Tuesday, 26 May 2020

प्रश्न - *दी, आप नित्य साधना में क्या क्या करती हैं?*

प्रश्न - *दी, आप नित्य साधना में क्या क्या करती हैं?*

उत्तर - आत्मीय बहन

*नित्य गायत्री जप विधि जो हम करते हैं, वह क्रम इस प्रकार है।*

1-  षट्कर्म (पवित्रीकरण से न्यास तक, कर्मकाण्ड भाष्कर)
2- देव आह्वाहन गुरुदेव और माँ गायत्री और पूजन,कलश में जल और दो दाना मिश्री डालकर, गाय के घी का दीपक
3- गायत्री जप से पहले विनियोग, हृदय न्यास इत्यादि गुरुगीता वाला जो निम्नलिखित है:-

🙏🏻 *गायत्री जप विनियोग*
(निम्नलिखित मन्त्र पढ़कर हाथ में या चम्मच में जल लेकर एक दूसरी कटोरी में अर्पित कर/डाल  दें।

    *ॐ कारस्य परब्रह्म ऋषिर्दैवी गायत्री छन्दः परमात्मा देवता, तिसृणां महाव्याहृतीनां प्रजापतिऋर्षिर्गायत्र्युष्णिगनुष्टुभश्छन्दांस्यग्निवायुसूर्या देवताः तत्सवितुरिति विश्वामित्रऋषिर्गायत्री छन्दः सविता देवता जपे विनियोगः।*

*न्यास-करन्यास*
🙏🏻
*ॐ अंगुष्ठाभ्यां नमः।*
(दोनों हाथों की तर्जनी अँगुलियों से दोनों अँगूठों का स्पर्श)।
*ॐ भूः तर्जनीभ्यां नमः।*
(दोनों हाथों के अँगूठों से दोनों तर्जनी अँगुलियों का स्पर्श)।
*ॐ भुवः मध्यमाभ्यां नमः।*
(अँगूठों से मध्यमा अँगुलियों का स्पर्श)।
*ॐ स्वः अनामिकाभ्यां नमः।*
(अनामिका अँगुलियों का स्पर्श)।
*ॐ भूर्भुवः कनिष्ठिकाभ्यां नमः।*
(कनिष्ठिका अँगुलियों का स्पर्श)।
*ॐ भूर्भुवः स्वः करतलकरपृष्ठाभ्यां नमः।*
(हथेलियों और उनके पृष्ठभागों का परस्पर स्पर्श)।

*हृदयादिन्यास*
🙏🏻
    इसमें दाहिने हाथ की पाँचों अँगुलियों से ‘हृदय’ आदि अंगों का स्पर्श किया जाता है।
*ॐ हृदयाय नमः।* (दाहिने हाथ की पाँचों अंगुलियों से हृदय का स्पर्श)।
*ॐ भूः शिरसे स्वाहा।* (सिर का स्पर्श)।
*ॐ भुवः शिखायै वषट्।* (शिखा का स्पर्श)।
*ॐ स्वः कवचाय हुम्।* (दाहिने हाथ की अँगुलियों से बायें कंधे का और बायें हाथ की अँगुलियों से दाहिने कंधे का एक साथ स्पर्श)।
*ॐ भूर्भुवः नेत्राभ्यां वौषट्।* (दाहिने हाथ की अँगुलियों के अग्रभाग से दोनों नेत्रों और ललाट के मध्यभाग का स्पर्श)।
*ॐ भूर्भुवः स्वः अस्त्राय फट्।* (यह वाक्य पढ़कर दाहिने हाथ को सिर के ऊपर से बायीं ओर से पीछे की ओर ले जाकर दाहिनी ओर से आगे की ओर ले आयें और तर्जनी तथा मध्यमा अँगुलियों से बायें हाथ की हथेली पर ताली बजायें)।

*हाथ जोड़कर और गहरी श्वांस लेकर माँ का ध्यान मन्त्र द्वारा पुनः*

    ॐ आयातु वरदे देवि! त्र्यक्षरे ब्रह्मवादिनि।
    गायत्रिच्छन्दसां मातः ब्रह्मयोने नमोऽस्तु ते॥--

*एक माला गुरु मन्त्र*

*ॐ ऐं श्रीराम आन्दनाथाय गुरुवे नमः ॐ*

*फिर 5 माला गायत्री मंत्र जप उगते हुए सूर्य में गुरुदेव का ध्यान*
    ॐ भूर्भुवः स्वः तत्सवितुर्वरेण्यं भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात्।

नित्य सूक्ष्म यज्ञ (गोमयकुण्ड) में 24 गायत्री मंत्र आहुति और 5 महामृत्युंजय मंत्र आहुति, 1 रुद्र, 1 सूर्य और 1 चन्द्र मन्त्र आहुति।

इसके बाद आरती, प्रत्येक रविवार को दैनिक यज्ञ, और यदि समय मिला तो सप्ताह में भी बड़ा यज्ञ करती हूँ।

शांतिपाठ और क्षमा प्रार्थना, विसर्जन

फिर कलश का जल सूर्य मन्त्र बोलते हुए तुलसी के गमले में डालती हूँ। थोड़ा सा जल बचा के माथे में लगाने के बाद जितने भी पानी वाली बॉटल घर में है सबमें मिला देती हूँ, साथ में दूध में भी डाल देती हूँ।

शाम को 6 बजे नाद योग और 24 मन्त्र गुरुदेव की आवाज में। इसके बाद ओफ़ीस की नाईट ड्यूटी। घर से ही काम अधिकतर करती हूँ, जब ऑफिस जाती हूँ तो उस दिन नाद योग सोते वक़्त करती हूँ। केवल दो व्रत - मंगलवार और गुरुवार करती हूँ। केवल गुरुवार व्रत के दिन गुरुगीता का पाठ करती हूँ। यूट्यूब पर जब भी वक़्त मिलता है श्रद्धेय डॉक्टर साहब के गीता और ध्यान वाले वीडियो सुनती हूँ और उनके साथ ही ध्यान करती हूँ। ये नित्य नहीं हो पाता।

स्वाध्याय दिन रात चलता है, जब भी वक़्त मिलता है, या तो मन ही मन गायत्री मन्त्र जपति हूँ या युगसाहित्य पढ़ती हूँ। जब आप की तरह कोई भाई बहन प्रश्न पूंछते है तो जिज्ञासा का समाधान पोस्ट करती हूँ। मेरे ब्लॉग awgpggn blogspot और फेसबुक में आपको समस्त नई पुरानी पोस्ट मिल जायेगी।

🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाईन इंडिया यूथ एसोसिएशन

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