Saturday, 6 June 2020

प्रश्न- *गुरु का वंशवाद अनुचित है, मिशन का प्रमुख गुरु के अन्य शिष्यों के पुत्रों को भी बनने देना चाहिए।*

कुछ प्रश्न जो पिछले तीन चार दिन में पूँछे गए?

प्रश्न- *गुरु का वंशवाद अनुचित है, मिशन का प्रमुख गुरु के अन्य शिष्यों के पुत्रों को भी बनने देना चाहिए।*

उत्तर- प्रमुख उसे बनना चाहिए, जो योग्य हो, धर्म व अध्यात्म की गहराई जानता हो और सांसारिक प्रबन्धन में भी कुशल हो। गुरु वंश में 99% योग्य व्यक्ति को 39% योग्य व्यक्ति से मात्र इस आधार पर नहीं बदला जा सकता क्योंकि इससे वंशवाद की जगह प्रजातंत्र कायम होगा।

प्रश्न - *धार्मिक मिशन में प्रमुख की जरूरत क्यों है?*

उत्तर - गुरु व संरक्षक परमपूज्य गुरुदेव थे व रहेंगे। परन्तु परिवार की सुचारू व्यवस्था के लिए परिवार प्रमुख चाहिए। जिस तरह माला में सुमेरु की जरूरत होती है, घर परिवार में मुखिया की जरूरत होती है, स्कूल में प्रधानाध्यापक की जरूरत होती है। वैसे ही मिशन में प्रमुख की जरूरत होती है। अन्यथा अपनी ढपली अपना राग बजेगा, सभी सुर गड़बड़ लगेंगे और ताल बेताल हो जाएगा।

प्रश्न - *केन्द्रीय व्यवस्था इतनी समर्थ है कि वह समस्या हैंडल कर लेगी। क्षेत्रीय लोग मात्र मौन रहकर आर्त स्वर में प्रार्थना करें।*

उत्तर- जब केंद्र की समस्या सार्वजनिक हो जाये तो यह समझना चाहिए कि केंद्र की व्यवस्था में बैठे कुछ लोग ही समस्या उत्तपन्न करने में अहम भूमिका में है। झूठे बेबुनियाद षड्यंत्र के सूत्रधार हैं व समस्या को पोषण दे रहे हैं। ऐसे में क्षेत्रीय लोगो को प्रार्थना के साथ अपने अपने स्तर पर पुरुषार्थ करने की आवश्यकता है। और उन 9 मुख्य समस्या की जड़ लोगो को बाहर करने में केंद्र की मदद करनी होगी।

प्रश्न - *भ्रामक बातों और सही बातों के अंतर को कैसे समझें?*

उत्तर - भ्रम फ़ैलाने वाला कभी सीधा व सटीक तथ्य तर्क प्रमाण के साथ नहीं बोलता। वह ऐसी घटनाओं का षड्यंत्र बुनता है जिससे कन्फ्यूजन उतपन्न हो न कि क्लियर विज़न मिले। सही बात बोलने वाला क्लियर बोलेगा, तथ्य तर्क प्रमाण के साथ बोलेगा। एक और तरीका है कौन सही और कौन ग़लत को समझने का है, सुबह ध्यान करके 5 बार गायत्री मंत्र बोलें, अपने सर पर हाथ फेरें। भगवान का अपनी बुद्धि चित्त और हृदय में आह्वाहन करें। जो विचार उभरे उन्हें अपना लें।

प्रश्न - *वर्तमान षड्यंत्र के पीछे मोटिव क्या क्या हो सकते हैं?*

उत्तर - मुख्य पाँच मोटिव हैं:-
1- आदरणीय चिन्मय भैया को भविष्य में गायत्री प्रमुख बनने से रोकना।
2- सत्ता की अपनी इच्छा की पूर्ति करना
3- अहंकार को चोट मिली उसका बदला लेना
4- सन्तानमोह में पड़कर उनकी इच्छाओं की पूर्ति के लिए कठपुतली को प्रमुख बनाने की कुचेष्टा
5- मन में कई दिनों से पल रही विभिन्न नाराज़गी का नासूर फूटना

