Friday, 15 May 2020

प्रश्न - *गायत्री का अनुष्ठान करते समय माला का उपयोग करना अनिवार्य है या हम समय सीमा के अनुसार जाप कर सकते हैं, माला-जप-के-लाभ बताएं, कृपया बताएं धन्यवाद*

प्रश्न -  *गायत्री का अनुष्ठान करते समय माला का उपयोग करना अनिवार्य है या हम समय सीमा के अनुसार जाप कर सकते हैं कृपया बताएं धन्यवाद*

उत्तर- आत्मीय भाई,

मन को संकल्पों से बांधकर, एक निश्चित विधिव्यवस्था अपनाकर, एक निश्चित समय सीमा तयकर, एक निश्चित संख्या में जप करके, एक निश्चित ऊर्जा का उत्पादन अनुष्ठान द्वारा किया जाता है।

इस उद्देश्य पूर्ति में हमें अपने हाथ की अनामिका उंगली की सहायता भी चाहिए होती है जो शरीर में हृदय तक और हृदय से ब्रहमांड तक का ऊर्जा चैनल बनाने व सम्बन्धित ऊर्जा को ब्रह्माण्ड से आकर्षित करने हेतु चाहिए होता है। वर वधु एक दूसरे के हृदय स्पर्श के लिए इसी अंगुली में अंगूठी पहनाते हैं।  भक्त भी भगवान के हृदय स्पर्श व उनकी अनुभूति के ब्रह्स्पंदन हेतु इसी उंगली का प्रयोग करता है।

जो ब्रह्मांड में है, वही आपके पिंड में है, इस मानव तंत्र में है। एक तरह से अनामिका उंगली इस मानव तंत्र को कई संभावनाओं के लिए खोल सकती है।  इसलिए ऋषि माला जप के दौरान इस खास अनामिका उंगली का इस्तेमाल करते थे। अनामिका उंगली पर धातु पहनने का एक और पहलू यह था कि इससे शरीर का सिस्टम स्थिर होता है। तुलसी, रुद्राक्ष, स्फटिक इत्यादि धातु के स्पर्श व घर्षण से मानव तंत्र को स्थिरता प्रदान करने का   उपक्रम है। इसके कई और आयाम और लाभ भी हैं मगर सामान्य तौर पर देखें तो यह अनामिका उंगली एक ऐसा रिमोट है जो आपके शरीर के कई ऊर्जा आयामों को खोलता है।
इस मानव तंत्र को खोले बिना आप किसी ब्रह्मांड तक नहीं पहुंच सकते। अनामिका उंगली रूपी रिमोट का संबंध वास्तव में  शरीर के हृदय से, इंसानी तंत्र से है। अगर आप इसे खोलते हैं, फिर वहां ब्रह्मांड होता है। ब्रह्मांड हमेशा से ही भीतर मौजूद रहा है। बस उसे खोला नहीं जा सका तो मनुष्य अधूरा रहता है।

पवित्र तुलसी या रुद्राक्ष का अनवरत स्पर्श व घर्षण से तुलसी और रुद्राक्ष की सूक्ष्म ऊर्जा अनामिका उंगली के माध्यम से हृदय तक पहुंचता है और मन्त्र जप के दौरान मुंह के अग्नि चक्र का एक्टिवेशन, मन्त्र के शब्दों के घर्षण से उतपन्न ऊर्जा का नस नाड़ियो में स्पंदन एक विशेष ऊर्जा  का एक प्रायोगिक उत्पादन व सम्प्रेषण है।  सम्बन्धित ऊर्जा को आकर्षित करने के लिए चुम्बकत्व का निर्माण है।

अतः पूर्ण लाभ चाहिए तो अनुष्ठान के वक्त तुलसी माला से गायत्री जप अवश्य करें।

जो किन्ही कारण से माला जप नहीं कर सकते वह घड़ी देखकर जप कर सकते हैं।

🙏🏻माला जप के दौरान कम्बल या ऊनि वस्त्र या कुश का आसन प्रयोग करें। इष्ट देवता के समक्ष घी का जलता दीपक समक्ष हो। एक लोटे में जल भरा अवश्य होना चाहिए। कमर सीधी जितनी देर रख सकें उतना है। 🙏🏻


🙏🏻श्वेता, DIYA

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