Thursday, 18 June 2020

सही तुलसीदास रचित दोहा - *ढोर गंवार 'क्षुद्र' पशु 'रारी', सकल 'ताड़न' के अधिकारी।*

*क्षुद्र* - बिल्कुल निम्न या निकृष्ट कोटि का कंजूसी करनेवाला व्यक्ति, व्यक्ति जो निम्न श्रेणी अथवा निम्न या हीन विचारों का हो।

*रारी* - स्वार्थ में स्वभावतः लड़ाई झगड़ा व कलह करने वाला व्यक्ति।

तुलसीदास जी ने कभी भी *शूद्र* या *नारी* का अपमान नहीं किया। उनसे जलने वाले इर्ष्यालु लोगों ने जैसे थ्री इडियट फ़िल्म में *चतुर की स्पीच में* आमिर के किरदार रणछोड़ दास चांचड़ ने *'चमत्कार' शब्द को 'बलात्कार'*  से बदल दिया था। ऐसे ही उनके दुश्मनों ने *क्षुद्र* शब्द को *शूद्र* और *रारी* शब्द को *नारी* से बदल दिया। जिससे उनके साहित्य का विरोध हो सके।

सही तुलसीदास रचित दोहा - *ढोर गंवार 'क्षुद्र' पशु 'रारी', सकल 'ताड़न' के अधिकारी।*

ताड़न - का अर्थ है नज़र रखो नहीं तो गलती कर बैठेंगे। तुम्हें इन्हें सम्हालना होगा। सङ्गीत ढोलक से निकालने के लिए मात्र पीटा नहीं जाता उसे नजर रखते हुए थाप दी जाती है। कलही व्यक्ति घर परिवार में हो तो मात्र पीटने से नहीं सुधरता उस पर नज़र रखते हुए उससे बचने की जरूरत होती है। पशु की नजर रखते हुए देखभाल करनी होती है तब वह दूध इत्यादि देते हैं, खेती बाड़ी में काम आते हैं। गंवार व्यक्ति को नजर रखते हुए जबरन पढ़ाना पड़ता है, ताकि उसमे आवश्यक सुधार हो।

 इर्ष्यालु लोगों ने बदलकर कर दिया -  *ढोर गंवार 'शूद्र' पशु 'नारी', सकल 'ताड़ना' के अधिकारी।*

ताड़ना - का अर्थ निकाला प्रताड़ना(यानि पीटना) है पिटोगे तभी सुधरेंगे। तुम्हें इन्हें सुधारना होगा।

इर्ष्यालु लोगों ने तुलसीदास जी के समस्त साहित्य में ऐसे शब्द बदल दिए हैं, जिससे स्त्रियां उनकी विरोधी बन जाये।

माता सीता व माता पार्वती स्त्री हैं, व स्त्रियों को पूजनीय बताने वाले भक्त तुलसीदास किसी भी स्त्री समाज या किसी जाति के लिए अपमानजनक कुछ भी लिख नहीं सकते।


🙏🏻श्वेता, DIYA

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