प्रश्न - *ऑफिस में वर्कलोड ज्यादा है? क्या करें?*
उत्तर - सन्त ने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए शिष्यों को एक गाँव ले गए। एक ही उम्र व वज़न के दो बालक की माताओं को अलग अलग बुलवाया और कहा कि एक दूसरे का बच्चा एक दिन के लिए सम्हालना है। शाम को जब रिपोर्ट ली गयी तो शिकायतों का ढेर लगा था, बच्चे के अधिक वज़न का होना बताया गया। स्त्रियां थक गईं।
कुछ दिन बाद सन्त ने कहा - सन्तान की लंबी उम्र के लिए एक साधना है - निर्जल (बिना भोजन व पानी के रहना है) और अपना बच्चा गोद मे लिये रहना है, सूर्यास्त के बाद जल व भोजन ग्रहण करना है। यदि गृह कार्य भी करना हो तो बच्चा पीठ पर बांध लेना, लेकिन हो सके तो अधिक से अधिक समय गोद मे रखकर ही साधना करें। शाम को जब रिपोर्ट ली गयी तो स्त्रियां भूखी प्यासी होने पर भी प्रफुल्लित थीं, व वज़नी बच्चे को भी गोद मे उठाये रहीं व न थकी। कोई शिकायत नहीं थी।
तब सन्त ने शिष्यों से कहा - इंसान कार्य की अधिकता से नहीं वरन उसे बोझ समझकर करने से थक जाता है। जब कार्य में अपनापन हो तो कार्य हल्का लगता है, जब कार्य मे पराया पन हो तो मनुष्य थकता है।
जिस कार्य में रुचि हो वह घण्टों करो तब भी न उबोगे न थकोगे, लेकिन जिस कार्य में रुचि न हो तो उस कार्य मे जल्दी उबोगे और जल्दी थकोगे।
जो कार्य आता हो, उसमें कुशलता-दक्षता हो तो वह कार्य करने में व्यक्ति नहीं परेशान होता, मग़र जो कार्य नहीं आता उसमें व्यक्ति परेशान होता है।
अतः यह कहना कि *ऑफिस में वर्कलोड ज़्यादा है* - वाक्य गलत है।
सही वाक्य यह है - *ऑफिस में जो कार्य मैं कर रहा हूँ, उसमें मेरी दक्षता-कुशलता नहीं हैं या यह कार्य मुझे करना पसंद नहीं है, या इस कार्य व कम्पनी को मैं अपना नहीं समझता।*
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर - सन्त ने इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए शिष्यों को एक गाँव ले गए। एक ही उम्र व वज़न के दो बालक की माताओं को अलग अलग बुलवाया और कहा कि एक दूसरे का बच्चा एक दिन के लिए सम्हालना है। शाम को जब रिपोर्ट ली गयी तो शिकायतों का ढेर लगा था, बच्चे के अधिक वज़न का होना बताया गया। स्त्रियां थक गईं।
कुछ दिन बाद सन्त ने कहा - सन्तान की लंबी उम्र के लिए एक साधना है - निर्जल (बिना भोजन व पानी के रहना है) और अपना बच्चा गोद मे लिये रहना है, सूर्यास्त के बाद जल व भोजन ग्रहण करना है। यदि गृह कार्य भी करना हो तो बच्चा पीठ पर बांध लेना, लेकिन हो सके तो अधिक से अधिक समय गोद मे रखकर ही साधना करें। शाम को जब रिपोर्ट ली गयी तो स्त्रियां भूखी प्यासी होने पर भी प्रफुल्लित थीं, व वज़नी बच्चे को भी गोद मे उठाये रहीं व न थकी। कोई शिकायत नहीं थी।
तब सन्त ने शिष्यों से कहा - इंसान कार्य की अधिकता से नहीं वरन उसे बोझ समझकर करने से थक जाता है। जब कार्य में अपनापन हो तो कार्य हल्का लगता है, जब कार्य मे पराया पन हो तो मनुष्य थकता है।
जिस कार्य में रुचि हो वह घण्टों करो तब भी न उबोगे न थकोगे, लेकिन जिस कार्य में रुचि न हो तो उस कार्य मे जल्दी उबोगे और जल्दी थकोगे।
जो कार्य आता हो, उसमें कुशलता-दक्षता हो तो वह कार्य करने में व्यक्ति नहीं परेशान होता, मग़र जो कार्य नहीं आता उसमें व्यक्ति परेशान होता है।
अतः यह कहना कि *ऑफिस में वर्कलोड ज़्यादा है* - वाक्य गलत है।
सही वाक्य यह है - *ऑफिस में जो कार्य मैं कर रहा हूँ, उसमें मेरी दक्षता-कुशलता नहीं हैं या यह कार्य मुझे करना पसंद नहीं है, या इस कार्य व कम्पनी को मैं अपना नहीं समझता।*
🙏🏻श्वेता, DIYA
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