*आत्महत्या की भावना*
आत्मीय मित्र,
तुम्हारे भीतर उठती,
आत्महत्या की भावना,
यह दर्शाती है,
तुम्हें जीना ही नहीं आया,
चुनौतियों को स्वीकारना ही नहीं आया,
जीवन है एक संघर्ष,
यह किसी ने तुम्हें नहीं बताया,
बहादुरी से जीवन संघर्ष तुम्हेँ लड़ना नहीं आया।
आत्मीय मित्र,
सुख व दुःख तो,
समुद्र की लहरों की तरह है,
इनका आना व जाना तो लगा रहता है,
सफ़लता व असफ़लता का,
सामयिक आगमन-प्रस्थान तो लगा रहता है।
आत्मीय मित्र,
दुःख व असफ़लता से नहीं घबराना,
सैनिक की तरह अपना मनोबल,
सदा बनाये रखना,
अदम्य साहस परिचय देते रहना
इनसे कभी हारकर आत्महत्या की मत सोचना।
आत्मीय मित्र,
जीवन के खेल में,
केवल सद्गुरु, माता-पिता व सच्चे मित्र,
तुम्हारी टीम में होंगे,
बाकी पूरी दुनियाँ के लोग तो,
तुम्हारे विरुद्ध ही खेलेंगे,
उनकी प्रत्येक चाल तो,
तुम्हें हतोत्साहित करने के लिए ही होगी,
उनकी फेंकी प्रत्येक बॉल तो,
तुम्हें जीवन से आउट करने लिए ही होगी।
आत्मीय मित्र,
इस जीवन खेल से क्या घबराना?
खिलाड़ी की तरह मनोबल बनाये रखना,
अदम्य साहस खेलते जाना,
प्रत्येक बॉल पर नज़र रखना,
कभी बॉल को छोड़ देना,
तो कभी रन बनाते रहना,
कभी चौके तो कभी छक्के भी लगा लेना,
बैटिंग करना मन से कभी मत छोड़ना,
विरोधी टीम से कभी हार मत मानना,
आत्महत्या का विचार मन में मत लाना।
आत्मीय मित्र,
भगवान उसी की मदद करता है,
जो अपनी मदद स्वयं करता है,
खुद पर व भगवान पर,
जो भरोसा हमेशा भरोसा बनाये रखता है,
नित्य जप-ध्यान-स्वाध्याय से,
जो मन को कुशल बनाता रहता है,
प्रत्येक परिस्थिति से लड़ने को,
अपनी मन:स्थिति तैयार करता रहता है।
आत्मीय मित्र,
कभी आत्महत्या की भावना,
मन में नहीं लाना,
इस जीवन संघर्ष में,
कभी हार मत मानना,
वीर भोग्या वसुंधरा है,
यह कभी मत भूलना,
मन को बहादुर बनाने के लिए,
नित्य ध्यान व स्वाध्याय करके ही सोना,
महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़ते रहना,
उनके जीवन से प्रेरणा सदा लेते रहना।
आत्मीय मित्र,
मन में उठती भावनाओं का,
देखो, यह शरीर ग़ुलाम है,
बस मन की भावनाओं को,
अच्छे से सम्हालना सीख लेना,
प्रत्येक जीवन की जंग में,
बेहतर प्रदर्शन करना,
कभी हार नहीं मानना,
प्रत्येक जीवन की जंग को,
बहादुरी से लड़ना,
प्रत्येक जंग से पूर्व श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ना,
स्वयं को अर्जुन की तरह समझना,
ईश्वर को बुद्धि का सारथी बना लेना,
जीवन के संघर्ष को सतत बहादुरी से लड़ते रहना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती,
डिवाइन इण्डिया यूथ असोसिएशन
यदि कभी बहुत डिप्रेशन हो, क्या करें कुछ समझ न आये, मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो मुझे निम्नलिखित नम्बर पर व्हाट्सएप (9810893335) कर सकते हो। समस्या पोस्ट करके, व्हाट्सएप पर पूर्व अपॉइंटमेंट लेकर सुबह 10 से 12 के बीच निःशुल्क आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक समाधान प्राप्त कर सकते हो। गुरूकृपा व ईश्वर के आशीर्वाद से आपका टूटा मनोबल पुनः सुदृढ मनोबल व आत्मविश्वास में परिवर्तित हो, आपको शक्ति सामर्थ्य मिले यही प्रार्थना है।