प्रश्न - *हमें ऐसे में क्या करना चाहिए?*

उत्तर - अपनी 2 से 3 मिनट की वीडियो अभिव्यक्ति-अनुभूति की बनानी चाहिए। लोगों तक अपना युगनिर्माण मिशन पहुंचाना चाहिए। दुगुने उत्साह से गायत्री परिवार के कार्य करने चाहिए। कोई भी भ्रामक बाते बोले या लिखे तो उसे जवाब देकर टोंकना चाहिए। अभद्र कंटेंट की शिकायत साइबर सेल में करना चाहिए। हस्ताक्षर अभियान समर्थन में चलाना चाहिए। प्रार्थना में अनुष्ठान व ध्यान करें , पुरुषार्थ में षड्यंत्रकर्ता को बाहर करने में केंद्र की मदद करें। कोर्ट में तो जीत मिल ही जाएगी, जनता के बीच हृदय में श्रद्धा भावना को विजय दिलाने में मदद करनी होगी।

भवसागर से पार करवाने वाले के लिए सागर में पुल बनाने हेतु रीछ वानर की तरह अंग अवयव बन सहयोगी बनना पड़ेगा।

प्रचंड जनसहयोग गुरु परिवार के लिए खड़ा करना होगा।

प्रश्न - *श्रद्धेय को अपनी सफ़ाई देने की आवश्यकता है?*

उत्तर- बेबुनियाद आरोपों की कोई सफ़ाई नहीं दी जाती, और देनी भी नहीं चाहिए। जो बात प्रत्येक गायत्री परिजन को पता है कि झूठे बेबुनियाद आरोप षड्यंत्रकर्ता सत्ता, स्वार्थ व अहंकार पोषण के लिए कर रहे हैं, यह बात उन्हें अपने मुख से बोलने की क्या जरूरत है।

प्रश्न - *श्रद्धेय क्या चिन्मय भैया को मिशन पर थोप रहे हैं?*

उत्तर- श्रद्धेय व जीजी ने मात्र चिन्मय भैया को शुभ सँस्कार देकर योग्य बनाया है। अध्यात्म का गहन ज्ञान दिया है, और प्रबन्ध व्यवस्था में कुशल बनाया है। बाकी आदरणीय चिन्मय भैया ने अपनी योग्यता व पात्रता ग्राम-शहर-देश व विदेश के परिजनों और लोगो मे के हृदय में सम्मान व प्यार स्वयं अर्जित किया है। हम सब गायत्री परिजन की मांग है कि हमें चिन्मय जैसा योग्य-सुपात्र-विनम्र-सेवाभावी गुरु अंश गायत्री परिवार के प्रमुख रूप में मिले।

प्रश्न - *क्या मिशन से योग्य व्यक्तियों को बाहर निकाला जाता है?*

उत्तर- मिशन में समर्पित व सेवाभावी योग्य व्यक्तियों का हमेशा स्वागत किया जाता है। अहंकारी व्यक्ति स्वयं टूटकर निज कर्मो के कारण बाहर निकलते हैं, अपनी ढपली अपना राग बजाने के कारण बाहर निकलते हैं। जो योग्य व समर्थ हैं उसकी प्रतिभा भला कोई कैसे व कितने दिनों तक ढंक सकेगा? दिया कहीं जला है तो रौशनी तो आसपास के लोगों को दिखेगी ही। यूट्यूब - फेसबुक, शोशल मीडिया, व जन क्षेत्र सबके लिए अपनी योग्यता - पात्रता- प्रतिभा दिखाने के लिए उपलब्ध हैं। सुपात्र वह है जिसकी प्रसंसा दुनियाँ करें न कि मात्र माता पिता व स्वयं। आत्म प्रसंशा करने की आवश्यकता नहीं है। अपना बच्चा सबको सुंदर लगता है, अपनी रचना सबको सुंदर लगती है, मग़र उसका मूल्यांकन सही तब होता है जब दूसरे को भी अपना बच्चा सुंदर लगे। दूसरे को भी हमारी रचना सुंदर लगे।

समूह गान में सुर मिलाना होता है, केवल अपना सुर दिखाना नहीं होता। खेल के मैदान में खेल जीतना महत्त्व रखता है, मात्र व्यक्तिगत स्कोर का कोई मूल्य नहीं। इसी तरह मिशन में युगनिर्माण महत्त्व है, मात्र एकल साधना पद्धति महत्त्व नहीं रखती। संगठन में शक्ति है, परिवार को एक लक्ष्य व उद्देश्य के अनुसार चलना होता है। कार्य व जॉब अलग हो सकते हैं, मग़र परिवार का उद्देश्य अलग नहीं होना चाहिए।

🙏🏻श्वेता, DIYA

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