*हम किस प्रकार के शिक्षक हैं, स्वयं जाँचने की चेक लिस्ट व प्रश्नोत्तर*
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सर्वप्रथम यदि आपने शिक्षक बनने का निर्णय स्वेच्छा से किया है, तो आपने ईश्वर की सेवा व राष्ट्र सेवा को चुना है। आप भगवान की बनाई सृष्टि के माली है, नन्हे नन्हे बच्चे भगवान की बगिया के पौधें है। राष्ट्र चरित्र गढ़कर देशभक्त नागरिक बना सकते हैं। देश के उत्थान में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह पूर्वजन्म के पुण्य का फल है कि आप को ईश्वर सेवा व राष्ट्र सेवा का सुअवसर एक साथ मिला है।
*आकृति से सभी मनुष्य है, किन्तु प्रकृति से मनुष्य के निम्नलिखित भेद है:-*
• मानव पिशाच (दानव)
• मानव पशु (मानवपशु)
• मनुष्य (मानव)
• महापुरुष (महामानव)
• देवता (देवमानव)
*शिक्षक स्वयं से निम्नलिखित प्रश्न पूँछकर स्वयं की प्रकृति पहचान सकते हैं*
१- क्या भक्षक बनकर धोखाधड़ी पसंद है? दूसरों बच्चो को नुकसान देकर अपना भला करना पसंद है? सैलरी लेकर कर्तव्यों की उपेक्षा करना पसंद है? – यदि इस प्रश्न का उत्तर हां में है – *तो मानव पिशाच है*
२- क्या खाओ पियो ऐश करो, कमाने के लिए कुछ तो जॉब करनी थी, पापी पेट का सवाल था तो शिक्षक बन गये, पशु की तरह डयूटी बजाओ और घर आकर खा पीकर सो जाओ? -- यदि इस प्रश्न का उत्तर हाँ है तो --- *मानव पशु हैं*
३- क्या हम ईमानदारी से अपने विषय पढ़ा रहे हैं, कोर्स समय से पूरा कर रहे हैं, जिस चीज़ की सैलरी ले रहे हैं उसे कर रहे है? स्वयं को विषय का शिक्षक समझ रहें है? – यदि इसका उत्तर हाँ है --- *तो मनुष्य (इन्सान) हैं*
४- क्या हम जानते हैं शिक्षा वह जो मानव के व्यक्तित्व और चरित्र को गढ़े? शिक्षा का सदुपयोग करना सिखाये? कष्ट सहकर भी मानव धर्म और सन्मार्ग पर चलाये? स्वयं की उन्नति के साथ साथ समाज की उन्नति में जो भागीदारी कर सके ऐसे नागरिकों को गढने की टकसाल विद्यालय है? क्या मै नित्य अपनी ४५ मिनट की क्लास में ५ मिनट नैतिक शिक्षा के सूत्र और ४० मिनट विषय पढ़ाता हूँ? क्या मै स्वयं को बच्चो के भविष्य के लिए उत्तरदायी मानता हूँ? मै मात्र सब्जेक्ट टीचर नहीं हूँ मै बच्चो का शिक्षक हूँ? सब्जेक्ट पढ़ाने के लिए शिक्षक की भूमिका में हूँ और इन्सान गढ़ने में गुरु की भूमिका में हूँ? --- यदि इसका उत्तर हाँ में है --- *तो महापुरुष हैं*
५- क्या मैं मानता हूँ कि शिक्षण शब्दों से नहीं बल्कि आचरण से दिया जाता है? क्या मैं स्वयं को साधने के लिए नित्य उपासना, साधना, आराधना करता हूँ? क्या मै मानता हूँ सूर्य बनकर चमकने के लिए मुझे तपना होगा? गुरु की जिम्मेदारी उठाने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी और कष्ट उठाना होगा? मै अपने विद्यार्थियों में देवत्व जगाऊंगा? उन्हें अच्छा इन्सान बनाऊंगा? उनका चरित्र व् व्यक्तित्व ऐसा गढ़ूंगा कि वह डॉक्टर, इंजीनियर, वकील व् व्यापारी जो भी बने नेक राह पर चले और उनमे सेवा भाव हो, पीड़ित मानवता का उद्धार कर सकें? मै पूरी कोशिश करूंगा? – यदि इसका उत्तर हाँ है तो --- *आप देवता है देव मानव