Wednesday, 24 June 2020

कुत्ते को हड्डी खाते देख गुटखे को बनाया गया, इंसानी कुत्तों सी प्रवृत्ति वालों के लिए हड्डी के बारीक टुकड़ो के प्रयोग से गुटखा बनाया गया।

*कुत्ते को हड्डी खाते देख गुटखे को बनाया गया, इंसानी कुत्तों सी प्रवृत्ति वालों के लिए हड्डी के बारीक टुकड़ो के प्रयोग से गुटखा बनाया गया।*

कुत्ता सुखी हड्डी जब दांतो से खाता है, तो उसके मुँह में घाव बनता है व रक्त श्राव होता है, मूर्ख कुत्ता समझता है यह रक्त हड्डी से निकल रहा है।

इसी तरह गुटखा कम्पनियां गुटखे में बारीक छिपकली इत्यादि छोटे जीवों की बारीक हड्डियां मसाले में लपेटकर गुटखा में भर देती है। गुटखा खाने वाले के मुँह में यह हड्डियां घाव करती है और रक्त श्राव करती है। उन घावों में तम्बाकू व चुने से सनसनाहट सी होती है, उस दर्द को नशीला द्रव्य सर को घुमाकर समझने नहीं देता। मूर्ख कुत्ते की तरह मूर्ख गुटखा खाने वाले निज रक्त का स्वाद लेते हैं, स्वयं को ही घाव देते हैं। लेकिन जैसे कुत्ता हड्डी नहीं छोड़ पाता वैसे ही यह मूर्ख भी गुटखा नहीं छोड़ पाते।

कितना भी पढ़ा लिखा व्यक्ति हो, यदि एक बार निज रक्तपान की कुत्ते जैसे हड्डी के घाव से गुटखा खाने की आदत पड़ जाए, तो वह पशुवत प्रवृत्ति की आदत के आगे लाचार हो जाता है। उसके विवेक व आदत की लड़ाई में आदत जीत जाता है।

गुटखे खाने वाले को यदि यह मूर्खता छोड़नी है तो उसे जप-तप-ध्यान व स्वाध्याय के माध्यम से भीतर की पशुता समाप्त करनी होगी। देवत्व जगाना होगा। तभी वह आत्मबल प्राप्त कर सकेगा व नशा से मुक्त हो सकेगा।

💐श्वेता , DIYA

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