Wednesday 10 June 2020

मैं लाखों वर्षो से यात्रा पर हूँ

मैं लाखों वर्षो से यात्रा पर हूँ, न जाने कितने शरीर वस्त्रों पर की तरह बदले, न जाने कितनी बार चिता में पुराने शरीर को जलते देखा, गर्भ में नए शरीर के निर्माण को देखा, स्वयं न जाने कितने जन्मों में कितनी आत्माओं को जन्म दिया, पिछले जन्मों में न जाने कौन कौन स्वजन था, क्या क्या पाप किया क्या क्या पुण्य किया कुछ पता नहीं है। प्रत्येक जन्म में कितने पल किस शरीर में होश में थी पता नहीं, मग़र मेरे इस जन्म के शरीर में बचे हुए वर्षो में प्रत्येक पल होश पूर्वक रहना चाहती हूँ। चैतन्य जागृत रहना चाहती हूँ। इस जीवन यात्रा को और अधिक महत्त्वपूर्ण बनाना चाहती हूँ - मैं हूँ कौन? कहाँ से आई हूँ? कहाँ जाऊंगी? दृश्य के परे अदृश्य जगत को समझना चाहती हूँ.... सफलता व असफ़लता के चक्कर मे नहीं पड़ना चाहती....बस अनवरत इस दिशा में प्रयत्नशील रहना चाहती हूँ...

श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन

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