प्रश्न - *मुझमें क्या बेहतर है? मुझे जन्मजात क्या प्रतिभा मिली है? मेरा गुण-धर्म-स्वभाव क्या है? मुझमें कौन से यूनिक गुण है कैसे जानूँ?*
उत्तर- दूसरे को जानने व पहचानने का जो नियम है, वही नियम स्वयं पर भी लागू होता है। दूसरों को जानने के लिए आप उनके स्वभाव, आदतों, विचारधारा, उनकी पसन्द-नापसंद और उनके बोले गए व अभिव्यक्त कथनों के आधार पर उनके बारे में जानकारी पाते हैं। आप गहनता से दूसरे को जितना ऑब्जर्व(निरीक्षण-परीक्षण) करेंगे, दूसरे के साथ जितना अधिक से अधिक समय गुजारेंगे उतना ही उसे जानने में सफल होंगे।
बस इसी तरह उपरोक्त नियम स्वयं को जानने के लिए पालन जरूरी है। अब स्वयं की गतिविधियों को ऑब्जर्व कीजिये। स्वयं के साथ एकांत में पल गुजारिये। स्वयं के मन पर नज़र रखिये, किस प्रकार के विचार अक्सर उठते हैं। स्वयं की पसन्द नापसंद की लिस्ट बनाइये। स्वयं के स्वभाव व व्यवहार का निरीक्षण परीक्षण कीजिए। स्वयं की आदतों की लिस्ट बनाइये। जब आप बोलते है या अपने विचारों को अभिव्यक्त करते समय आपके शब्दकोश में किस प्रकार शब्द अधिक प्रयोग किये जाते हैं। किसकी संगति आपको पसन्द है, और किसकी संगति से दूर भागते हैं। आप गूगल, यूट्यूब व इंटरनेट पर किस तरह के कंटेंट अक्सर सर्च करके पढ़ते या वीडियो देखते हैं। आपके क्लोज मित्र सर्कल में किस प्रकार के लोग है?
24 घण्टे उठते जागते स्वयं पर नज़र रखिये, स्वयं के विचारों पर नजर रखिये, स्वयं की गतिविधियों पर नज़र रखिये, स्वयं के साथ ज्यादा से ज्यादा एकांत में ध्यानस्थ हो समय बिताइए। स्वयं के सान्निध्य में रहिये, आत्मचिंतन कीजिये। छः महीने से एक वर्ष में आप अपनी मूल सत्ता, मूल प्रतिभा, मूल गुण-धर्म-स्वभाव को गहराई से जान जाएंगे। स्वयं के अस्तित्व को पहचान जाएंगे। स्वयं की जासूसी स्वयं अंतर्जगत में प्रवेश करके कीजिये, सभी राज स्वयं के जान जाएंगे।
🙏🏻श्वेता, DIYA
उत्तर- दूसरे को जानने व पहचानने का जो नियम है, वही नियम स्वयं पर भी लागू होता है। दूसरों को जानने के लिए आप उनके स्वभाव, आदतों, विचारधारा, उनकी पसन्द-नापसंद और उनके बोले गए व अभिव्यक्त कथनों के आधार पर उनके बारे में जानकारी पाते हैं। आप गहनता से दूसरे को जितना ऑब्जर्व(निरीक्षण-परीक्षण) करेंगे, दूसरे के साथ जितना अधिक से अधिक समय गुजारेंगे उतना ही उसे जानने में सफल होंगे।
बस इसी तरह उपरोक्त नियम स्वयं को जानने के लिए पालन जरूरी है। अब स्वयं की गतिविधियों को ऑब्जर्व कीजिये। स्वयं के साथ एकांत में पल गुजारिये। स्वयं के मन पर नज़र रखिये, किस प्रकार के विचार अक्सर उठते हैं। स्वयं की पसन्द नापसंद की लिस्ट बनाइये। स्वयं के स्वभाव व व्यवहार का निरीक्षण परीक्षण कीजिए। स्वयं की आदतों की लिस्ट बनाइये। जब आप बोलते है या अपने विचारों को अभिव्यक्त करते समय आपके शब्दकोश में किस प्रकार शब्द अधिक प्रयोग किये जाते हैं। किसकी संगति आपको पसन्द है, और किसकी संगति से दूर भागते हैं। आप गूगल, यूट्यूब व इंटरनेट पर किस तरह के कंटेंट अक्सर सर्च करके पढ़ते या वीडियो देखते हैं। आपके क्लोज मित्र सर्कल में किस प्रकार के लोग है?
24 घण्टे उठते जागते स्वयं पर नज़र रखिये, स्वयं के विचारों पर नजर रखिये, स्वयं की गतिविधियों पर नज़र रखिये, स्वयं के साथ ज्यादा से ज्यादा एकांत में ध्यानस्थ हो समय बिताइए। स्वयं के सान्निध्य में रहिये, आत्मचिंतन कीजिये। छः महीने से एक वर्ष में आप अपनी मूल सत्ता, मूल प्रतिभा, मूल गुण-धर्म-स्वभाव को गहराई से जान जाएंगे। स्वयं के अस्तित्व को पहचान जाएंगे। स्वयं की जासूसी स्वयं अंतर्जगत में प्रवेश करके कीजिये, सभी राज स्वयं के जान जाएंगे।
🙏🏻श्वेता, DIYA
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