निम्नलिखित सरल विधि से कर लें।

*विधि* - सुबह के वक़्त साधारण नमक को पानी मे डालकर माँ गंगा का ध्यान करते हुए निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए उस जल से बच्चे को नहलाएं। सभी परिजन इन्ही मन्त्र को पढ़ते हुए नहाए।

मन्त्र - *ॐ ह्रीं गंगायै ॐ ह्रीं स्वाहा*

बच्चे सहित समस्त परिवार जन नहाने के बाद ऊर्जा बढाने व शांति के लिए पीले या श्वेत या नीला या आसमानी रँग का कपड़ा पहनें। पूजन के वक्त लाल या काले कलर का वस्त्र न पहनें। गायत्री मंत्र दुपट्टा हो तो उसे जरूर धारण करें। बच्चे को गायत्रीमंत्र का दुप्पटा ऊपर से डाल दें।

भगवान को प्रसाद में घर में बनी खीर ही चढ़ेगी।

घर मे रूम फ्रेशनर हो तो कमरे में छिड़क दें, मोबाइल में बांसुरी या ॐ की मधुर ध्वनि हल्के आवाज में चला लें।

घर मे कम्बल का ऊनि शाल का आसन बिछा लें और उस पर बैठ जाएं,  पवित्रीकरण, गुरु, गायत्री या जो भी इष्ट भगवान हों उनका  आह्वाहन करलें, कलश पूजन कर लें। बच्चे को तिलक करके उसके हाथ में कलावा(मौली) बांध दें। माता-पिता मिलकर पाँच घी के दीपक जलाएँ। दीप पूजन करें। यदि मिट्टी के दीपक नहीं है तो पांच स्टील की कटोरी में दीपक जला लें, या आटे के दीपक बनाकर जला लें।

पँच दीपकों का पूजन अक्षत(चावल) --पुष्प(यदि मिल जाये तो उत्तम है नहीं हो तो भी कोई बात नहीं) से करें।

माता पिता निम्नलिखित मन्त्र दोहरायें, थोड़े थोड़े अक्षत पुष्प सभी पँच दीपकों पर अर्पित कर दें और हाथ जोड़कर बोलें:-

*ॐ श्रेयसां पथे चरिष्यामि*। (बच्चे और स्वयं के जीवन को कल्याणकारी मार्ग पर चलाएंगे)

पांचों दीपकों को एक एक पंचतत्वों का प्रतीक मानते हुए उनसे बच्चे के पँच प्राणों को ऊर्जावान बनाने हेतु प्रार्थना करें।

*ॐ पृथिव्यै नम:* - पृथ्वी माता हमारे बच्चे को उर्वरता व शहनशीलता दें।

*ॐ वरुणाय नमः* - वरुण देवता हमारे बच्चे को शीतलता व सरसता दें।

*ॐ अग्नयै नम:* - अग्नि देवता हमारे बच्चे को तेजस व वर्चस प्रदान करें।

*ॐ वायवे नम:* - वायु देवता हमारे बच्चे को गतिशीलता व जीवनी शक्ति प्रदान करें।

*ॐ आकाशायै नम:* - आकाश देवता हमारे बच्चे को उदात्त व महान बनाएं।

दीपक को देखते हुए 5 मिनट माता पिता प्राणायाम करें।

💫 *पात्र पूजन*

खीर की कटोरी के बाहर वाले हिस्से में रोली या चंदन से स्वस्तिक बनाते हुए निम्नलिखित मन्त्र बोलें।

*ॐ परमार्थ मेव स्वार्थ मनिष्ये* - हम परमार्थ को ही स्वार्थ मानेंगे। यदि शिक्षण बच्चे को देंगे।

*ॐ सुपात्रतां प्रदास्यामि* - अपने शिशु में दैवीय गुणों के विकास हेतु सुपात्रता का विकास करेंगे।

*ॐ स्वस्ति न S इन्द्रो वृद्धश्रवाः। स्वस्ति नः पूषा विश्ववेदाः। स्वस्ति नस्तार्क्ष्यो S अरिष्टनेमिः। स्वस्तिनो बृहस्पतिर्दधातु।।*

💫 *अन्न सँस्कार*

प्रतिनिधि खीर के पात्र को लेकर पहले गायत्री मंत्र बोलकर अभिमंत्रित करें, फिर निम्नलिखित मन्त्र बोलें:-

*ॐ कुसंस्कारा: दूरीभूयासु:* - अन्न को शुद्ध करते हुए इसके पूर्व संस्कारो का निवारण करते हैं।

इसके बाद खीर पर कलश के जल का छिड़काव करते हुए निम्नलिखित मन्त्र बोलें।

*मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।*
*मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।*

प्रतिनिधि पुनः तुलसी की पत्ती खीर में डालते हुए निम्नलिखित मन्त्र बोलें:-

*ॐ सुसंस्कारा: स्थिरिभूयासु:।* - इस खीर में दिव्य सात्विक सुसंस्कारों की स्थापना करते हैं।

