*अर्थी जीवन के अर्थ का बोध कराती है*
प्रत्येक *मृतक की अर्थी*,
*जीवन का अर्थ* बताती है,
प्रत्येक *राम नाम सत्य का उच्चारण*,
*जीवन के सत्य का बोध* कराती है।
श्मशान की भूमि,
मन में वैराग्य जगाती है,
जलती चिताएं व उठता धुंआ,
इच्छाओं-वासनाओं को जलाती हैं।
मृतक शरीर के ढाँचे से,
चमड़ा पहले जलता है,
अस्थियों का ढाँचा,
फिर स्पष्ट दिखता है,
हड्डियां भी धीरे धीरे,
बिखरने लगती हैं,
एक मनुष्य की काया,
धीरे धीरे राख में बदलती है।
वह दृश्य,
मन में सत्य का,
बोध कराता है,
शरीर की नश्वरता का,
तथ्य तर्क व प्रमाण देता है,
मृत्यु के अटल का सिद्धांत,
प्रतिपादन करता है।
मृतक की तेरहवीं तक,
स्मृति में मन में वैराग्य दृढ़ रहता है,
मृतक की फ़ोटो पर,
एक ओर माला चढ़ता है,
दूसरी ओर,
हमारे चित्त पर,
माया का पर्दा डलता है।
धीरे धीरे श्मशान में जगा वैराग्य,
हमसे विदा ले लेता है,
मोह माया का फंदा,
हमें पुनः जकड़ लेता है।
रात गयी बात गयी,
अतीत धीरे धीरे भूलने लगता है,
मृत्यु का अटल सिद्धांत,
शनैः शनैः विस्मृत हो जाता है।
पुनः मन संसार में उलझ जाता है,
फ़िर आत्मउद्धार सब भूल जाता है,
परमात्मा भी उसे याद नहीं रहता है,
शरीर उद्धार में वो पुनः जुट जाता है,
कामनाओं-वासनाओं की पूर्ति में,
पशुवत आचरण व कार्य करता है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
प्रत्येक *मृतक की अर्थी*,
*जीवन का अर्थ* बताती है,
प्रत्येक *राम नाम सत्य का उच्चारण*,
*जीवन के सत्य का बोध* कराती है।
श्मशान की भूमि,
मन में वैराग्य जगाती है,
जलती चिताएं व उठता धुंआ,
इच्छाओं-वासनाओं को जलाती हैं।
मृतक शरीर के ढाँचे से,
चमड़ा पहले जलता है,
अस्थियों का ढाँचा,
फिर स्पष्ट दिखता है,
हड्डियां भी धीरे धीरे,
बिखरने लगती हैं,
एक मनुष्य की काया,
धीरे धीरे राख में बदलती है।
वह दृश्य,
मन में सत्य का,
बोध कराता है,
शरीर की नश्वरता का,
तथ्य तर्क व प्रमाण देता है,
मृत्यु के अटल का सिद्धांत,
प्रतिपादन करता है।
मृतक की तेरहवीं तक,
स्मृति में मन में वैराग्य दृढ़ रहता है,
मृतक की फ़ोटो पर,
एक ओर माला चढ़ता है,
दूसरी ओर,
हमारे चित्त पर,
माया का पर्दा डलता है।
धीरे धीरे श्मशान में जगा वैराग्य,
हमसे विदा ले लेता है,
मोह माया का फंदा,
हमें पुनः जकड़ लेता है।
रात गयी बात गयी,
अतीत धीरे धीरे भूलने लगता है,
मृत्यु का अटल सिद्धांत,
शनैः शनैः विस्मृत हो जाता है।
पुनः मन संसार में उलझ जाता है,
फ़िर आत्मउद्धार सब भूल जाता है,
परमात्मा भी उसे याद नहीं रहता है,
शरीर उद्धार में वो पुनः जुट जाता है,
कामनाओं-वासनाओं की पूर्ति में,
पशुवत आचरण व कार्य करता है।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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