आत्मीय मित्र,
तुम्हारे भीतर उठती,
आत्महत्या की भावना,
यह दर्शाती है,
तुम्हें जीना ही नहीं आया,
चुनौतियों को स्वीकारना ही नहीं आया,
जीवन है एक संघर्ष,
यह किसी ने तुम्हें नहीं बताया,
बहादुरी से जीवन संघर्ष तुम्हेँ लड़ना नहीं आया।
आत्मीय मित्र,
सुख व दुःख तो,
समुद्र की लहरों की तरह है,
इनका आना व जाना तो लगा रहता है,
सफ़लता व असफ़लता का,
सामयिक आगमन-प्रस्थान तो लगा रहता है।
आत्मीय मित्र,
दुःख व असफ़लता से नहीं घबराना,
सैनिक की तरह अपना मनोबल,
सदा बनाये रखना,
अदम्य साहस परिचय देते रहना
इनसे कभी हारकर आत्महत्या की मत सोचना।
आत्मीय मित्र,
जीवन के खेल में,
केवल सद्गुरु, माता-पिता व सच्चे मित्र,
तुम्हारी टीम में होंगे,
बाकी पूरी दुनियाँ के लोग तो,
तुम्हारे विरुद्ध ही खेलेंगे,
उनकी प्रत्येक चाल तो,
तुम्हें हतोत्साहित करने के लिए ही होगी,
उनकी फेंकी प्रत्येक बॉल तो,
तुम्हें जीवन से आउट करने लिए ही होगी।
आत्मीय मित्र,
इस जीवन खेल से क्या घबराना?
खिलाड़ी की तरह मनोबल बनाये रखना,
अदम्य साहस खेलते जाना,
प्रत्येक बॉल पर नज़र रखना,
कभी बॉल को छोड़ देना,
तो कभी रन बनाते रहना,
कभी चौके तो कभी छक्के भी लगा लेना,
बैटिंग करना मन से कभी मत छोड़ना,
विरोधी टीम से कभी हार मत मानना,
आत्महत्या का विचार मन में मत लाना।
आत्मीय मित्र,
भगवान उसी की मदद करता है,
जो अपनी मदद स्वयं करता है,
खुद पर व भगवान पर,
जो भरोसा हमेशा भरोसा बनाये रखता है,
नित्य जप-ध्यान-स्वाध्याय से,
जो मन को कुशल बनाता रहता है,
प्रत्येक परिस्थिति से लड़ने को,
अपनी मन:स्थिति तैयार करता रहता है।
आत्मीय मित्र,
कभी आत्महत्या की भावना,
मन में नहीं लाना,
इस जीवन संघर्ष में,
कभी हार मत मानना,
वीर भोग्या वसुंधरा है,
यह कभी मत भूलना,
मन को बहादुर बनाने के लिए,
नित्य ध्यान व स्वाध्याय करके ही सोना,
महापुरुषों की जीवनियाँ पढ़ते रहना,
उनके जीवन से प्रेरणा सदा लेते रहना।
आत्मीय मित्र,
मन में उठती भावनाओं का,
देखो, यह शरीर ग़ुलाम है,
बस मन की भावनाओं को,
अच्छे से सम्हालना सीख लेना,
प्रत्येक जीवन की जंग में,
बेहतर प्रदर्शन करना,
कभी हार नहीं मानना,
प्रत्येक जीवन की जंग को,
बहादुरी से लड़ना,
प्रत्येक जंग से पूर्व श्रीमद्भगवद्गीता पढ़ना,
स्वयं को अर्जुन की तरह समझना,
ईश्वर को बुद्धि का सारथी बना लेना,
जीवन के संघर्ष को सतत बहादुरी से लड़ते रहना।
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती,
डिवाइन इण्डिया यूथ असोसिएशन
यदि कभी बहुत डिप्रेशन हो, क्या करें कुछ समझ न आये, मार्गदर्शन की आवश्यकता हो तो मुझे निम्नलिखित नम्बर पर व्हाट्सएप (9810893335) कर सकते हो। समस्या पोस्ट करके, व्हाट्सएप पर पूर्व अपॉइंटमेंट लेकर सुबह 10 से 12 के बीच निःशुल्क आध्यात्मिक व मनोवैज्ञानिक समाधान प्राप्त कर सकते हो। गुरूकृपा व ईश्वर के आशीर्वाद से आपका टूटा मनोबल पुनः सुदृढ मनोबल व आत्मविश्वास में परिवर्तित हो, आपको शक्ति सामर्थ्य मिले यही प्रार्थना है।
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