🔥अब खीर रख दें व दीपयज्ञ प्रारम्भ करें🔥

 प्रार्थना करे कि हे अग्नि देवता अपनी तरह हमारे शिशु को अखंड पात्रता दीजिये, अक्षय स्नेह दीजिये, हमारे शिशु की निष्ठा ऊर्ध्व मुखी बनाइये।

हमारा शिशु बड़ा होकर परिवार के संरक्षक बनें, समाज का उद्धारक बनें,देश का  रक्षक बनें।

दो कटोरी लें, एक में अक्षत(साबुत चावल) और दूसरी ख़ाली लें।

अब निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए भरी कटोरी से अत्यंत थोड़े अक्षत जैसे यज्ञ में आहुति उठाते हैं वैसे ही मध्यमा, अनामिका और अंगूठे की सहायता से उठाएं और स्वाहा के साथ खाली कटोरी में डालते जाएं।

*24 आहुति गायत्री मंत्र की - शरीर मे अच्छे हार्मोन्स रिलीज़ होते है, मन शांत होता है, बुद्धि बल और आत्मविश्वास बढ़ता है*

*ॐ भूर्भुवः स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो योन: प्रचोदयात।। स्वाहा इदं गायत्र्यै इदं न मम्*

*11 आहुति महामृत्युंजय मंत्र की, इसे करने से आरोग्य लाभ मिलता है*

*ॐ त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्‌। उर्वारुकमिव बन्धनान्मृत्योर्मुक्षीय माऽमृतात्।।इदं महामृत्युंजयाय इदं न मम्*

*5 आहुति चन्द्र गायत्री मन्त्र* से
चन्द्र गायत्री: -  यह मंत्र निराशा से मुक्ति दिलाता है और मानसिकता भी प्रबल होती है ।
मंत्र-

*ॐ क्षीरपुत्राय विद्महे अमृतत्त्वाय धीमहि। तन्नो चन्द्र: प्रचोदयात् ।।इदं चन्द्रायै इदं न मम्।*

*5 आहुति सूर्य गायत्री मन्त्र से:-* इस मंत्र से शरीर के सभी रोगों से मुक्ति मिलती है ।
मंत्र-
*।। ॐ भास्कराय विद्महे दिवाकराय धीमहि । तन्नो सूर्य: प्रचोदयात् ।।इदं सूर्यायै इदं न मम्।*

भजन कीर्तन स्तुति जो करना चाहे कर लें, फिर उगते हुए सूर्य का ध्यान नेत्र बन्द करके करें।

कुछ देर पुनः पांच जलते हुए दीपकों देखें, भावना करे कि यह पांच दीपक पँच तत्वों के प्रतीक हैं, यह हमारे शिशु के पँच प्राणों को चार्ज कर रहे हैं।

पुनः दीपक को देखते हुए 5 मिनट प्राणायाम करें।

आरती व भजन कीर्तन का क्रम कर लें।

💫 *अन्नप्राशन* - प्रतिनिधि भगवान सूर्य, माता गायत्री व गुरु का मन ही मन ध्यान करते हुए, सविता के तेज को खीर में अनुभव करते हुए, गायत्री मंत्र बोलते हुए बच्चे को तीन बार खीर चम्मच से चटाये (खीर चांदी या स्टील की चम्मच से ही चटाये)

💫 *सङ्कल्प व पूर्णाहुति* - बच्चे के उज्ज्वल भविष्य के लिए गुरु अनुसाशन में जीवन जीने का सङ्कल्प लें और एक अच्छी आदत अपनाए और एक बुरी आदत का त्याग करें।

हाथ मे सभी अक्षत पुष्प लेकर मन में उभरे शुभ सङ्कल्प दोहराएं और भगवान के समक्ष अक्षत पुष्प अर्पित कर दें।

शांतिपाठ करके उठ जाएं, अक्षत चिड़िया को डाल दें या किसी भूखे को चावल दान करते समय उन अक्षतों का भी प्रयोग कर लें।

बच्चे के वजन का अनाज किसी गरीब को या गौशाला में दान करवा दें।

Online donation - गायत्री तीर्थ शान्तिकुंज में कर दें।

https://www.awgp.org/contribute/online_donation

PayTm या गूगल पे से भी डोनेशन कर सकते हैं।

निम्नलिखित मन्त्र पढ़ते हुए बच्चे पर  पुष्प छिड़कर सभी बड़े आशीर्वाद दें:-

*मंगलम भगवान विष्णु, मंगलम गरुड़ ध्वज।*
*मंगलम पुण्डरीकाक्ष, मंगलाय तनो हरि।*

बच्चे का नाम लेकर उसे यशश्वी, दीर्घायु और चिरंजीवी होने का आशीर्वाद दें।

🙏🏻यदि चाहें तो अपने अनुभव शेयर जरूर करें, ऑडियो या टेक्स्ट मेसेज भेज सकते हैं। 🙏🏻

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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