है|*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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सर्वप्रथम यदि आपने शिक्षक बनने का निर्णय स्वेच्छा से किया है, तो आपने ईश्वर की सेवा व राष्ट्र सेवा को चुना है। आप भगवान की बनाई सृष्टि के माली है, नन्हे नन्हे बच्चे भगवान की बगिया के पौधें है। राष्ट्र चरित्र गढ़कर देशभक्त नागरिक बना सकते हैं। देश के उत्थान में अहम भूमिका निभा सकते हैं। यह पूर्वजन्म के पुण्य का फल है कि आप को ईश्वर सेवा व राष्ट्र सेवा का सुअवसर एक साथ मिला है।
*आकृति से सभी मनुष्य है, किन्तु प्रकृति से मनुष्य के निम्नलिखित भेद है:-*
• मानव पिशाच (दानव)
• मानव पशु (मानवपशु)
• मनुष्य (मानव)
• महापुरुष (महामानव)
• देवता (देवमानव)
*शिक्षक स्वयं से निम्नलिखित प्रश्न पूँछकर स्वयं की प्रकृति पहचान सकते हैं*
१- क्या भक्षक बनकर धोखाधड़ी पसंद है? दूसरों बच्चो को नुकसान देकर अपना भला करना पसंद है? सैलरी लेकर कर्तव्यों की उपेक्षा करना पसंद है? – यदि इस प्रश्न का उत्तर हां में है – *तो मानव पिशाच है*
२- क्या खाओ पियो ऐश करो, कमाने के लिए कुछ तो जॉब करनी थी, पापी पेट का सवाल था तो शिक्षक बन गये, पशु की तरह डयूटी बजाओ और घर आकर खा पीकर सो जाओ? -- यदि इस प्रश्न का उत्तर हाँ है तो --- *मानव पशु हैं*
३- क्या हम ईमानदारी से अपने विषय पढ़ा रहे हैं, कोर्स समय से पूरा कर रहे हैं, जिस चीज़ की सैलरी ले रहे हैं उसे कर रहे है? स्वयं को विषय का शिक्षक समझ रहें है? – यदि इसका उत्तर हाँ है --- *तो मनुष्य (इन्सान) हैं*
४- क्या हम जानते हैं शिक्षा वह जो मानव के व्यक्तित्व और चरित्र को गढ़े? शिक्षा का सदुपयोग करना सिखाये? कष्ट सहकर भी मानव धर्म और सन्मार्ग पर चलाये? स्वयं की उन्नति के साथ साथ समाज की उन्नति में जो भागीदारी कर सके ऐसे नागरिकों को गढने की टकसाल विद्यालय है? क्या मै नित्य अपनी ४५ मिनट की क्लास में ५ मिनट नैतिक शिक्षा के सूत्र और ४० मिनट विषय पढ़ाता हूँ? क्या मै स्वयं को बच्चो के भविष्य के लिए उत्तरदायी मानता हूँ? मै मात्र सब्जेक्ट टीचर नहीं हूँ मै बच्चो का शिक्षक हूँ? सब्जेक्ट पढ़ाने के लिए शिक्षक की भूमिका में हूँ और इन्सान गढ़ने में गुरु की भूमिका में हूँ? --- यदि इसका उत्तर हाँ में है --- *तो महापुरुष हैं*
५- क्या मैं मानता हूँ कि शिक्षण शब्दों से नहीं बल्कि आचरण से दिया जाता है? क्या मैं स्वयं को साधने के लिए नित्य उपासना, साधना, आराधना करता हूँ? क्या मै मानता हूँ सूर्य बनकर चमकने के लिए मुझे तपना होगा? गुरु की जिम्मेदारी उठाने के लिए अतिरिक्त जिम्मेदारी और कष्ट उठाना होगा? मै अपने विद्यार्थियों में देवत्व जगाऊंगा? उन्हें अच्छा इन्सान बनाऊंगा? उनका चरित्र व् व्यक्तित्व ऐसा गढ़ूंगा कि वह डॉक्टर, इंजीनियर, वकील व् व्यापारी जो भी बने नेक राह पर चले और उनमे सेवा भाव हो, पीड़ित मानवता का उद्धार कर सकें? मै पूरी कोशिश करूंगा? – यदि इसका उत्तर हाँ है तो --- *आप देवता है देव मानव है|*
🙏🏻श्वेता चक्रवर्ती
डिवाइन इंडिया यूथ असोसिएशन
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